बसपा गठबंधन के खिलाफ नहीं, लेकिन सम्मानजनक सीट ना मिलने पर अकेले लड़ेगी चुनाव: मायावती
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को अपने नए बंगले 9 मॉल एवेन्यू से मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कहा कि बसपा गठबंधन के खिलाफ नहीं है। लेकिन बसपा सम्मानजनक सीट मिलने पर ही साथ लड़ेगी। सम्मानजनक सीट ना मिलने पर बसपा अकेले लड़ेगी।
‘जबरदस्ती कुछ युवा मुझे अपनी बुआ बता रहे हैं’
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मायावती ने चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण से कोई रिश्ता ना होने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह करोड़ों लोगों की लड़ाई लड़ रही हैं। मायावती ने कहा जबरदस्ती कुछ युवा मुझे अपनी बुआ बता रहे हैं जबकि मेरा वास्तव में इस किस्म के लोगों से कभी भी कोई रिश्ता कायम नहीं हो सकता। अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की वजह से ही रिश्ता बना रहे हैं। यह साजिश है। मेरा रिश्ता केवल उन कमजोर और दलितों-आदिवासियों से है जिनका में नेतृत्व करती रही हूं।
‘बीजेपी अपने चुनावी वादों को भुला चुकी है’
बीजेपी पर हमलावर होते हुए मायावती ने कहा विदेशों से काला धन लाने में वह नाकाम रही है। यह बीजेपी सरकार अपने चुनावी वादों को भुला चुकी है। बेरोजगारों किसानों से किए वादे को नहीं निभाया है। वह केवल अटल जी की मृत्यु को भुनाने का काम कर रही है। आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया होगा अच्छे दिन के सुनहरे सपने दिखा कर के वोट लेने वाली बीजेपी सरकार ने देश की आम जनता का बुरा हाल कर के रख दिया है। इस सरकार ने केवल बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों का ही भला किया है। देश की जनता ऐसी सरकार को कभी माफ नहीं करेगी जिसने आर्थिक इमरजेंसी जैसा माहौल देश में पैदा कर दिया। बीजेपी को आम जनता से माफी मांगनी चाहिए। बीजेपी की पोल जनता के सामने खुल गई है। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी भाजपा की कोई नीति नहीं है। अब पूरे देश में भीड़ तंत्र कार्य कर रहा है। बीजेपी के राज्यों में ऐसे हमले लोकतंत्र को कलंकित कर रहे हैं।
‘दलित पिछड़े नहीं आएंगे बहकावे में’
देश के दलितों पिछड़ों आदिवासियों के विरुद्ध संविधान की मंशा के भी विरुद्ध है उसे लागू कर रही है।
मायावती ने कहा कि गरीबों दलितों और पिछड़े लोगों के सम्मानित महापुरुषों के लिए थोड़ा बहुत कुछ कर देने से और बार-बार नाम लेने से यह वर्ग इनके बहकावे में आने वाला नहीं है। लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार साम दाम दंड भेद का प्रयोग करके कर रही है। दलित वर्ग के भारत बंद में सहयोग करने पर उनके विरुद्ध फर्जी मुकदमे लगाकर उन्हें जेल में भेजा गया है। जबकि बीएसपी बार-बार उन्हें जेल से बाहर निकालने की मांग करती रही। इन वर्गों के ऊपर होने वाली जुल्म और ज्यादति में कोर्ट कचहरी में भी कोई पैरोकारी नहीं करती है। धार्मिक हिंसा जातिवादी एवं सांप्रदायिक घटनाएं देश में प्रधानमंत्री के होते ही हो रही हैं यह शर्म की बात है।
व्यापारियों, मेहनतकशों एवं अन्य वर्गों के साथ जातिवादी एवं कट्टरवादी एवं गलत आर्थिक नीतियों से उत्पीड़न होता आ रहा है जिसमें भ्रष्टाचार को खत्म करने की आड़ में नोटबंदी जैसे तुगलकी फरमान भी जारी किए।
संविधान में अनुसूचित जाति जनजाति दर्ज है तो भाजपा को क्यों ऐतराज है कि वह दलित शब्द से परहेज करें क्योंकि देश के संविधान में देश का नाम भारत दर्ज है जबकि बीजेपी और उनके नेता इसे हिंदुस्तान ही बुलाते हैं। माल्या केस पर बोलते हुए मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर आरोप लगाया कहा दोनों ही बराबर के गुनहगार हैं।