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15 August 2019

लाल किले से पीएम मोदी- एक राष्ट्र एक संविधान अब हकीकत, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद का होगा गठन

ANI

73वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर पर बोलते हुए अनुच्छेद 370 से लेकर आतंकवाद, जनसंख्या विस्फोट, जल संकट, सैन्य सुधार और पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने के सपने से लेकर सभी अहम मुद्दे पर अपना विजन पेश किया। अनुच्छेद 370 पर उन्होंने सरकार की नीति को साफ करते हुए कहा कि 'एक राष्ट्र एक संविधान' अब हकीकत बन गया है। इसके अलावा उन्होंने सेना को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि एक नया पद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से यह छठा भाषण था, जो अभी तक का उनके द्वारा दिए गए भाषणों में से सबसे लंबा था।

अनुच्छेद 370, 35ए पर बोले पीएम मोदी

आजादी के बाद से अभी तक जिन्होंने देश के विकास में योगदान दिया है, उनको भी हम नमन करते हैं। नई सरकार को 10 हफ्ते भी नहीं हुए हैं लेकिन इतने कम समय में भी हर क्षेत्र में काम किया जा रहा है।10 हफ्ते के भीतर ही अनुच्छेद 370, 35ए का हटना सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों को साकार करने में एक कदम है। मुस्लिम बहनों के हित के लिए तीन तलाक को खत्म किया गया और बिल लाया गया।

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'अनुच्छेद 370 को अस्थायी क्यों बनाए रखा'

हम समस्याओं को टालते भी नहीं है और ना ही हम समस्याओं को पालते हैं। अब समस्याओं को टालने और पालने का वक्त नहीं है। जो काम 70 साल में नहीं हुआ वो हमारी सरकार बनने के 70 दिनों में संसद ने दो तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। आपने जो मुझे काम दिया है, उसे ही करने आया हूं।जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के सपनों को नए पंख मिले ये हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए 130 करोड़ लोगों को ये जिम्मेदारी उठानी है। इन व्यवस्थाओं ने अलगाववाद, आतंकवाद और परिवारवाद, भ्रष्टाचार, भेद-भाव की नींव को मजबूती देने का काम किया है। वहां की महिलाओं, दलितों, जनजातीय समूहों जैसे गुज्जर, बकरवालों, गद्दी, सिप्पी, बाल्टी को भी राजनीतिक अधिकार मिलने चाहिए। भारत विभाजन हुआ। लाखों लोगों का कोई गुनाह नहीं था। जो जम्मू-कश्मीर में आकर बसे उन्हें मानवीय अधिकार भी नहीं मिले। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सुख, समृद्धि और विकास के लिए योगदान दे सकते हैं। नई व्यवस्था नागरिकों के हितों के लिए है। वहां का सामान्य नागरिक दिल्ली सरकार को पूछ सकता है। उसे कोई रुकावट नहीं आएगी। सभी राजनीतिक दल कोई प्रखर तो कोई मूक रूप से इसे समर्थन देता रहा है लेकिन चुनाव की वजह से कुछ लोग अनुच्छेद 370 के पक्ष में कुछ कहते रहते हैं। अगर 370 से इतना फायदा होने वाला था तो आपने उसे अस्थायी क्यों बनाए रखा, उसे स्थायी कर देते?

चीफ ऑफ डिफेंस पद का गठन किया जाएगा

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सुरक्षाबलों, एजेंसियों, वर्दी में खड़े हर किसी ने अपना जीवन खपाया है। समय रहते इसमें रिफॉर्म की भी जरूरत है। सैन्य रिफॉर्म पर लंबे समय से चर्चा हो रही है। हमारी तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य है, इस पर हमें गर्व है लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है, युद्ध के दायरे बदल रहे हैं, टेक्नोलॉजी बदल रही है, भारत को टुकड़ों में नहीं सोचना होगा। तीनों एक साथ एक ऊंचाई पर आगे बढ़ें। हमने निर्णय किया है कि हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद का गठन करेंगे। इसके जरिए तीनों सेनाओं के ऊपर एक स्थायी नेतृत्व मिलेगा।

दुनिया आज असुरक्षा से घिरी हुई है। दुनिया के किसी न किसी भाग में किसी रूप में मौत का साया मंडरा रहा है। वैश्विक परिवेश में भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता। आतंकवाद को पनाह देने वाले, एक्सपोर्ट करने वाले ताकतों को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना, इसमें भारत अपनी भूमिका अदा करे। कई लोगों ने हमारे पड़ोस के देशों को भी आतंकवाद ने पीड़ित कर रखा है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका भी आतंकवाद से पीड़ित है। हमारा पड़ोसी मित्र अफगानिस्तान चार दिन बाद आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा। मैं उन्हें शुभकामना देता हूं।

'जनसंख्या विस्फोट आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा संकट'

जनसंख्या विस्फोट आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है। हमारे देश में एक जागरुक वर्ग है, जो इस बात को भली-भांति समझता है। वह शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि इसके लिए जो भूमिका है वह मैं अदा कर पाऊंगा या नहीं। इसका लेखा-जोखा करने के बाद एक वर्ग अपने परिवार को सीमित करके देश का भला करने में बड़ा योगदान देता है। छोटा परिवार रखकर वह देशभक्ति की ही अभिव्यक्ति करते हैं। हम सोचें कि जो शिशु हमारे घर आएगा, क्या उसे समाज पर छोड़ देंगे? उसके नसीब पर छोड़ देंगे? जिन लोगों ने ऐसा किया है, उनके सम्मान की आवश्यकता है। सरकारों को भी इसके लिए आगे आना होगा। हम अस्वस्थ, अशिक्षित समाज नहीं सोच सकते। सपनों को पूरा करने का सामर्थ्य व्यक्ति और परिवार से शुरू होता है।

 जल जीवन मिशन की घोषणा

 हर सरकार ने अपने तरीके से प्रयास किए हैं। आज करीब आधे घर ऐसे हैं, जहां पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। माताओं-बहनों को मटके लेकर दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर जाना पड़ता है। हर घर को जल कैसे मिले, पीने का शुद्ध पानी कैसे मिले हम आने वाले दिनों में 'जल जीवन मिशन' को लेकर आगे बढ़ेंगे। हर घर जल के लिए हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया। राज्य और केंद्र मिलकर इसे करेंगे। साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे।

बारिश की बूंदों का संचयन, किसानों को लिए माइक्रो इरिगेशन, पानी बचाने के लिए नागरिक संवेदनशील बनें, बच्चों को पानी के महात्म्य की शिक्षा दी जाए, पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए। 70 साल में जो काम हुआ है पांच साल में चार गुने से ज्यादा तेजी से काम करना होगा। हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।

'हमने कई अच्छे पदों पर बैठे लोगों की छुट्टी की' 

भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद दीमक की तरह हमारे जीवन में घुस गया है। इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। सफलता भी मिली है लेकिन ये बीमारी इतनी फैली हुई है कि हमें प्रयास करते रहना पड़ेगा। टेक्नोलॉजी के जरिए हमने इसे खत्म करने की कोशिश की है। ईमानदारी, पारदर्शिता पर बल दिया गया है। सरकार आते ही अच्छे पदों पर बैठे लोगों की छुट्टी कर दी गई। व्यवस्थाओं में बदलाव होना चाहिए लेकिन साथ ही समाज और जीवन में भी बदलाव होना चाहिए। आम लोगों के जीवन से सरकारों का दखल कम होना चाहिए। हमने कई गैर जरूरी कानूनों को खत्म किया है। हमने 1450 कानून खत्म किए हैं। दस हफ्तों में 60 कानूनों को खत्म किया है। हम ईज ऑफ लिविंग पर बल देना चाहते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हम प्रगति कर रहे हैं। सामान्य आदमी को सरकारी काम के लिए मशक्कत ना करनी पड़े। इंक्रीमेंटल प्रोगेस का इंतजार देश नहीं कर सकता। हमें छलांग लगानी पड़ेगी। सौ लाख करोड़ रुपये आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे।

'तीन तलाक के डर में जीती थीं मुस्लिम माताएं-बहनें'

मुस्लिम माताओं-बहनों को अगर तीन तलाक ना भी दिया गया हो तो भी उन्हें डर लगा रहता था कि कहीं तीन तलाक देकर उन्हें छोड़ ना दिया जाए। दुनिया के कई इस्लामिक देशों ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म कर दिया। हमारी मुस्लिम माता, बहनों को हक देने में हिचकिचाते थे। अगर हम सती प्रथा, बाल विवाद, दहेज के खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं तो क्यों ना हम तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाएं। हमारी मुस्लिम बहनें भी भारत के विकास में सक्रिय भागीदार बनें इसलिए हमने ये निर्णय किया है।

'पांच ट्रिलियन इकॉनमी हमारा सपना'

पांच ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का सपना हमने संजोया है। यह कईयों को मुश्किल लगता है लेकिन अगर मुश्किल काम नहीं करेंगे तो देश आगे कैसे बढ़ेगा। हमें हमेशा ऊंचे लक्ष्य रखने चाहिए लेकिन हमारे लक्ष्य हवा में नहीं हैं। पांच साल में हमने दो ट्रिलियन डॉलर को तीन ट्रिलियन डॉलर में बदल दिया।पचहत्तर साल जब हम पूरे करें तो हर गांव में बिजली हो, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी हो। हम ब्लू इकॉनमी, मछुआरे भाईयों की प्रगति पर ध्यान दें। किसानों के द्वारा पैदा की गई चीजों का दुनिया में डंका बजे। हम दुनिया के बाजार में पहुंचने की कोशिश करें। 

'कई देशों की जो ताकत है, वो हमारे जिलों में है'

जो कई देशों की ताकत होती है वो हमारे कई जिलों में होती है। हर जिले की अपनी विशेषता है। किसी के पास इत्र की पहचान है, किसी की साड़ियां, किसी के बर्तन, किसी की मिठाई पहचान है। इस विविधता को दुनिया से परिचित करने के लिए एक्सपोर्ट पर ध्यान देंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा। टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर बल देना है।व्यापार करने के लिए विश्व हमसे जुड़ना चाहता है। हमने महंगाई को कंट्रोल भी किया और विकास दर को आगे भी बढ़ाया है। हमारे फंडामेंटल मजबूत हैं। जीएसटी जैसे रिफॉर्म नया विश्वास पैदा करते हैं। दुनिया के हर देश में भारत का कुछ ना कुछ बिकता है। हमारे निवेशक ज्यादा निवेश करें, ज्यादा रोजगार पैदा करें इसके लिए हम आगे आने को तैयार हैं। वेल्थ क्रिएट नहीं होगी तो डिस्ट्रिब्यूट नहीं होगी। वेल्थ क्रिएशन हमारे देश के लिए अहमियत रखता है।

'गरीबी से मुक्ति पर बल देना होगा'

देश को विश्व के अंदर अपना स्थान बनाना है। अपने घर में हमें गरीबी से मुक्ति पर बल देना होगा। भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हमें गरीबी से मुक्त होना होगा। गरीबों की रोजमर्रा की कठिनाईयों को हम दूर करें। क्या कारण है कि उनके पास शौचालय, बैंक में खाता, बिजली, घर ना हो और साहूकार के पास उसे सब कुछ गिरवी रखना पड़े। इस दो अक्टूबर हम क्या सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए पहला मजबूत कदम उठा सकते हैं क्या? हम इन प्लास्टिक के रिसायकल के लिए क्या करें? डिजिटल पेमेंट को हां कहना होगा। 

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TAGS: Primeminister narendra modi, speech, 73rd independece day
OUTLOOK 15 August, 2019
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