भाजपा को गोरखपुर सीट पर हराने वाले प्रवीण निषाद अब भाजपा में ही हुए शामिल
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम में निषाद पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है। इसके साथ ही गोरखपुर से वर्तमान एसपी सांसद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। गोरखपुर में लोकसभा उपचुनाव के दौरान एसपी ने प्रवीण निषाद को उतारा था और उन्होंने जीत हासिल की थी। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सीट खाली की थी।
चुनाव लड़ने पर अभी संशय
सीटों की घोषणा न होने और पार्टी का नाम नहीं लिए जाने के कारण सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से अलग होकर निषाद पार्टी ने भाजपा में जाने के संकेत दिए थे, लेकिन पांच दिनों की रस्साकसी के बाद भी कोई अंतिम निर्णय की स्थिति नहीं बन सकी है। गुरुवार को भाजपा के यूपी प्रभारी जेपी नड्डा ने गोरखपुर के मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को भाजपा में शामिल करा लिया, लेकिन वह चुनाव कहां से लड़ेंगे, इस बारे में घोषणा नहीं की गई। इसके अलावा निषाद पार्टी एक और सीट मांग रही थी, लेकिन उस पर भी निर्णय नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकसभा सीट गोरखपुर से मौजूदा सपा के सांसद प्रवीण निषाद गोरखपुर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार होंगे या नहीं, इस बारे में भाजपा ने अभी आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की है।
निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद ने बताया कि उनकी पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ है, लेकिन यह तय नहीं है कि कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा।
सपा-बसपा गठबंधन से अलग हुई थी निषाद पार्टी
इससे पहले निषाद पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया था लेकिन चंद दिनों के अंदर ही पार्टी के संस्थापक संजय निषाद ने एसपी पर उनकी पार्टी की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। इसके बाद गोरखपुर सीट से एसपी ने सिटिंग एमपी प्रवीण निषाद का टिकट काटकर रामभुआल निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया था। निषाद पार्टी ने यह भी आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव गठबंधन की अपनी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती के दबाव में काम कर रहे हैं।
अहम है गोरखपुर सीट
गोरखपुर लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है, 1991 से लेकर 2014 तक के सभी लोकसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार की जीत हुई है। 1998 से लेकर 2017 तक उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सीट से सांसद रहे हैं और 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनको सांसद का पद छोड़ना पड़ गया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी से गठबंधन करते हुए अपने सिंबल से इंजीनियर प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा था। भाजपा की परंपरागत सीट पर उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की थी। इसके बाद निषाद पार्टी, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का हिस्सा मानी जा रही थी, लेकिन सीटों की घोषणा नहीं होने और रालोद की तरह गठबंधन में निषाद पार्टी का नाम नहीं लिए जाने के कारण निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद ने पाला बदल लिया। करीब पांच दिन पहले उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर भाजपा में आने के संकेत दिए थे।