महाराष्ट्र में ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर अड़ी शिवसेना, कहा- लिखकर दे भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की चुनौती अभी भी बनी हुई है। चुनाव में उसकी सहयोगी शिवसेना के नई सरकार में बराबर की हिस्सेदारी मांग रही है। शिवसेना की तरफ से फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूले को अपनाने की बात कही जा रही है। शनिवार को शिवसेना ने अपना स्टैंड और तल्ख करते हुए कहा कि उसे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहिए और भाजपा नेतृत्व को यह लिखित में देना होगा। महाराष्ट्र में साथ मिलकर चुनाव लड़ी बीजेपी को 105, जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। इस तरह गठबंधन के पास बहुमत के लिए जरूरी 145 का आंकड़ा मौजूद है, लेकिन शिवसेना के बदले रुख ने सरकार गठन पर सस्पेंस पैदा कर दिया है।
शिवसेना की विधायक दल की बैठक
मुंबई उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री में शनिवार दोपहर शिवसेना के विधायक दल की बैठक हुई। शिवसेना नेता प्रताप सरनायक ने बैठक के बाद मीडिया को बताया, 'हमारी मीटिंग में तय हुआ है कि जैसा कि अमित शाह जी ने लोकसभा चुनाव से पहले 50-50 फॉर्म्युले का वादा किया था, उसके हिसाब से दोनों दलों को 2.5-2.5 साल सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। शिवसेना का सीएम भी होना चाहिए। उद्धव जी को बीजेपी से लिखित आश्वासन मिलना चाहिए।'
कांग्रेस ने दिया शिवसेना को समर्थन का संकेत
बीजेपी-शिवसेना के रिश्तों में तनाव को देख महाराष्ट्र कांग्रेस ने संकेत दिया कि वह शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे सकती है। कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वाडेत्तिवार ने शनिवार को कहा, 'गेंद बीजेपी के पाले में है। शिवसेना को फैसला लेना है कि क्या वह अपना पांच साल का सीएम चाहती है या 2.5 साल के सीएम की मांग पर बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगी। अगर सेना हमें कोई प्रस्ताव देती है तो हम उस पर अपने आलाकमान के साथ बात करेंगे।'
क्या है फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूला
महाराष्ट्र में शिवसेना की ओर से उछाला गया फिफ्टी-फिफ्टी का फॉर्मूला नया नहीं है। यह फॉर्मूला 1999 में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने शिवसेना को दिया था। इसके हिसाब से दोनों दल सत्ता में बराबर के भागीदार होंगे और ढाई-ढाई साल के लिए दोनों का मुख्यमंत्री होगा। इस पर तब शिवसेना राजी नहीं हुई थी। ऐसे में गठबंधन सरकार नहीं बनी थी। इस बार फिफ्टी-फिफ्टी की यह शर्त शिवसेना की ओर से रखी गई है और बीजेपी इस पर सहमत नहीं दिख रही है।