सपा-बसपा गठबंधन पर बोले योगी, यह जातिवादी और भ्रष्टाचारी लोगों की मानिसकता का गठजोड़
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबंधन हो गया है। शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया। दोनों पार्टियां 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। दोनों पार्टियों ने रायबरेली और अमेठी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी है। वहीं, दो अन्य सीट सहयोगियों को दी जाएंगी। गठबंधन के बाद सपा-बसपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है।
सभी पार्टियां साथ आ जाएं, तब भी हम जीतेंगे: भाजपा
वहीं, इस चुनावी गठबंधन पर भाजपा ने निशाना साधते हुए कहा कि एक दूसरे पर हत्या का आरोप लगाने वाली पार्टियां एक साथ आ गई हैं। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘दोनों पार्टियां सिर्फ अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए एक साथ चुनाव लड़ रही हैं। ये पार्टियां पहले एक दूसरे पर हत्या का आरोप लगाती रही हैं। बहरहाल, यह उनकी चॉइस है। हम आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। यहां तक कि सारी पार्टियां एक साथ आ जाएं, तब भी हम जीतेंगे।‘
अवसरवादी लोगों की मानसिकता का गठबंधन: योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह जातिवादी, भ्रष्टाचारी और अवसरवादी लोगों की मानसिकता का गठबंधन है, जो विकास और सुशासन नहीं चाहता। जनता सब जानती है और यह इस गठबंधन को जवाब मिलेगा।
जरूरत हुई तो अपने दम पर लड़ेगी कांग्रेस: चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि शायद यह अंतिम फैसला नहीं है। चुनाव नजदीक आने पर हो सकता है कि पुनर्विचार हो। उत्तर प्रदेश में एक बड़ा गठबंधन बनेगा। अगर जरूरी हुआ तो कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
केवल सेक्युलर फ्रंट ही भाजपा को हरा सकता है: शिवपाल
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा, ‘यह गठबंधन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बगैर अधूरा है। केवल एक सेक्युलर फ्रंट ही भाजपा को हरा सकता है।‘
पूरे देश में गठबंधन की जरूरत: कांग्रेस
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, आज पूरे देश में गठबंधन की जरूरत है। 2014 में भाजपा को सिर्फ 31 फीसदी वोट मिले थे और उन्होंने दावा किया कि यह लोगों का मत है। यह वोटों के बंटवारे की वजह से हुआ।
कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने भाजपा को हराया था: मायावती
मायावती ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, दोनों गुरु-चेले की नींद उड़ाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस है। मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने मिलकर 1993 में भाजपा को हराया था। हम भी ऐसा करने जा रहे हैं।
‘गेस्ट हाउस कांड से ऊपर जनहित के लिए गठबंधन’
उन्होंने कहा कि जनहित में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ। भाजपा के तानाशाही रवैये से जनता परेशान है। लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से भी ऊपर उठकर यह गठबंधन हो रहा है। उन्होंने कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन स्थायी है। 2019 में ही नहीं हम 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ में लड़ेंगे। इसके बाद भी हम साथ में चुनाव लड़ेंगे।
‘कांग्रेस ने लगाया था घोषित आपातकाल’
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हमें कांग्रेस को गठबंधन में शामिल कर कुछ हासिल नहीं होगा। सपा-बसपा दोनों ने अनुभव किया है कि कांग्रेस का वोट ट्रांसफरेबल नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्ता में कोई भी रहे, नीति एक ही रहती है। कांग्रेस ने तो घोषित तौर पर आपातकाल लगा दिया था लेकिन फिलहाल अघोषित आपातकाल है।
मायावती का अपमान मेरा अपमान: अखिलेश
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मायावती जी पर भाजपा नेताओं ने अशोभनीय टिप्पणियां की। इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मैं बता देना चाहता हूं कि मायावती जी का सम्मान मेरा सम्मान है। उनका अपमान मेरा अपमान है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के अहंकार को हराने के लिए बसपा और सपा का साथ आना जरूरी था। भाजपा हमारे कार्यकर्ताओं में मतभेद पैदा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। हमें एकजुट होना होगा और ऐसी किसी भी रणनीति का मुकाबला करना होगा।
'यूपी ने दिए हैं कई पीएम'
अखिलेश यादव से जब इस बारे में पूछा गया कि क्या वो प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती का समर्थन करेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि आप मेरी पसंद जानते हैं। उत्तर प्रदेश से देश के कई प्रधानमंत्री बने हैं और हम उसे फिर से दोहराने जा रहे हैं।
भाजपा के लिए चुनौती होगा गठबंधन
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। सपा-बसपा के साथ आने से अब भाजपा के लिए 2014 में किए गए प्रदर्शन को दोहराना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। बसपा-सपा और रालोद ने साथ मिलकर उपचुनाव लड़ा था जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट और उप-मुख्यमंत्री की फूलपुर सीट से सपा प्रत्याशियों को जीत मिली थी। जबकि कैराना सीट पर रालोद ने जीत दर्ज की थी।
पिछले चुनावों में भाजपा को 71 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन मायावती की पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी थी। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 5 सीटें आई थीं। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी की सीटें जीती थीं।