मॉब लिंचिंग के खिलाफ 49 हस्तियों के समर्थन में नुसरत जहां, ट्वीट किया लेटर
पिछले दिनों मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जताते हुए अलग-अलग क्षेत्रों की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। पीएम को संबोधित करते हुए इस चिट्ठी में 'जय श्रीराम' के नारे का गलत इस्तेमाल कर लोगों के हिंसा करने पर चिंता जताई गई है और इस पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है। अब इस लिस्ट में ऐक्ट्रेस और बशीरहाट से सांसद नुसरत जहां का भी नाम जुड़ गया है।
नुसरत ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस संबंध में एक लेटर शेयर किया है। इस लेटर में नुसरत ने कथित गोरक्षकों द्वारा दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ की जाने वाली हिंसक वारदातों पर चिंता जताई है। नुसरत ने इन घटनाओं पर सरकार के उदासीनता बरतने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने मॉब लिंचिंग करने वाले लोगों को देश का दुश्मन और आतंकवादी भी कहा है।
‘मजहब नहीं सिखाता…’
अपने शेयर किए गए लेटर के अंत में नुसरत ने लिखा, 'सिर्फ इंसानियत के नाते- गाय के नाम पे, भगवान के नाम पे, किसी की दाढ़ी पे तो किसी की टोपी पे ये खून खराबा बंद करें क्योंकि मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हैं, ये हिदोस्तां हमारा।'
कानून बनाने की मांग
पिछले दिनों देशभर की 49 हस्तियों ने पीएम मोदी के नाम चिट्ठी लिखी थी। इन हस्तियों में समाज सेवक, बुद्धिजीवी, फिल्मकार और कलाकार शामिल हैं। इस चिट्ठी में देशभर में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताई गई थी। साथ ही मांग की गई है कि ऐसे अपराध को गैर-जमानती बनाया जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए।
इस पत्र में लिखा गया है कि इन दिनों देश में धर्म और जात-पात और मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले देश में बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि आपने मॉब लिंचिंग और इस तरह के मामलों को संसद में उठाया है लेकिन संसद में उठाना ही काफी नही है आपको इन मामलों पर कड़े कानून बनाने चाहिए ताकि इन बढ़ते मामलों की संख्या बढ़ने की बजाए कम हो लेकिन ऐसा नही हुआ।
अनुराग कश्यप समेत इन हस्तियों ने लिखी चिट्ठी
अदूर गोपालकृष्णन, मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, बिनायक सेन, सौमित्र चटर्जी, अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रेवती, श्याम बेनेगल, शुभा मुद्गल, अनुपम रॉय जैसी 49 हस्तियों के हस्ताक्षर से जारी की गई चिट्ठी में एंटी नेशनल और अर्बन नक्सल का टैग लगाने पर भी चिंता जताई गई है। साथ ही कहा गया है कि देश में एक ऐसा माहौल होना चाहिए जहां असहमति को कुचला नहीं जाना चाहिए।
'असहमति देश को और ताकतवर बनाती है'
इन हस्तियों ने कहा कि असहमति देश को और ताकतवर बनाती है। पत्र में लिखा गया है, “अफसोस की बात है कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर खुलेआम देश में हिंसा हो रही है। लोगों को अपने ही देश में एंटी नेशनल, अर्बन नक्सल कहा जा रहा है।”
'हमारा संविधान भारत को एक सेकुलर गणतंत्र बताता है'
इस चिट्ठी में लिखा है कि हमारा संविधान भारत को एक सेकुलर गणतंत्र बताता है, जहां हर धर्म, समूह, लिंग, जाति के लोगों के बराबर अधिकार है। चिट्ठी में में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर कहा है गया है कि 1 जनवरी 2009 से लेकर 29 अक्टूबर 2018 के बीच धर्म की पहचान पर आधारित 254 अपराध दर्ज किए गए, इस दौरान 91 लोगों की हत्या हुई और 579 लोग घायल हुए। मुसलमान जो भारत की आबादी के 14 फीसदी है वे ऐसे 62 फीसदी अपराधों के शिकार बने, जबकि क्रिश्चयन जिनका आबादी में हिस्सा 2 फीसदी है वे ऐसे 14 फीसदी अपराध के शिकार हुए। इन घटनाओं के लिए पीएम मोदी ने क्या किया?
'हम ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाए'
पत्र में लिखा गया है, "ऐसा जुर्म करने वालों के खिलाफ क्या कदम उठाया गया है, हम ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाए और दोषियों को ऐसी सजा दी जाए जो नजीर बन जाए. जब हत्या के दोषियों को बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है तो लिंचिंग के मामले में ऐसा क्यों नहीं ह सकता है, जो कि और भी घृणित अपराध है? हमारे देश के किसी नागरिक को डर और खौफ में रहने की जरूरत नहीं है!"