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05 August 2019

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का बिल राज्यसभा में पास, पक्ष में पड़े 125 वोट

File Photo

जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित कर दिया। इस बिल के तहत लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया जाएगा और दोनों केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इसके पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण वाला विधेयक भी पास हो गया है। पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में यदि हालात सुधरते हैं तो सूबे को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।

'श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया बलिदान'

अमित शाह ने आर्टिकल 370 हटाने को लेकर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में विकास का रास्ता यहीं से होकर जाता है। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि जम्मू-कश्मीर में लंबे रक्तपात का अंत आर्टिकल 370 समाप्त होने से होगा। हमारे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए बलिदान दिया। हम उन्हें याद करना चाहते हैं। 

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'हालात सुधरे तो देंगे पूर्ण राज्या का दर्जा'

राज्यसभा में गृह मंत्री ने कहा कि आर्टिकल 370 बनाए रखने की वकालत करने वाला क्या कोई भी नेता इसके पक्ष में दलीलें दे सकता है। इससे जम्मू-कश्मीर और भारत को इससे क्या लाभ है, यह बात कोई मुझे बता सकता है क्या? उन्होंने कहा, '1989 से 2018 तक राज्य के 41,849 लोगों की जान चली गई। यदि आर्टिकल 370 न होता तो उन लोगों की जानें न जातीं।' शाह ने कहा कि विपक्ष की ओर से ऐतिहासिकता की बात की गई, लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि 370 से भारत और जम्मू-कश्मीर को क्या मिलने वाला था। आने वाले दिनों में यदि हालात सुधरते हैं तो सूबे को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर में गरीबी के लिए 370 को जिम्मेदार ठहराते हुए शाह ने कहा, '2004 से 2019 तक 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपया प्रदेश को भेजा गया, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दिखता है। 2011-12 में 3,687 करोड़ रुपया भेजा गया। हर आदमी के लिए 14,000 रुपया था, लेकिन कुछ न पहुंचा। इसी तरह 2017-18 में 27,000 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया गया, लेकिन न जाने कहां रुपया चला गया।'

शरणार्थियों ने दिए दो पीएम, कश्मीर में नागरिकता नहीं

अमित शाह ने कहा कि भारत-पाक विभाजन के बाद देश भर में शरणार्थी आए, लेकिन कश्मीर गए लोगों को आज तक नागरिकता नहीं मिल सकी। इस देश को दो प्रधानमंत्री पाक से आने वाले लोगों ने दिए, लेकिन जम्मू-कश्मीर में शरण लेने वाले लोग वहां काउंसलर तक नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि 370 जाएगा तो कयामत आ जाएगी। मैं आपके माध्यम से देश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को बताना चाहता हूं कि इससे सूबे में लोकतंत्र पैदा नहीं हुआ। करप्शन बढ़ा और घाटी में गरीबी घर कर गई। शिक्षा संस्थानों में कमी भी 370 की वजह से ही है।

शाह बोले, लोहिया भी थे 370 हटाने के पक्ष में

राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, '1964 में लोकसभा में एक चर्चा हुई। इसमें राम मनोहर लोहिया जी कहा कि जब तक आर्टिकल 370 है, तब तक भारत और जम्मू-कश्मीर का एकीकरण नहीं हो सकता। तब गुलजारी लाल नंदा ने इस बात को उचित समय आने पर फैसला लेने की बात कहकर टाल दिया। यह उचित समय अब आया है, जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं।'

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TAGS: The Jammu & Kashmir Reorganisation Bill, Rajya Sabha
OUTLOOK 05 August, 2019
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