एनसीपी के दो गुटों में पार्टी के नाम, चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद; आज चुनाव आयोग करेगा सुनवाई

भारत का चुनाव आयोग पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावों को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों की याचिका पर आज सुनवाई करेगा। एनसीपी के एक गुट का नेतृत्व शरद पवार और दूसरे का नेतृत्व महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अजीत पवार और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के नेतृत्व वाले गुटों में जारी लड़ाई के बीच, जूनियर पवार ने जुलाई में चुनाव आयोग से संपर्क कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और पार्टी के चिन्ह पर अपने गुट का दावा पेश किया था।
बाद में, चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को पत्र लिख कर स्वीकार किया कि पार्टी में विभाजन हो गया है और साथ ही शरद पवार व अजीत पवार, दोनों को मतदान निकाय को सौंपे गए दस्तावेजों को एक-दूसरे के साथ साझा करने का निर्देश दिया।
अब शुक्रवार को यानी आज इस मामले में पहली बार भारत का चुनाव आयोग सुनवाई करेगा। बता दें कि आयोग ने अजीत पवार गुट की याचिका के बाद जुलाई में शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
याचिका में दावा किया गया कि अजित पवार को राकांपा अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के प्रावधानों के अनुसार पार्टी का प्रतीक आवंटित किया जाना चाहिए।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने पिछले महीने कहा था कि पार्टी में कोई अंदरूनी कलह नहीं है। उन्होंने कहा था कि पार्टी की स्थापना वरिष्ठ नेता शरद पवार ने की थी और यह स्पष्ट है कि चिन्ह भी उन्हीं के पास रहेगा।
सुले ने कहा, "एनसीपी में कोई लड़ाई नहीं है। पार्टी की स्थापना 25 साल पहले शरद पवार ने की थी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर कोई जानता है कि एनसीपी का मतलब शरद पवार है। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार हैं, और महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल हैं। इसके (चिह्न) जाने का कोई सवाल ही नहीं है। पार्टी शरद पवार ने बनाई थी, इसलिए यह चिन्ह उनके पास ही रहना चाहिए, यह स्पष्ट है।"
जबकि अजीत पवार ने कहा था कि वह चुनाव आयोग के अंतिम फैसले को स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग अंतिम निर्णय देगा। तारीखें मिलने के बाद दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व चुनाव आयोग के समक्ष किया जाएगा। उसके बाद जो अंतिम निर्णय आएगा, मैं उसे स्वीकार करूंगा।"
अजीत पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी और जब उन्होंने 2 जुलाई को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनका नोटिस 5 जुलाई को चुनाव आयोग के कार्यालय में पहुंचा। जूनियर पवार ने अपने दावे के समर्थन में सांसदों, विधायकों और एमएलसी के हलफनामों के साथ याचिका दायर की थी।