सिंधिया समेत 17 विधायक का कमलनाथ से संपर्क नहीं, एमपी में संकट में कांग्रेस सरकार
आगामी राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश सरकार संकट में घिरती नजर आ रही है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कम से कम 17 विधायकों का मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ-साथ एक-दूसरे से संपर्क नहीं है। सभी का फोन बंद आ रहा है। दरअसल सिंधिया की मांग है कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाए।
‘सरकार गिराने की साजिश’
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कांग्रेस के विधायकों में सेंध लगाकर कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। दरअसल, राज्य में राजनीतिक ड्रामा पिछले सप्ताह उस वक्त शुरू हो गया जब मध्य प्रदेश के दस कांग्रेस विधायक गायब हो गए। जिसके बाद काग्रेंस ने भाजपा पर आरोप लगाए, लेकिन भाजपा ने किसी भी आरोप को मानने से इनकार कर दिया।
इन नेताओं के बंद है फोन
गौरतलब है, जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभु चौधरी शामिल हैं। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है। इससे पहले दिन में, कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने मांग की थी कि राज्यसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्य से नॉमिनेट किया जाए।
दिल्ली में कई नेताओं से की मुलाकात
इससे पहले रविवार की रात को मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली आए थे। मौजूदा राजनीतिक स्थिति और 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव के नामांकन के लिए शीर्ष कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। फिलहाल कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह , भाजपा नेता प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया की राज्यसभा का कार्यकाल 9 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। मालुम हो की 230 विधानसभा सीट वाले मध्य प्रदेश में दोनों पार्टी के एक-एक राज्यसभा सीट जीतने की जुगत में है जबकि तीसरे सीट के लिए टॉस होने की संभावना है। अभी कांग्रेस के 114 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं।