वंशवाद के खिलाफ भाजपा के रुख से हरियाणा में सांसदों के परिजनों को टिकट मिलना मुश्किल
भारतीय जनता पार्टी की वंशवाद के खिलाफ नई नीति के चलते हरियाणा में जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनाव में सात सांसदों के परिजनों के टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा सांसदा के परिजनों को टिकट की दौड़ से बाहर किया जा सकता है। इन सांसदों के परिजन टिकट पाने के लिए जुगत भिड़ रहा हैं। उनके परिवार के सांसद सदस्य भी उनकी पैरवी कर रहे हैं।
इन सांसदों के परिजन टिकट के इच्छुक
पार्टी के इस रुख को देखकर लगता है कि भाजपा इस बार सांसदों के परिजनों को टिकट देने से परहेज करेगी। गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत, फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक, भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह, कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी, अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया और हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह और उनके पिता वीरेंद्र सिंह भाजपा से अपने परिजनों को विधानसभा चुनाव का टिकट देने की मांग कर रहे हैं।
परिजनों को स्थापित करने का प्रयास
लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर कब्जा करने के बाद भाजपा पूरे जोश में है। ऐसे में भाजपा के सांसद इस लहर में अपने परिजनों को भी स्थापित करना चाहते हैं। यही कारण है कि वे अपने परिजनों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। इनमें से कई सांसद ऐसे भी हैं जिनके परिजन राजनीति में काफी सक्रिय हैं। लेकिन वंशवाद के खिलाफ आ रहे भाजपा के बयान साफ इशारा कर रहे हैं कि पार्टी मंत्रियों और सांसदों के परिजनों को टिकट देने से परहेज कर सकती है।
कई सांसद परिजन मेहनत के बूते टिकट के हकदार
कुछ सांसदों के परिजन मेहनत और लोकप्रियता के दम पर टिकट पाने के हकदार भी नजर आते हैं लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सार्वजनिक रूप से भाजपा को वंशवाद विरोधी पार्टी करार दे रहे हैं।
क्या अमित शाह और राजनाथ वंशवाद की नीति से ऊपर
वंशवाद के खिलाफ आ रहे भाजपा हाईकमान के बयान के बाद भाजपा सांसद भी अपने तर्क देने में पीछे नहीं हैं। वे अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का उदाहरण दे डालते हैं। उनका कहना है कि एक तरफ भाजपा एक व्यक्ति एक पद की बात करती है तो अमित शाह के पास आज भी दो-दो राष्ट्रीय महत्वपूर्ण पद क्यों हैं। उधर, राजनाथ सिंह के पुत्र भी विधायक हैं। यही नहीं, भाजपा सांसद अन्य प्रदेशों के ऐसे नेताओं का भी जिक्र करते हैं जिनके परिवार में दो-दो लोगों को टिकट दिए गए।
लेकिन बेकार साबित हो सकते है ये तर्क
लेकिन अमित शाह और खट्टर वंशवाद के खिलाफ भाजपा की नीति पर लगातार बात कर रहे हैं। इससे लगता है कि प्रदेश के सांसदों के तर्क कोई मायने नहीं रखेंगे। वीरेंद्र सिंह द्वारा आयोजित आस्था रैली में भी भाजपा के बड़े नेताओं ने वंशवाद की खिलाफत की थी। इसके अलावा रथ यात्रा के शुभारंभ पर भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में भाजपा वंशवाद को बढ़ावा नहीं देगी। अब देखने वाली बात यह है कि टिकट वितरण में भाजपा किस नीति पर अमल करती है।