बिहार में जातीय जनगणना के मुद्दे पर सियासत तेज, सीएम नीतीश कुमार का PM मोदी को पत्र, मांगा बातचीत का समय
जातीय जनगणना का मुद्दा बिहार में गर्म है और इस पर लगातार सियासत जारी है। आगामी सात अगस्त को तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी तो सीएम नीतीश कुमार ने भी नया सियासी दांव चल दिया है। सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को जातीय जनगणना के मुद्दे पर पीएम मोदी को पत्र लिखकर बातचीत का समय मांगा है। उन्होंने कहा कि अब जैसे ही समय मिलेगा वो उनसे मुलाकात करेंगे। सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के दांव-पेंच के बीच अब यह तय हो गया है कि जाति जनगणना का मामला अब ठंडे बस्ते में जाने वाला नहीं है।
इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वह जाति आधारित जनगणना की मांग को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे और इस मुद्दे पर असहमति की स्थिति में उनकी सरकार एक राज्य-विशिष्ट जनगणना के लिए 'विकल्प खुला' रखेंगी। उन्होंने संकेत दिया था कि यदि केंद्र जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है तो वह बिहार में जातीय आधार पर जनगणना के लिए विचार कर सकते हैं। बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) केंद्र और राज्य में भाजपा की सहयोगी है। उनके इस संकेत के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह बताना होगा कि हम इस मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं। यह केंद्र पर निर्भर करता है कि वह हमारे अनुरोध को स्वीकार करे या अस्वीकार करे। सभी जातियों की जनगणना से सामाजिक तनाव पैदा होने की आशंका को खारिज करते हुए कुमार ने कहा, 'जब विधानसभा ने सर्वसम्मति से दो मौकों पर इसके समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है, तो सभी दलों और सभी जातियों और धर्मों के सदस्यों ने इसका समर्थन किया. कोई संदेह नहीं होना चाहिए।'