सीएए पर सरकार से टकराव पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा- वह मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर केरल सरकार के साथ टकराव पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि संविधान और देश का कानून महत्वपूर्ण है। यह निजी लड़ाई नहीं है। वह मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे। राज्यपाल ने उन्हें बिना सूचित किए केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की है।
राज्यपाल और सरकार में उस समय से टकराव चल रहा है जब राज्य विधानसभा ने नये कानून को निरस्त करने के लिए पिछले महीने एक प्रस्ताव पारित किया था और सीएए के खिलाफ उन्हें सूचित किए बिना सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। इस पर राज्यपाल ने नाराजगी भी जताई थी। इस पर उन्होंने मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है।
मनमर्जी से नहीं चल सकता सरकार का कामकाज
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर निशाना साधते हुए कहा था कि सार्वजनिक कार्य और सरकार के कामकाज को 'किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल की मर्जी' के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता और हर किसी को नियम का पालना करना चाहिए। राज्यपाल ने पिछले दिनों कहा था कि कामकाज के नियम की धारा 34(2) की उपधारा 5 के तहत प्रदेश सरकार को राज्य और केंद्र के रिश्तों को प्रभावित करने वाले फैसलों की जानकारी राज्यपाल को देनी चाहिए।
वहीं, राज्य सरकार इस बात पर कायम है कि उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया और राज्यपाल कार्यालय की शक्ति को चुनौती देने के लिए जानबूझ कर कोई प्रयास नहीं किए गए। कानून मंत्री ए के बालन ने कहा कि सरकार राज्यपाल द्वारा उठाए गए सभी संशयों को दूर करेगी।
राज्यपाल पर लगाया हस्तक्षेप का आरोप
माकपा के मुखपत्र देशाभिमानी में कड़े लहजे में लिखे संपादकीय में राज्यपाल पर हमला बोलने के एक दिन बाद, पार्टी के प्रदेश सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने रविवार को आरिफ मोहम्मद खान पर सरकार के रोजाना के काम-काज में बेवजह हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। लेख में उन्होंने कहा, “राज्यपाल राज्य के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को बदनाम कर रहे हैं। राज्यपाल का पद राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए नहीं होता। ” इस बीच राज्यपाल ने रविवार को कोझिकोड में तय सार्वजनिक कार्यक्रम को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया। राज्यपाल को केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के एक सत्र में शामिल होना था।
राजभवन के सूत्रों ने कहा, “आयोजकों ने हमें बताया कि राज्यपाल के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना उनके लिए मुश्किल होगा क्योंकि केएलएफ एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे। उन्होंने हमसे तिथि बदलने का आग्रह किया।” ऐसी खबरें थीं कि राज्यपाल ने सीएए के विरोध खासकर साहित्यिक कार्यक्रम में विरोध के डर से यह कार्यक्रम रद्द किया।