ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर को लेकर विवाद, असम सरकार के दावे के बाद घिरी भाजपा
असम सरकार के एक विज्ञापन ने विवादों को जन्म दे दिया है। दरअसल, राज्य सरकार ने मंगलवार को एक विज्ञापन जारी कर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को असम में होने का दावा किया है। वहीं इस पर कई राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठन ने आपत्ति जताते हुए भाजपा सरकार को घेरा है।
बता दें कि असम सरकार के विज्ञापन में कहा गया है कि पामही, गुवाहाटी का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एयरपोर्ट से सड़क मार्ग पर सिर्फ 18 किलोमीटर दूर है। श्री भीमाशंकर गुवाहाटी के पमोही में बारह ज्योतिर्लिंगों में से छठा है, जो असम राज्य में डाकिनी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। असम के मुख्यमंत्री ने विज्ञापन के जरिए महाशिवरात्रि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं से भारी संख्या में आने की अपील की है।
वहीं अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने बुधवार को कहा कि राज्य में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के अस्तित्व के बारे में असम सरकार का दावा धार्मिक इतिहास को विकृत करने का प्रयास है।
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि भीमाशंकर को राज्य के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने का दावा करते हुए असम सरकार ने समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ का विज्ञापन जारी किया। असम में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर महाशिवरात्रि के अवसर पर देवता को प्रणाम करने का आह्वान भी विज्ञापन के माध्यम से किया गया है। पाठक ने कहा कि ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर महाराष्ट्र में है न कि असम में।
उन्होंने कहा कि असम सरकार के कृत्य से पुजारियों के निकाय के सदस्यों के साथ-साथ भगवान शिव के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए शताब्दियों से हिंदू आस्था के केंद्र रहे ज्योतिर्लिंग उड़ा ले जाने का आरोप असम की भाजपा सरकार पर लगाया है। पार्टी नेता सचिन सावंत ने कहा है कि अब तक भाजपा की दूसरी राज्य सरकारें महाराष्ट्र के निवेशक चुरा रही थीं, अब तो धार्मिक केंद्र उठा लेने का प्रयास किया जा रहा है। भीमाशंकर देवस्थान के मुख्य पुजारी मधुकर शास्त्री गावंडे ने कहा कि असम सरकार जो कहती है उस पर किसी को यकीन नहीं करना चाहिए।