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22 November 2018

जम्मू-कश्मीर में कब-कब पैदा हुआ सियासी संकट, क्यों 40 सालों में 8 बार लगा राज्यपाल शासन

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद एक बार फिर से प्रदेश सियासी संकट के भंवर जाल में है। 19 जून से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा हुआ था। राज्य की विधानसभा निलंबित चल रही थी। इस बीच पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा भंग कर दी।

सत्यपाल मलिक को 3 महीने पहले ही जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था। इससे पहले वे बिहार के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

बता दें कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद 19 जून को जम्मू-कश्मीर में पिछले 40 साल में आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू हुआ। एनएन वोहरा के राज्यपाल रहते यह चौथा मौका था जब राज्य में केंद्र का शासन लागू हुआ। पूर्व नौकरशाह वोहरा 25 जून, 2008 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे।

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पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर में करीब तीन साल गठबंधन सरकार में रहने के बाद भाजपा ने सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान किया। भाजपा ने कहा कि राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ और आतंकवाद के चलते सरकार में बने रहना मुश्किल हो गया था।

यह भी काबिल-ए-गौर है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की उन सियासी घटनाक्रमों में प्रमुख भूमिका थी, जिसकी वजह से राज्य में सात बार राज्यपाल शासन लागू हुआ।

पिछली बार मुफ्ती सईद के निधन के बाद आठ जनवरी, 2016 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का शासन लागू हुआ था। उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था।

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से संस्तुति मिलने पर जम्मू- कश्मीर के संविधान की धारा 92 को लागू करते हुए वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाया था।

-जम्मू-कश्मीर में मार्च 1977 को पहली बार राज्यपाल शासन लागू हुआ था। उस समय एल के झा राज्यपाल थे। सईद की अगुवाई वाली राज्य कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख महमूद अब्दुल्ला की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था।

-मार्च 1986 में एक बार फिर सईद के गुलाम मोहम्मद शाह की अल्पमत की सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण राज्य में दूसरी बार राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था।

-इसके बाद राज्यपाल के रूप में जगमोहन की नियुक्ति को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस कारण सूबे में तीसरी बार केंद्र का शासन लागू हो गया था। सईद उस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री थे और उन्होंने जगमोहन की नियुक्ति को लेकर अब्दुल्ला के विरोध को नजरंदाज कर दिया था। इसके बाद राज्य में छह साल 264 दिन तक राज्यपाल शासन रहा, जो सबसे लंबी अवधि है।

-इसके बाद अक्तूबर, 2002 में चौथी बार और 2008 में पांचवीं बार केंद्र का शासन लागू हुआ। राज्य में छठीं बार साल 2014 में राज्यपाल शासन लागू हुआ था।

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TAGS: political crisis, arise, Jammu and Kashmir, governor, 8 times, 40 years
OUTLOOK 22 November, 2018
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