जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा से भी पास, पक्ष में 367 और विपक्ष में पड़े 67 वोट
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 लोकसभा से भी पास हो गया है। इसके पक्ष में 367 वोट और विपक्ष में 67 वोट पड़े। यह बिल राज्यसभा से पहले ही पास हो चुका है। इस बिल के तहत जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटा जाएगा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी वहीं लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। इसके बाद देश में कुल 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इसके अलावा आर्टिकल 370 हटाने के संकल्प भी लोकसभा से पास हो गया है।
इसी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद का वर्तमान सत्र समाप्त होने की घोषणा की। 17 जून, 2019 से लेकर 6 अगस्त, 2019 तक चले इस सत्र में 280 घंटे की बैठक हुई। इस दौरान 36 विधेयक पारित हुए, जो 1952 से लेकर अब तक किसी सत्र में सबसे ज्यादा पारित विधेयक हैं।
पीएम मोदी ने कहा- कल नई सुबह इंतजार कर रही है
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अपने भाईयों-बहनों को उनके साहस के लिए सलाम करता हूं। सालों तक कई हित समूहों ने इमोशनल ब्लैकमेल पर भरोसा किया और लोगों के सशक्तिकरण की ओर ध्यान नहीं दिया। जम्मू-कश्मीर अब अपनी बेड़ियों से आजाद है। कल एक नई सुबह इंतजार कर रही है।
घाटी के लोगों को सीने से लगाएंगे लेकिन अलगाववादियों से नहीं करेंगे चर्चा: अमित शाह
इससे पहले लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वहां 1989-95 तक आतंकवाद इतना बढ़ा कि सालों तक कश्मीर में कर्फ्यू रखना पड़ा था। वहां स्थिति बिगड़ी इसलिए कर्फ्यू नहीं लगाया है। स्थिति न बिगड़े इसके लिए इंतजाम किए हैं। सरकार पहले से तैयार है और उससे नहीं रोका जा सकता। वहां से सुरक्षाबल नहीं हटेंगे और न हम दबाव में आएंगे। अमित शाह ने कहा कि 70 साल तक चर्चा चल रही है तीन पीढ़िया आ गईं, जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं उनसे चर्चा करें, हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करना चाहते। अगर घाटी के लोगों में कोई शंका है तो हम उन्हें सीने से लगाएंगे और चर्चा भी करेंगे।
‘370 को बचाने वाले क्या आरक्षण विरोधी’
अमित शाह ने लोकसभा में कहां कि जम्मू कश्मीर में चिंता 370 की नहीं है बल्कि राष्ट्रपति शासन में खुलने वाली फाइलों से चिंता है। राष्ट्रपति शासन आते ही वहां ठंड में पसीने आने लगे हैं और अब फाइलें खुल रही हैं। अमित शाह ने कहा कि दलितों और आदिवासियों के आरक्षण का क्या कांग्रेस विरोध कर रही है। वहां के लोगों को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए, धारा 370 के पक्ष में खड़े लोग क्या इस आरक्षण के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि धारा 370 को बचाने वाले यह भी याद रखें उन्हें जनता के बीच जवाब देना होगा। इस धारा की वजह से जम्मू कश्मीर के विकास को रोका गया और लोकतंत्र का गला घोंटा गया। वहां कांग्रेस सरकार में आए संविधान संशोधन भी लागू नहीं हुए क्योंकि वोट बैंक प्रभावित हो रहा था। तीन परिवारों की वजह से वहां का विकास नहीं हो सका।
‘जम्मू कश्मीर को क्यों न मिलें अधिकार’
अमित शाह ने कहा कि जो कश्मीर में धारा 370 लागू रखना चाहते हैं वह लोग बाल विवाह का समर्थन करते हैं और उसे जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आजतक बाल विवाह कानून लागू नहीं है। वहां के सिख, जैन और बौद्ध भाइयों के लिए अल्पसंख्यक आयोग क्यों नहीं बनना चाहिए। शिक्षा का अधिकार जम्मू कश्मीर के बच्चों को क्यों नहीं मिलना चाहिए। भूमि अधिग्रहण और दिव्यागों को लिए बने कानून में वहां लागू नहीं होते। देश भर में परिसीमन हुआ लेकिन जम्मू कश्मीर में कितनी भी आबादी बढ़ जाए लेकिन परिसीमन नहीं हो सकता क्योंकि वोट बैंक को परेशानी हो रही थी, लेकिन 370 के हटते ही परिसीमन किया जा सकेगा।
‘वोट बैंक नहीं देश हित में लिए फैसले’
अमित शाह ने कहा कि 41 हजार लोग मारे गए फिर भी क्या हम उसी रास्ते पर चलना चाहते हैं। 70 साल इसी रास्ते पर चले हैं अब क्या रास्ता बदलना नहीं चाहिए, कब तक वोट बैंक की राजनीति करते रहेंगे, कब देश हित और घाटी के हित के बारे में सोचेंगे, लद्दाख के युवाओं के बारे में कब सोचेंगे। जम्मू कश्मीर के अंदर मोदी सरकार में होने वाले विकास को पूरी दुनिया देखेगी। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ वोट बैंक और चुनावी फायदे के लिए ऐसे फैसले नहीं लेते बल्कि देश हित और देश की सुरक्षा के लिए ऐसे फैसले लिए जाते हैं। घाटी की जनता की भलाई के लिए ही यह फैसले लिए जा रहे हैं। धारा 370 के फायदों के बारे में एक भी सदस्य ने नहीं बताया अगर इसे चालू रखना है तो इसका कुछ फायदा भी तो होना चाहिए।
‘पूर्ण राज्य बनाने में 70 साल नहीं लगेंगे’
अमित शाह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का सवाल है तो बता दूं कि यह लद्दाख की मांग थी लेकिन कश्मीर के बारे में फिर से विचार किया जाएगा। नेहरू जी ने तो 370 को भी अस्थाई बताया था उसे हटाने में 70 साल लगे लेकिन हमें 70 साल नहीं लगेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा, मुख्यमंत्री, मंत्री सब रहेंगे। शाह ने कहा कि जनमत संग्रह तभी खत्म हो गया जब पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं को तोड़ा था, अब यूएन में जनमत संग्रह को कोई मुद्दा नहीं है। घाटी में स्थिति न बिगड़े इसके लिए कर्फ्यू डाला है, स्थिति बिगड़ी है इसलिए नहीं लगाया। जम्मू कश्मीर के लिए बनाया गया कानून किसी भी सूरत में सांप्रदायिक नहीं हो सकता, इस आरोप में सिरे से खारिज करता हूं।
'फारुख अब्दुल्ला अपनी मर्जी से घर पर हैं'
आर्टिकल 370 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला को न गिरफ्तार किया गया है और न हिरासत में लिया गया है, वह अपनी मर्जी से अपने घर पर हैं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा मेरी बगल में फारूख अब्दुल्ला जी बैठते हैं और उनकी आवाज नहीं सुनाई दे रही है। यह चर्चा उनके बगैर हमेशा अधूरी रहेगी। इसका जवाब देते हुए गृह मंत्री ने यह बात कही। सुले ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो अमित शाह ने कहा कि मैं डॉक्टर नहीं हूं और तबीयत मैं ठीक नहीं कर सकता। अगर वह नहीं आना चाहते तो कनपटी पर गन रखकर नहीं ला सकते।
इस पर फारुख अब्दुल्ला ने जवाब दिया है कि मैं अपनी इच्छा पर अपने घर में कैसे रह सकता हूं जब मेरा राज्य जल रहा है। लोगों को जेल में डाला जा रहा है। यह भारत का वह विचार नहीं है जिस पर मेरा भरोसा है।
सुप्रिया सुले ने कहा कि हमारा उनके साथ पुराना जुड़ाव और रिश्ते हैं और मुझे उनकी कमी खल रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के विकास ले लिए फारूख जी ने काफी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि धारा 371 का अब क्या किया जाएगा क्योंकि यह सिर्फ जमीन खरीदने का मसला नहीं है बल्कि वहां के लोगों को बेहतर जीवन देने का मुद्दा है। हम राज्य के विभाजन के खिलाफ नहीं है लेकिन वह संवैधानिक तरीके से होना चाहिए था। साथ ही सरकार बताए कि घाटी के नेता कहां हैं और वह सुरक्षित हैं भी या नहीं। सरकार इस बारे में भी अपना पक्ष साफ करे।
क्या फैसले से खुश कश्मीर की जनता: अखिलेश
लोकसभा में सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रिया जी के पड़ोसी भी उनके बगल में नहीं और मेरे पड़ोसी भी नहीं है। यादव ने कहा कि मंत्री कह रहे थे कि संविधान सभा से पारित कर यह प्रस्ताव लाए हैं। इस पर शाह ने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा है आपने गलत समझा। अमित शाह ने कहा कि संविधान सभा मतलब जम्मू कश्मीर की विधानसभा की ओर से राष्ट्रपति यह प्रस्ताव लेकर आए हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि जिस प्रदेश के लिए यह फैसला लिया गया है वहां की जनता का क्या मत है यह तो जान लेना चाहिए, वहां के लोग इस फैसले से खुश हैं या नहीं हैं।
बसपा ने किया बिल का समर्थन
बसपा सांसद गिरीश चंद्र ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल और आरक्षण बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इससे लद्दाख के बौद्ध समुदाय के लोगों को फायदा होगा, साथ ही विशेष दर्जा संबंधी धारा 370 को हटाने की मांद काफी लंबे समय से चल रही थी। अब वहां की जनता को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा जिससे बाबा साहेब को मानने वालों में खुशी की लहर दौड़ रही है। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का भी बसपा स्वागत करती है।
राज्यसभा में बिल और संकल्प पारित
गौरतलब है कि सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया है। इससे संबंधित दो संकल्पों और एक विधेयक को सोमवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। इसके पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े थे।