पार्टी में वापसी के बाद बोले रेड्डी- 'कांग्रेस ही मेरी पहचान है, मैं इससे जुदा नहीं रह सकता'
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी आज फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि इस पार्टी से ही उनकी पहचान है और आज वह अपने ‘परिवार’ में वापस लौटे हैं। रेड्डी ने चार साल पहले तेलंगाना राज्य बनने के समय कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली थी।
रेड्डी ने राहुल गांधी से की मुलाकात
कांग्रेस में शामिल होने से पहले रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। कांग्रेस के आंध्र प्रदेश प्रभारी ओमन चांडी,कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला , वरिष्ठ नेता पल्लम राजू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन. रघुवीर रेड्डी और राज्य के कई अन्य नेताओं की मौजूदगी में किरण कुमार रेड्डी कांग्रेस में शामिल हुए।
'पहले भी पार्टी की सेवा की और आगे भी करते रहेंगे'
सुरजेवाला ने कांग्रेस में उनका स्वागत करते हुए कहा कि रेड्डी ने पहले भी कांग्रेस की सेवा की है और आगे भी सेवा करते रहेंगे।
'यह पार्टी ही मेरी पहचान है, मैं पार्टी से जुदा नहीं रह सकता'
पार्टी में शामिल होने के बाद रेड्डी ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि आज कांग्रेस में मेरी वापसी हुई है। मैं कांग्रेस से जुदा नहीं रह सकता। मेरे परिवार और मेरी पार्टी की जो भी पहचान है वो कांग्रेस की वजह से है।’
'मौजूदा समय में जरूरी है पार्टी और राहुल गांधी के हाथों को मजबूत किया जाए'
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘मुझे राहुल गांधी से मिलकर खुशी हुई। मौजूदा समय में यह जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के हाथों को मजबूत किया जाए।’ आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून के पूर्ण क्रियान्वयन की मांग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी तब तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को न्याय को नहीं मिल सकता।’
आम कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस में शामिल हुए हैं
रेड्डी ने कहा,‘मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए राज्यसभा में आंध्र और तेलंगाना के लिए जो वादे किए थे उनको पूरी तरह लागू करने की जरूरत है।’ वाईएसआर कांग्रेस के साथ गठबंधन की किसी संभावना के बारे में पूछे जाने पर रेड्डी ने कहा कि वह आम कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस में शामिल हुए हैं, इसलिए फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह पाएंगे।
2014 में छोड़ दी थी पार्टी
किरण कुमार रेड्डी ने फरवरी, 2014 में कांग्रेस छोड़ दी थी और ‘जय समयक्या आंध्र पार्टी’ का गठन किया था। वह 25 जून, 2011 से एक मार्च, 2014 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान आंध्र प्रदेश के बंटवारे की पूरी प्रक्रिया संपन्न हुई और तेलंगाना राज्य का गठन हुआ।