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12 November 2019

राष्ट्रपति शासन पर उद्धव ने कहा- हमें सिर्फ 24 घंटे दिए गए, एनसीपी बोली- अभी कोई फैसला नहीं

File Photo

सरकार गठन को लेकर गतिरोध के बीच महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति शासन को लेकर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल कीं। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही वहां की विधानसभा निलंबित अवस्था में आ गई है। राज्य में इस वक्त 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा है। 

राष्ट्रपति शासन पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राष्ट्रपति शासन दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन हमें उम्मीद है कि महाराष्ट्र को जल्द ही एक स्थिर सरकार मिलेगी। वहीं, एनसीपी-कांग्रेस ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अभी कोई फैसला नहीं हुआ  है। वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमें सरकार गठन का दावा पेश करने के लिए सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया।

राष्ट्रपति शासन लगाना लोकतंत्र का मजाक: एनसीपी-कांग्रेस

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राष्ट्रपति शासन लागू होने पर एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लोकतंत्र का मजाक उड़ाना है। सरकार गठन पर दोनों पार्टियों ने कहा कि सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद हम इस पर आगे बात करेंगे। हमारे बीच स्थितियां स्पष्ट होने के बाद शिवसेना को समर्थन देने पर बात की जाएगी और उससे भी स्थितियों को स्पष्ट किया जाएगा। इसके तुरंत बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि हमारी एनसीपी से बातचीत जारी है। हम अभी भी सरकार बनाने की स्थिति में हैं। 

हमें सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया: उद्धव

उद्धव ठाकरे ने कहा- भाजपा ने जब सरकार बनाने से इनकार किया तो हमें सोमवार 7:30 तक सरकार बनाने को लेकर मंशा जाहिर करने को कहा गया। कांग्रेस और एनसीपी ने हमसे संपर्क किया था। राज्यपाल से हमने सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की थी और आज भी हम सरकार बनाने की स्थिति में हैं।

उद्धव ने कहा- राकांपा से हमारी बातचीत चल रही है। कांग्रेस और राकांपा को जिस तरह से स्पष्ट हालात जानने के लिए समय की आवश्यकता थी, उसी तरह हमें भी वक्त की आवश्यकता थी। हमने 48 घंटे मांगे थे और हमें यह समय नहीं दिया गया। हमें सिर्फ 24 घंटे दिए गए।

शिवसेना अध्यक्ष ने कहा-  सरकार बनाने का हमारा दावा अभी भी कायम है। महाराष्ट्र में सरकार बनाना मजाक बात नहीं है। भिन्न विचारधारा के मुद्दे पर दल सरकार बनाना चाहते हैं तो चर्चा जरूरी होती है। राकांपा ने खुद कहा कि हमने संपर्क किया है। भाजपा कहती है कि हमारे पास समय नहीं था। समय हमारे पास था, लेकिन जिस तरह से हमसे बातचीत हो रही थी। वह हमें पसंद नहीं था।

उद्धव ने कहा- माननीय राज्यपाल महोदय ने 6 महीने दिए हैं। मैं तो लोकसभा के पहले भी उनसे अलग हो रहा था, वे लोग सामने से आए थे। जो खत्म किया है, वह भाजपा ने किया है और जो बातचीत हुई थी हम लोगों के बीच, उस पर अमल करो। 

शिवसेना ने 11 नवंबर को आधिकारिक तौर पर संपर्क किया: एनसीपी

एनसीपी-कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि हमें कोई जल्दी नहीं है। पहले हम गठबंधन के दलों के बीच सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करेंगे और इसके बाद शिवसेना से भी बातचीत की जाएगी। उनसे भी सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी और उसके बाद ही सरकार बनाने के बारे में आगे कोई फैसला लिया जाएगा। शिवसेना ने पहली बार कांग्रेस और राकांपा से पहली बार 11 नवंबर से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया था। अहम फैसला लेने से पहले जरूरी था कि सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण होना चाहिए। जिस तरह से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, उसकी हम आलोचना करते हैं। ये मनमाना तरीका है और इसकी हम निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश। 

न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टीकरण जरूरी: कांग्रेस

इसके बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि कल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा का शिवसेना की तरफ से पहली बार आधिकारिक तौर पर फोन किया गया था लेकिन यह गठबंधन के दूसरे दल से बात किए बिना तय नहीं किया जा सकता था। पहले हमारी बात हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएं। तब हम शिवसेना से भी बात कर लेंगे। एनसीपी से बात के बाद शिवसेना से बातचीत की कोशिश जल्द होगी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मुद्दों पर स्पष्टीकरण जरूरी है।

पीएम मोदी और शाह के दबाव में लगा राष्ट्रपति शासन: दिग्विजय सिंह

इस पर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी और गृह मंत्री के दबाव पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। उन्होंने कहा कि जब साढ़े आठ बजे तक का समय था तो इतनी जल्दबाजी क्यों थी? उन्होंने कहा कि मेरी पूरी सहानुभूति शिवसेना के साथ इस बात के लिए है कि अमित शाह ने उन्हें वादा किया था 50-50 का। दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा और दोनों को बहुमत मिला और अमित शाह ने वादा किया था कि ढाई-ढाई साल दोनों मुख्यमंत्री रहेंगे। यह बात शिव सेना के लोग बार-बार कह रहे हैं, लेकिन अमित शाह ने खंडन नहीं किया। इसका मतलब यह है कि वादा किया गया था और ये शुद्ध रूप से वादाखिलाफी है। केंद्र सरकार का महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को दबाव था। उन्होंने कहा कि एनसीपी-कांग्रेस की विचारधारा शिव सेना से मेल नहीं खाती, लेकिन शिव सेना में बदलाव आ रहा है।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर शिवसेना के वकील ने कहा, 'राष्ट्रपति शासन के बारे में मुझे जानकारी न्यूज चैनल से मिली है। इस पर कानूनी चर्चा होगी और अगर इस पर याचिका दाखिल करना जरूरी लगा, हम लॉ के मुताबिक कानूनी सहारा लेंगे।'

भाजपा और शिवसेना को राज्यपाल ने किया था आमंत्रित

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता सौंपा था। लेकिन भाजपा ने सरकार गठन की इच्छा जाहिर नहीं की। इसके बाद शिवसेना को न्योता दिया गया। लेकिन शिवसेना ने 2 दिन का वक्त मांगा था। राजभवन ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी से राज्यपाल ने सरकार बनाने की इच्छा के बारे में पूछा। एनसीपी ने कहा कि हमें मंगलवार रात 8:30 बजे तक का वक्त सौंपा गया है।

कांग्रेस ने नहीं लिया कोई फैसला

इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर सोमवार को विचार मंथन का काफी लंबा दौर चला और पार्टी की शीर्ष निर्णायक इकाई कांग्रेस कार्य समिति की भी बैठक हुई। लेकिन इसके बावजूद पार्टी में इस मुद्दे पर असमंजस की स्थिति कायम रही। कई घंटों के विचार मंथन के बाद पार्टी ने तय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ और विचार विमर्श किया जाएगा। साथ ही कांग्रेस ने सरकार में शामिल होने के अपने विकल्प खुले रखे हैं।

 

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TAGS: Congress leader, digvijay singh, president rule, maharashtra, pm modi, amit shah
OUTLOOK 12 November, 2019
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