किसानों को तकनीक से जोड़ने की जरूरतः योगी
किसान, उत्तरप्रदेश की भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटलुक को दिए साक्षात्कार में राज्य में कृषि और किसानों की हालत बदलने और मंडी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से बात की। पढ़िए अंश;
"मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश में बड़ा पोटेंशियल है। जरूरत है तो केवल यहां के किसानों को तकनीक के साथ जोड़ने की। पिछले तीन वर्ष से केंद्र सरकार लगातार कह रही थी कि हम प्रदेश में कृषि विज्ञान केंद्र बनाना चाहते हैं। आप 20-21 कृषि विज्ञान केंद्र बनाइए। जिन जिलों में नहीं है, वहां भी खोलिए। जो जिले बड़े हैं वहां एक और खोल दीजिए। इसमें केवल प्रदेश सरकार को जमीन देनी थी, बाकी सारा खर्चा केंद्र सरकार को करना था। लेकिन, पिछली सरकारों ने अनसुना कर दिया। हमलोगों ने आते ही 21 कृषि विकास केंद्र खोलने के प्रस्ताव दिए और उसमें से अधिकतर स्वीकृत हो चुके हैं। आने वाले समय में लगभग 90 के आसपास कृषि विज्ञान केंद्र प्रदेश में होंगे। कृषि विज्ञान केंद्रों की कार्यपद्धति भी बदली है। पहले ये विश्वविद्यालयों पर आश्रित थे। विश्वविद्यालय समय पर फंड रिलीज नहीं करता था, वहां के वैज्ञानिकों को सीधे अटैच कर देता था। हमलोगों ने अलग व्यवस्था की। धनराशि केंद्र से मिलते ही सीधे कृषि विज्ञान केंद्र को रिलीज हो जाएगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को दो वर्षों के लिए हमलोगों ने सीधे लागू किया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत कार्रवाई प्रारंभ की गई है। खास तौर पर बुंदेलखंड की दृष्टि से केन-बेतवा नदी जोड़ने की व्यवस्था अंतिम चरण में है। वहां की हमारी सिंचाई योजनाएं जो वर्षों से लंबित पड़ी हुईं थीं, हम उनको लगभग पूरा करने के स्टेज में हैं। कुछ योजनाएं नवंबर अंत, तो कुछ दिसंबर तक पूरी हो जाएंगी। वाटर कंजर्वेशन की दृष्टि से भी हमलोगों ने कार्य प्रारंभ किए हैं। खेत-तालाब योजना लागू की। प्रदेश के अंदर डार्क जोन में 1994 में उद्योगों को नलकूप के कनेक्शन देने पर रोक लग गई थी, इसको किसानों पर लागू कर दिया गया। किसानों को नलकूप के कनेक्शन नहीं मिल पाते थे, हमलोगों ने इसको फ्री किया है। प्रदेश के किसानों को बिजली की खपत न करना पड़े, इसके लिए हमने दस हजार से अधिक सोलर पंप उनको उपलब्ध कराया है और दस हजार नए इस सीजन में भी लाने जा रहे हैं। मंडी से जोड़ने की हमारी व्यवस्था चल रही है। सौ से अधिक मंडियां ई-नेम से जुड़ चुकी हैं। प्रदेश में कोई भी ऐसी मंडी नहीं थी जो किसी राष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रतिस्पर्धा के योग्य अपने को पाए। लेकिन, हमने उस दिशा में कार्य प्रांरभ किया है।"