मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विधायकों को बंधक नहीं बनाया जा सकता, सुनवाई जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्य प्रदेश के 16 विधायकों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता है। विधायकों खुद फैसला करने का अधिकार है कि वे विधानसभा के फ्लोर टेस्ट में जाना चाहते हैं या नहीं। अदालत ने विधायकों को जज के चैंबर में पेश करने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखने का फैसला किया है। उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण तत्काल कराने के निर्देश देने की मांग की है।
बागी विधायकों ने कहा- अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया
अदालत ने कहा है कि उसे सुनिश्चित करना होगा कि 16 बागी विधायकों को फैसला करने की पूरी आजादी मिले। वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने बागी विधायकों की ओर से जिरह करते हुए कहा कि वे कांग्रेस के किसी नेता से नहीं मिलना चाहते हैं। विधायकों पर किसी तरह का दबाव डालकर मजबूर नहीं किया गया है। अधिवक्ता ने कहा कि विधायकों ने प्रेस कांफ्रेस आयोजित करके घोषणा की है कि उन्होंने फैसले अपनी मर्जी से लिए हैं। उन्होंने हलफनामे भी स्वेच्छा से प्रस्तु किए हैं। बागी विधायकों के अधिवक्ता ने कहा कि वे संविधान के अनुसार किसी भी कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं लेकिन वे कांग्रेस के किसी नेता नहीं मिलना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को भी सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। चौहान ने अपनी याचिका में अदालत से मांग की है कि वह कमल नाथ सरकार को तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दे। सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेताओं की याचिकाओं पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखेगी। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शक्ति परीक्षण को खाली विधानसभा सीटों के उप चुनाव तक टालने की मांग की है। चौहान ने कांग्रेस पार्टी की इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि नाथ सरकार एक दिन भी सत्ता में नहीं रह सकती है क्योंकि वह बहुमत खो चुकी है।
भाजपा ने कहा- कांग्रेस खरीद-फरोख्त करना चाहती है
पिछले सप्ताह ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के साथ ही इन विधायकों ने इस्तीफे दे दिए थे। चौहान की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि विधायक भोपाल चले जाएं ताकि वह उन्हें प्रलोभन दे सके और खरीद-फरोख्त कर सके।
कांग्रेस का आरोप- दबाव डालकर इस्तीफे लिए गए
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अदालत को बताया कि बागी विधायकों के त्याग पत्रों की जांच किए जाने की जरूरत है। भाजपा नेताओं ने उनके विधायक विधानसभा स्पीकर को सौंपे थे। कांग्रेस ने जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की बेंच के समक्ष आरोप लगाया कि बागी विधायकों के इस्तीफे जोर-जबरदस्ती करके लिए गए। उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफे नहीं दिए हैं।
राज्यपाल ने स्पीकर के अधिकारों का अतिक्रमण किया
कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि बागी विधायकों को चार्टर्ड विमान से बेंगलुरू ले जाया और वहां एक रिजॉर्ट में रखा गया। यह सारा इंतजाम भाजपा द्वारा किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और स्पीकर को शक्ति परीक्षण कराने के लिए रात को निर्देश देकर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। राज्यपाल को इस तरह का निर्देश देने का अधिकार नहीं है। विधानसभा स्पीकर को फैसला करने का पूरा अधिकार है।