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11 May 2025

उम्मीद है कि भारत, पाकिस्तान के बीच सैन्य समझ का स्थायी प्रभाव होगा: महबूबा

file photo

पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने रविवार को उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक-दूसरे के खिलाफ सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए बनी सहमति का स्थायी प्रभाव होगा।

बारामूला में सीमावर्ती गांवों से विस्थापित लोगों से मिलने पहुंची महबूबा ने संवाददाताओं से कहा, "मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि यह संघर्ष विराम स्थायी हो जाए, क्योंकि संघर्ष की स्थिति में निर्दोष लोग अपनी जान और घर खो देते हैं।"

शनिवार को सैन्य समझौते के कुछ घंटों के भीतर हुए उल्लंघनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "तनाव कम होने में समय लगता है। हमें हर चीज पर उग्रवादी रवैया नहीं अपनाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि जब दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हों तो स्थिति को शांत करने में समय लगता है।

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पूर्ववर्ती राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार से विस्थापित लोगों के लिए व्यवस्था करने और उनके घरों के पुनर्निर्माण के लिए उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, "इन लोगों ने अपने घर खो दिए हैं। वे अपने घरों का पुनर्निर्माण करने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार से मेरा अनुरोध है कि वह उन्हें आवास उपलब्ध कराए और उनके घरों के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक मदद भी दे।"

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष ने कहा कि कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में स्थिति खराब है तथा पुंछ, राजौरी और जम्मू जिलों में भी स्थिति बेहतर नहीं है। महबूबा ने नियंत्रण रेखा के पास सलामाबाद का भी दौरा किया और लगातार सीमा पार से गोलीबारी के कारण शिविरों में शरण लेने को मजबूर परिवारों से मुलाकात की।

टिन की छत वाले आश्रय गृहों में बच्चों के बीच खड़ी होकर उन्होंने कहा, "ये बच्चे बदला लेने का इंतजार नहीं कर रहे हैं - वे शांति का इंतजार कर रहे हैं। युद्ध समाप्त करें। उन्हें जीने दें।" इससे पहले दिन में उन्होंने गोलाबारी में घायल हुए नागरिकों के बारे में जानकारी लेने के लिए बारामूला स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। उन्होंने घायलों को सहायता की पेशकश की तथा प्रशासन से उनके उचित उपचार एवं पुनर्वास सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, "हमारे घायल अस्पताल में पड़े हैं। हमारे परिवार आश्रय स्थलों में रह रहे हैं। हमारे घर मलबे में तब्दील हो गए हैं। यही कारण है कि कश्मीर युद्ध नहीं, शांति की मांग कर रहा है।" उन्होंने कहा, "जो लोग युद्ध का ढोल पीटते हैं, वे हमारे बच्चों को रोते हुए नहीं सुनते। वे हमारे माता-पिता को भय और क्षति के बोझ तले टूटते हुए नहीं देखते। हमें घर चाहिए, बंकर नहीं। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे बड़े हों - दफनाए न जाएं। युद्धोन्माद बंद होना चाहिए।"

उरी के निकट नियंत्रण रेखा पर अपने दौरे को याद करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने उन परिवारों से मुलाकात की, जो रातों-रात अपने घरों से भाग गए थे और उनके पास केवल मानसिक आघात था। पुरुष, महिलाएं और बच्चे - सभी संघर्ष से जख्मी हैं - बस बिना किसी डर के जीने के अधिकार के लिए तरस रहे हैं। यह दर्द राजनीतिक नहीं है; यह गहराई से मानवीय है। और यह असहनीय है।"

महबूबा ने कहा कि कश्मीर एक और युद्ध नहीं झेल सकता। "अब समय आ गया है कि इसे युद्धक्षेत्र में बदलने से रोका जाए। शांति को एक मौका दें - हमारे बच्चों का भविष्य इस पर निर्भर करता है।" राष्ट्रीय नेतृत्व से अपनी अपील को आगे बढ़ाते हुए महबूबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य निर्णयकर्ताओं से सैन्य वृद्धि के स्थान पर वार्ता को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

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OUTLOOK 11 May, 2025
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