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13 August 2018

हिंदूवादी पिता का कम्युनिस्ट पुत्र सोमनाथ चटर्जी, जानें उनके राजनीतिक जीवन से जुड़ी कई बातें

उत्कृष्ट संसद सदस्य  सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका निभाने वाले देश में पहले कम्युनिस्ट थे। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली है।

चटर्जी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से लंबे वक्त तक जुड़े रहे। लोकसभा के सबसे शानदार वक्ताओं में से एक के तौर पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।

वैसे तो सोमनाथ चटर्जी ने अपनी लंबी राजनीतिक पारी में कई ख्याति हासिल की, लेकिन लोकसभा स्पीकर का उनका कार्यकाल कुछ खास ही चर्चित रहा। यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004 में चटर्जी को सर्वसम्मति से लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था।

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जब पार्टी ने निकाला...

चटर्जी ने स्पीकर के रूप में एक ऐसा काम किया जो उनकी पार्टी सीपीएम को नागवार गुजरा और पार्टी ने मार्क्सवादी नेता ज्योति बसु के करीबी सहयोगी चटर्जी को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

2008 में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर वामपंथी पार्टियों ने मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद मनमोहन सरकार को विश्वास मत हासिल करने लिए विशेष सत्र बुलाया गया। सीपीएम चाहती थी कि पार्टी के समर्थन नहीं देने की घोषणा के बाद सोमनाथ चटर्जी भी स्पीकर का पद छोड़ दें।

लेकिन चटर्जी ने ऐसा करने से मना कर दिया। चटर्जी का मानना था कि स्पीकर किसी पार्टी का नहीं होता।

लेकिन सीपीएम पोलित ब्यूरो ने 'पार्टी हितों को नुकसान पहुंचाने' का आरोप लगाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि इसके बाद चटर्जी ज्यादा दिनों तक सक्रिय राजनीति में नहीं रहे। उन्होंने 2009 में राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया।

चटर्जी ने एक बयान में 23 जुलाई, 2008 को "मेरे जीवन के सबसे दुखद दिनों में से एक" के रूप में वर्णित किया था।

लोकसभा स्पीकर रहते शुरू कराया लोकसभा टीवी

उनकी ही पहल पर जीरो हॉवर की कार्यवाही 5 जुलाई, 2004 से लाइव प्रसारण की गई थी।

24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन चैनल का आगाज भी जुलाई, 2006 में चटर्जी के कार्यकाल के दौरान हुआ था।

 

1971 में पहुंचे संसद, ममता से मिली हार

1968 में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने और 1971 में पार्टी के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे।

चटर्जी 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे।

-सिर्फ 1984 में वे ममता बनर्जी से जाधवपुर सीट से हार गए थे। इसके बाद 1989 से 2004 तक जीत का सिलसिला जारी रहा।

1989 से 2004 तक चटर्जी लोकसभा में सीपीआई (एम) के नेता रहे।

उत्कृष्ट सांसद, कुशल वक्ता

1996 में "उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार" से सम्मानित चटर्जी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के व्यापक ज्ञान के साथ अपने बहस कौशल के लिए जाने जाते थे, उनकी आवाज में बुद्धि और विनोद का मिश्रण था।

उन्होंने कई संसदीय समितियों को अध्यक्ष या सदस्य के रूप में सजाया और राजनीतिक क्षेत्र के नेताओं द्वारा सम्मानित हुए।

2009 में अपने कार्यकाल के खत्म होने के बाद चटर्जी सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए।

हिंदुवादी पिता के कम्युनिस्ट पुत्र

सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता निर्मलचंद्र चटर्जी और मां वीणापाणि देवी थीं। मशहूर वकील और कलकत्ता हाई कोर्ट के जज रहे निर्मलचंद्र चटर्जी आजादी से पहले हिंदू महासभा के संस्थापक सदस्य रहे थे। देश के पहले लोकसभा चुनाव में सोमनाथ के पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के टिकट पर निर्वाचित भी हुए थे।

हालांकि हिंदूवादी पिता के पुत्र सोमनाथ चटर्जी की राजनीति उलट रही। सोमनाथ चटर्जी को वामपंथ की राजनीति रास आई।

सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भी पढ़ाई की थी। उन्होंने ब्रिटेन में मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया।

 

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OUTLOOK 13 August, 2018
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