यूपी में योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार टला, अरुण जेटली की खराब तबीयत है वजह
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार सोमवार को होना था लेकिन इसे अब टाल दिया गया है। अरुण जेटली की तबीयत को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की कैबिनेट विस्तार को स्थगित किया है।
वहीं, इस मंत्रिमंडल विस्तार में दर्जन भर विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है और कुछ मंत्रियों की तरक्की हो सकती है जबकि कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। यह जानकारी सूत्रों ने दी है। मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सोमवार की शाम को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों और विधायकों को सोमवार को लखनऊ में उपस्थित रहने को कहा है।
दर्जन भर विधायकों को मिल सकता है पद
मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। सोमवार को पहला मंत्रिमंडल विस्तार होगा। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल संभव है। योगी आदित्यनाथ सरकार में अभी 43 मंत्री हैं। राज्य में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसको देखते हुए अभी भी एक दर्जन से ज्यादा मंत्री बनाने की गुंजाइश है।
उप चुनाव से पहले विस्तार अहम कदम
यूपी में एक दर्जन से अधिक सीटों पर होने वाले उप चुनाव के मद्देनजर ये विस्तार काफी अहम माना जा रहा है। "एक व्यक्ति एक पद" की परंपरा को निभाने के लिए परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह का मंत्री पद जाना भी तय है। उन्हें पिछले दिनों प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। राज्य सरकार में गुर्जर समाज का अभी कोई मंत्री नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में गुर्जर समाज को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। मंत्री पद के लिए गुर्जर समाज से एमएलसी अशोक कटारिया और एमएलए तेजपाल नागर के नाम चर्चा में हैं।
इन विधायकों के नामों की चर्चा
अनुसूचित जाति के कोटे में एमएलसी विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे आगे है। इनके अलावा दिनेश खटीक, दल बहादुर, श्रीराम चौहान और विजयपाल में से भी किसी को मौका मिल सकता है। लोकसभा चुनाव में हाथरस से धोबी बिरादरी के सांसद राजेश दिवाकर का टिकट कटा था। धोबी समाज को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
इनकी हो सकती है छुट्टी
वहीं, अगड़ी जातियों में एमएलसी विजय बहादुर पाठक और यशवंत सिंह समेत कुछ नाम चर्चा में हैं। स्वतंत्र प्रभार के मंत्रियों में डॉ.महेंद्र सिंह को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। जिन मंत्रियों के काम से मुख्यमंत्री असंतुष्ट हैं, उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्व वाले विभाग सौंपे जा सकते हैं या फिर छुट्टी हो सकती है।