राबड़ी के दावे पर बोले प्रशांत किशोर- मीडिया के सामने बैठें लालू, सच पता चल जाएगा
बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन टूटने के बाद दोनों के बीच जुबानी जंग चलती रहती है। ताजा विवाद जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के दावों का है। दोनों नेताओं की लड़ाई ट्विटर वॉर में बदल गई है।
प्रशांत किशोर ने राबड़ी देवी के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू के विलय का प्रस्ताव दिया था। प्रशांत किशोर ने इस दावे को झूठा बताया है।
प्रशांत किशोर का राबड़ी को जवाब
प्रशांत किशोर ने कहा है कि सरकारी पदों का दुरुपयोग करने वाले और फंडों में धांधली करने के दोषी ठहराए जा चुके लोग सच के रक्षक बन रहे हैं। प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, 'लालू यादव जी जब चाहें मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं। सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने क्या ऑफर दिया।'
Those convicted or facing charges of abuse of public office and misappropriation of funds are claiming to be the custodians of truth.@laluprasadrjd जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 13, 2019
महागठबंधन में आने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे नीतीश कुमार: राबड़ी देवी
राबड़ी देवी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को लेकर दावा किया था कि वह गठबंधन में वापस आना चाहते थे। राबड़ी देवी ने ट्विटर पर लिखा, ‘नीतीश कुमार माफी और अनेकों प्रकार की लुभावनी डील के साथ महागठबंधन में आने को गिड़गिड़ा रहे थे। बार-बार उनके कबूतर चिट्ठी लेकर आ रहे थे। एकबार उनके दूत को इस विषय पर बात करने पर मैंने उसे घर से निकाल दिया था। जनता के विश्वास और वोटों का सौदा करने वाले पलटू किसी के भी सगे नहीं हैं।‘
एएनआई से बातचीत में राबड़ी देवी ने कहा, नीतीश कुमार वापस आना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि वह 2020 में तेजस्वी को सीएम देखना चाहते हैं और आप मुझे पीएम उम्मीदवार घोषित करें। गठबंधन टूटने के बाद प्रशांत किशोर पांच बार हमसे मिलने आए।‘
विलय के लिए लालू से मिले पीके?
राबड़ी देवी ने दावा किया था कि प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद से मुलाकात की थी और प्रस्ताव रखा था कि आरजेडी और नीतीश कुमार के जेडीयू का विलय हो जाए और इस प्रकार बनने वाले नए दल को चुनावों से पहले अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए।
राबड़ी देवी ने यह भी कहा था कि अगर प्रशांत किशोर लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह 'सफेद झूठ' बोल रहे है। आरजेडी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राबड़ी देवी ने कहा, 'मैं इससे बहुत नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उन पर भरोसा नहीं रहा।'
क्या है विवाद की वजह
दरअसल प्रशांत किशोर और लालू प्रसाद यादव के बीच आमने-सामने की लड़ाई तब शुरू हुई जब हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा 'गोपालगंज टू रायसीना: माय पॉलिटिकल जर्नी' में लाल प्रसाद यादव ने दावा किया कि जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के प्रस्तावक के तौर पर उनसे मुलाकात की थी और प्रस्ताव दिया था कि जेडीयू की पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कर लिया जाए।
बीते साल सितंबर में जदयू के पूर्ण सदस्य बने किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद ट्विटर पर स्वीकार किया था कि उन्होंने जदयू की सदस्यता लेने से पूर्व प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी। हालांकि किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (लाल प्रसाद यादव को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।