Advertisement
31 August 2018

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की अस्थियों पर राजनीति से खुद भाजपा के ही नेता आहत

इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि अजातशत्रु कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा शुचिता की राजनीति की, लेकिन उत्तराखंड में 19 अगस्त को इस जननायक की अस्थिकलश यात्रा पर भाजपा नेताओ ने श्रेय लेने और एक दूसरे को नीचा दिखने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। अस्थिकलश यात्रा शुरू करने के लिए एक नहीं तीन-तीन स्थल बदले गए, इस सियासी तिकड़मबाजी ने जनता के बीच भ्रम बनाये रखा। लेकिन हद तब हुई जब जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को भी बदलाव की खबर समय से नहीं मिली। इतनी अव्यवस्था फैल गयी कि अमित शाह नाराज हो उठे। उधर, कार्यक्रम बदलने के बाद शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और गायत्री परिवार ने इस यात्रा से खुद को अलग कर लिया।

इस पूरे घटनाक्रम का सबसे संवेदनशील पहलू यह रहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत तमाम दिग्गजों की मौजूदगी में प्रदेश भाजपाइयों ने वाजपेयी के अस्थिकलश से राजनीतिक अमृत की चाह में वो सब किया जो सामाजिक और नैतिक तौर पर लोगो का शर्मिंदा करने के लिए मजबूर कर गया। 16 अगस्त को जब एम्स दिल्ली में कवि ह्रदय राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतिम सांस ली तो सियासतदां ही नहीं देश का आमजन भी निशब्द हो गया। गम में अटल के अनुयायियों को 19 अगस्त को और आघात पहुंचा जब हरिद्वार में अस्थिकलश यात्रा पर प्रदेश भाजपा ने स्तरहीन राजनीति की। अस्थियों के विसर्जन को लेकर होड़ मची हुई थी, पार्टी के भीतर ही असहजता का महौल पैदा हो गया और प्रदेश भाजपा की गुटबाजी राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने ही खुलकर सामने आ गयी। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर पार्टी का कोई नेता तो नहीं बोला लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने खूब आक्रामकता दिखाई।

इस पूरे एपिसोड के पीछे हरिद्वार में दो कैबिनेट मंत्रियो मदन कौशिक व सतपाल महाराज के बीच चल रही वर्चस्व की जंग के रूप में देखा गया। कौशिक को मुख्यमंत्री का समर्थन है और महाराज को कई केंद्रीय नेताओ का वरदहस्त मिला माना जाता है। हालांकि भाजपा नेता आधिकारिक तौर गुटबाजी से इंकार कर रहे हैं।

Advertisement

अस्थिकलश यात्रा शुरू करने के लिए पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महारा के प्रेम आश्रम और बाद में गायत्री कुञ्ज परिवार के शांति कुंज आश्रम का चयन किया गया। लेकिन यहाँ से भी बदलाव कर दिया गया और यात्रा भल्ला कॉलेज के मैदान से शुरू हुई। परिणामस्वरूप शांतिकुंज प्रमुख डॉ पानव पंड्या व पूरे गायत्री परिवार ने अस्थिकलश यात्रा से दूरी बना ली थी। कार्यक्रम के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक हरिद्वार में अपने विरोधी कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के प्रेम आश्रम पहुंचे।

गुटबाजी की बानगी देखिये, कौशिक ने कहा कि महाराज से कोई मन मुटाव नहीं है और उनका यहां आश्रम में आना जाना लगा रहता है। उधर, महाराज ने कहा कि हमने तो मदन कौशिक को बुलाया ही नहीं। लेकिन इतने बड़े घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक सब चुप है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इतना भर कहा कि इस भावनात्मक मुद्दे को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Politics, controversy, former Prime Minister, Vajpayee, asthi kalash
OUTLOOK 31 August, 2018
Advertisement