महाराष्ट्र: 'विधायकों के अयोग्यता' मामले में जानबूझकर देरी करने के आरोप, विधानसभा अध्यक्ष ने दिया जवाब
महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता का मामला भी खासा सुर्खियों में है। अब इसपर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बयान दिया है। कई नेताओं के इन आरोपों पर कि विधानसभा स्पीकर जानबूझ कर देरी कर रहे हैं, उन्होंने साफ किया कि वह कानून और संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर निर्णय लेंगे।
बता दें कि कई नेताओं ने स्पीकर पर जानबूझकर फैसले में देरी करने के आरोप लगाए, जिसका जवाब देते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं ऐसे बयानों पर कोई ध्यान नहीं देता। उन्होंने कहा, "ऐसे बयान केवल निर्णय प्रक्रियाओं के ऊपर दबाव डालने के लिए किए जाते हैं। ऐसे टिप्पणियों से मैं दबाव में नहीं आता। मैं कानून और संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर फैसला लूंगा।"
On MLAs disqualification matter, Maharashtra Assembly Speaker Rahul Narvekar says, "I will take the decision based on the law and the constitutional provisions." pic.twitter.com/c83ubkyiJP
— ANI (@ANI) November 1, 2023
गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को विधायकों के अयोग्यता मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इस गंभीर मामले पर हो रही देरी को लेकर विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेरकर पर नाराजगी जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "कोई उन्हें समझाए कि वह हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं कर पाएंगे। कार्रवाई महज दिखावा नहीं हो सकती।" सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनका समर्थन करने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक फैसला करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि शिंदे और 39 विधायकों के मूल पार्टी से अलग होने और सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ जाने के बाद पिछले साल सेना के गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर कीं थी।
जुलाई में स्पीकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था। कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद चुनी गई सेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था।
अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में ठाकरे गुट के सुनील प्रभु ने पिछले साल पार्टी में विद्रोह कर दिया और इसके परिणामस्वरूप विभाजन के बाद शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी।
इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसने यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने बाद में शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया था। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) नार्वेकर पर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगा रही है।