वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश, विपक्ष का जोरदार विरोध
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा में पेश की गई। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इसे सदन के पटल पर रखा। इससे पहले, यह रिपोर्ट राज्यसभा में भी प्रस्तुत की गई थी। विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान जोरदार हंगामा किया और रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताते हुए असहमति जताई।
छह महीने की समीक्षा के बाद पेश की गई रिपोर्ट
लोकसभा में 8 अगस्त 2024 को पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। जेपीसी ने छह महीने तक देशभर में हितधारकों से चर्चा करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 14 खंडों में 25 संशोधनों को शामिल किया गया। समिति के अनुसार, रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले विस्तृत विचार-विमर्श और इनपुट संग्रह किया गया।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, "हमने पूरे देश का दौरा कर हितधारकों से बातचीत की और एक पारदर्शी रिपोर्ट तैयार की। विपक्षी सदस्यों को भी अपनी राय रखने का पूरा अवसर दिया गया, लेकिन अंततः रिपोर्ट पर संसदीय प्रक्रिया के अनुसार मतदान हुआ।"
विपक्ष ने जताई असहमति, रिपोर्ट को बताया पक्षपातपूर्ण
विपक्षी दलों के नेताओं, खासकर तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और मोहम्मद नदीमुल हक, ने जेपीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में उनके असहमति नोटों के प्रमुख हिस्सों को हटा दिया गया और समिति ने हितधारकों की चिंताओं को नजरअंदाज किया।
विधेयक का उद्देश्य और संभावित प्रभाव
वक्फ अधिनियम, 1995 को अक्सर भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अवैध अतिक्रमण के आरोपों का सामना करना पड़ा है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य संपत्तियों का डिजिटलीकरण, पारदर्शिता बढ़ाना, ऑडिट प्रक्रिया में सुधार और अवैध कब्जों को हटाने के लिए कानूनी प्रावधानों को सख्त बनाना है।
आगे क्या?
जेपीसी रिपोर्ट लोकसभा और राज्यसभा में पेश की जा चुकी है। अब सरकार इसे विधेयक के रूप में पेश कर पारित कराने की तैयारी कर रही है। हालांकि, विपक्ष के तीखे विरोध को देखते हुए संसद में इस पर बहस और टकराव की संभावना बनी हुई है।