प्रधानमंत्री का संबोधन पर्याप्त नहीं, ऑपरेशन सिंदूर पर पूरी बहस की जरूरत: ओडिशा कांग्रेस
ओडिशा प्रदेश कांग्रेस समिति (ओपीसीसी) ने सोमवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम पहला संबोधन देश के लोगों को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
ओपीसीसी के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने कहा कि देश के लोगों को यह जानना चाहिए कि क्या सरकार ने अपनी विदेश नीति में बदलाव किया है और भारत तथा पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दे में तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है।
दास ने पीटीआई से कहा, "मैं प्रधानमंत्री के बयान पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन बहुत सी बातें अनकही रह गईं। देश को पता होना चाहिए कि क्या सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर मामले में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति देती है। हमने अचानक वापसी कर ली है, जबकि हमारे सशस्त्र बल लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।"
उन्होंने दावा किया कि पूरा देश अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहादुरी को याद करता है। दास ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू से लेकर चंद्रशेखर तक सभी प्रधानमंत्रियों ने महत्वपूर्ण मोड़ पर कठोर फैसले लिए हैं और अचानक फैसले वापस लेने की कोई जरूरत नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा, "इस फैसले ने हमें कमजोर किया है, देश के गौरव को प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इन मुद्दों पर बात नहीं की। इसलिए, एक स्वस्थ बहस की जरूरत है। यह तभी संभव है जब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।" हालांकि, भाजपा सांसद सुजीत कुमार ने यह स्पष्ट करने के लिए मोदी को धन्यवाद दिया कि आतंक और बातचीत, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते।
बीजद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए कुमार ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के “परमाणु” ब्लैकमेल को समाप्त कर दिया है।