पूरी दुनिया के मुकाबले अल्पसंख्यक भारत में ज्यादा सकुशल और सुरक्षित: वेंकैया नायडू
निवर्तमान उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो रहा है। इस मौके पर उन्होंने अपने भाषण में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हवाले से कहा कि किसी लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है? इससे एक दिन पहले ही उन्होंने राज्यसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना है।
उनके इस बयान के बाद भाजपा और शिवसेना की तरफ से बयानबाजी शुरू हो गई और लोगों ने हामिद अंसारी की आलोचना शुरू कर दी।
ताजा मामले में नव-निर्वाचित उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बिना नाम लिए अंसारी के बयान पर निशाना साधा। उन्होंने देश में अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना होने की बात को महज ‘राजनीतिक प्रचार’ बताकर खारिज कर दिया।
नायडू ने कहा, ‘‘कुछ लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। यह एक राजनीतिक प्रचार है। पूरी दुनिया के मुकाबले अल्पसंख्यक भारत में ज्यादा सकुशल और सुरक्षित हैं और उन्हें उनका हक मिलता है।’’ उन्होंने इस बात से भी इत्तेफाक नहीं जताया कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और कहा कि भारतीय समाज अपने लोगों और सभ्यता की वजह से दुनिया में सबसे सहिष्णु है। उन्होंने कहा कि यहां सहिष्णुता है और यही वजह है कि लोकतंत्र यहां इतना सफल है।
68 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अगर आप एक समुदाय को अलग करके देखेंगे तो दूसरे समुदाय इसे अन्यथा लेंगे। इसलिये हम कहते हैं कि सभी समान हैं। किसी का तुष्टिकरण नहीं सभी के लिए न्याय।’’ उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का प्रमाण है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (अल्पसंख्यकों को) संवैधानिक जिम्मेदारियों समेत अहम पद हासिल हुए हैं क्योंकि यहां कोई भेदभाव नहीं है, और ऐसा उनकी योग्यता के कारण संभव हुआ।’’ उन्होंने कहा कि भारत की विशिष्टता, विविधता में एकता और ‘सर्व धर्म सद्भाव’ है। भारत के खून और ज़हन में धर्मनिरपेक्षता है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपने राजनेताओं की वजह से नहीं बल्कि अपने लोगों और सभ्यता की वजह से धर्मनिरपेक्ष है।’’ कथित असहिष्णुता की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि भारत एक विशाल देश है और ‘इक्का-दुक्का मामले’ सामने आ सकते हैं जो ‘‘कुछ और नहीं अपवाद’’ हैं।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘समुदाय के आधार पर कोई भी साथी नागरिकों पर हमले को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता।’’ ऐसी घटनाओं की निंदा होनी चाहिए और संबद्ध अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए। देश के अगले उप-राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने से एक दिन पूर्व उन्होंने कहा कि राजनेताओं को उनकी सलाह है कि वे समुदायों को राजनीति में न घसीटें.