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22 October 2018

अमृतसर रेल हादसे पर शिवसेना का केंद्र पर हमला, कहा- ये खून से सने 'अच्छे दिन'

File Photo

दशहरे के मौके पर रावण दहन के दौरान अमतृसर में हुए रेल हादसे पर हर तरफ से राजनीति हो रही है, 70 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है। इस बीच केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना ने कहा है कि ये खून से सने अच्छे दिन हैं।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में 'रक्तरंजित अच्छे दिन' शीर्षक के साथ लिखा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिलाने वाला भयंकर मामला पंजाब में घटित हुआ है। जलियांवाला बाग अंग्रेजी शासन में हुआ था, अमृतसर का हत्याकांड स्वराज में हुआ है। ऐसे में आजादी प्राप्त होने के बावजूद चीटियों और कीड़े मकौड़ों की मौत मरना जनता की किस्मत बनी हुई है।'

सत्ताधारी 'बुलेट ट्रेन' के नाम पर डांडिया खेलते हैं

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सामना में आगे शिवसेना ने लिखा, 'लोग खेत में मर रहे हैं, सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में और रेल हादसों में मरना तो हमेशा की बात हो गई है। विकास और प्रगति की बात हम करते हैं लेकिन रेलवे प्रणाली पूरी कबाड़ में चली गई है। सिग्नल प्रणाली, दरार पड़ी पटरियां, लड़खड़ाते टाइमटेबल के बावजूद सत्ताधारी 'बुलेट ट्रेन' के नाम पर डांडिया खेलते हैं तो इस पर आश्चर्य होता है।'

रेल हादसे पर रेल मंत्री इस्तीफा देकर दूसरे विभाग में चला जाता है

शिवसेना ने आगे लिखा, 'कहीं कोई बड़ा रेलवे हादसा हो तो रेल मंत्री इस्तीफा देकर दूसरे विभाग में चला जाता है। यह परंपरा बन गई है। सुरेश प्रभु गए, उनके स्थान पर पीयूष गोयल आए, रेलवे की सेवा सुरक्षित और अनुशासित होगी, ऐसा कहा। मगर इसकी तुलना में कल कोहराम ठीक था, ऐसा कहने की नौबत आ गई है।'

सामना में आगे लिखा है, 'अमृतसर दुर्घटना की न्यायालयीन जांच होगी उससे क्या होगा? रामलीला में रावण दहन का समारोह ही हादसे का कारण बना। रावण की भूमिका निभाने वाला कलाकार भी हादसे में मारा गया लेकिन उसने कई लोगों की जान बचाई। रावण की इस शहादत की तो कम से कम कुछ इज्जत करो। अन्यथा अमृतसर, पटना और मुंबई की तरह दुर्घटनाएं होती रहेंगी। अमृतसर की रेल पटरियों पर जो हुआ वो रक्तरंजित अच्छे दिन की करुण चीत्कार थी। प‌रिजन के आंसू कैसे पोछोगे?'

हमेशा धीरे चलने वाली ट्रेन हादसे के दिन तेज स्पीड से क्यों आई: सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल उठाए कि हमेशा धीमे चलने वाली ट्रेन, तेज रफ्तार से कैसे आई? इसे लड्डू ट्रेन कहा जाता है क्योंकि ये हमेशा 30 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है लोग इसमें चलते-चलते सवार हो जाते हैं। हमेशा 30 किलोमीटर प्रति घंटा वाली ट्रेन हादसे वाले दिन ट्रेन 110 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी तो क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी। हादसे से पहले 2 ट्रेनें उसी पटरी से गुजरीं जो 25 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की स्पीड से गई थीं। रेलवे फाटक के पास हादसा रोकने की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं तो किसकी थी और रेलवे फाटक से 300 मीटर दूर ट्रेन ने हॉर्न क्यों नहीं बजाया।

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TAGS: Shiv Sena, targets, Centre government, Amritsar rail accident, These bloody, 'good days'
OUTLOOK 22 October, 2018
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