BSP गठबंधन पर बोले अखिलेश, 'आज आंबेडकर-लोहिया का सपना पूरा करने का अवसर मिला है'
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से गठबंधन की अपनी ख्वाहिश की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज आंबेडकर और लोहिया के सपने को पूरा करने का मौका मिला है। अखिलेश ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर और समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने न्याय और एकता के जरिए देश का भविष्य मजबूत बनाने की लड़ाई मिलकर लड़ने का फैसला किया था और आज वह सपना पूरा करने का मौका मिला है।
अखिलेश ने कहा कि देश का भविष्य आर्थिक समानता, सामाजिक न्याय और एकता से ही मजबूत बनाया जा सकता है। यही सपना आंबेडकर और लोहिया ने भी देखा था। दोनों ने 1956 में एक दूसरे को पत्र लिखकर तय किया था कि वह मिलकर यह लड़ाई लड़ेंगे। मगर, अफसोस कि दिसंबर 1956 में बाबा साहब का देहांत हो गया, लेकिन आज हमें वह सपना पूरा करने का अवसर मिला है।
जब अखिलेश ने की पीएम मोदी के बयान की आलोचना
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने एसपी-बीएसपी के अघोषित तालमेल को 'दलदल' कहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी देश में विपक्ष लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा होता है लेकिन बड़े दुख की बात है कि जिन विपक्षी दलों को सरकार का विवेक और उसका जमीर माना जाता है, आज उन्हीं विपक्षी दलों को दलदल बताया जा रहा है।
‘मुल्क को तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ाने में करोड़ों हिन्दुस्तानियों का योगदान’
अखिलेश ने कहा,‘देश को आजादी दिलाने और उसके बाद मुल्क को तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ाने में करोड़ों हिन्दुस्तानियों का योगदान रहा है लेकिन आज हमारे पुरखों की मेहनत पर यह कहकर पानी फेरा जा रहा है कि बीते 71 सालों में देश में कुछ हुआ ही नहीं।’
स्वतंत्रता दिवस पर अपने संदेश के दौरान अखिलेश ने कहा कि आज लोकतंत्र के हर स्तंभ पर गहरी चोट की जा रही है। अधिकारी वर्ग अपनी निष्पक्षता खोता जा रहा है। न्यायपालिका का हाल यह है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश लोकतंत्र के खतरे में होने की बात कह रहे हैं और चौथे स्तंभ की वर्तमान स्थिति को तो पूरा देश देख ही रहा है।
‘2019 में पहली बार मतदान करने वाले पौने दो करोड़ युवाओं के लिए क्या व्यवस्थाएं’
अखिलेश ने कहा कि 2019 में पौने दो करोड़ युवा पहली बार मतदान करेंगे। केंद्र सरकार आखिर उनके भविष्य के लिए क्या व्यवस्थाएं तैयार कर रही है। यह एक बड़ा सवाल है। बढ़ती बेरोजगारी से देश के युवा बेचैन हैं, लेकिन इससे निपटने के बजाय सरकार नफरत की आग लगाए जा रही है ताकि असली मुद्दे उसमें जलकर खाक हो जाएं।
उन्होंने कहा कि आज आंकड़ों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है लेकिन अगर सच्चाई मालूम करनी हो तो आप किसानों का दुख सुनिए, मजदूरों का दर्द देखिये और गरीबों से पूछिए कि अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आया है।