आलेख में उनसे कहा गया कि वह आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को न तोड़ें। कड़े शब्दों में लिखे गए संपादकीय में कहा गया कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर व्याप्त है और इसे बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार लोगों द्वारा इसे दबाने का प्रयास एक ‘विकृत’ राजनीतिक आचरण है।

यह संपादकीय थरूर द्वारा दी गई सफाई कि उन्होंने केरल में माकपा के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा नहीं की, बल्कि केवल स्टार्टअप क्षेत्र में राज्य की प्रगति को उजागर किया है, के एक दिन बाद आया है।

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तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद थरूर ने रविवार को दावा किया कि एक अंग्रेजी दैनिक में छपे उनके लेख में कोई राजनीतिक संदर्भ नहीं था और उनका ध्यान केवल केरल में उद्यमशीलता और नवाचार से प्रेरित विकास पर था, जिसका उद्देश्य उस विशिष्ट क्षेत्र में राज्य के विकास को प्रदर्शित करना था।

हालांकि, पार्टी का मुखपत्र उनके स्पष्टीकरण को प्रभावी ढंग से खारिज करता दिखाई दिया। संपादकीय में चेतावनी दी गई है कि यदि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव जीतने में विफल रही, तो यह विपक्षी मोर्चे के लिए एक बड़ा झटका होगा।

उसने अपनी चुनावी संभावनाओं को कमजोर करने के किसी भी कदम को ‘हास्यास्पद’ बताया।

‘अहिंसा अवार्ड फॉर द एक्सिक्यूशनर’ शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय में आगे तर्क दिया गया है कि जब कांग्रेस विधानसभा के अंदर और बाहर एलडीएफ सरकार की कमियों का सक्रिय रूप से विरोध कर रही है, तो पार्टी को अंदर से कमजोर करना ‘आत्मघाती’ होगा।

लेख में आरोप लगाया गया कि सत्तारूढ़ माकपा ने ही केरल को उद्योगों का ‘कब्रिस्तान’ बना दिया था। इसमें आगे लिखा गया कि औद्योगिक विकास के नाम पर वामपंथी सरकार का हवाला देना हास्यास्पद है।

इसमें कहा गया है कि राज्य ने आर शंकर, सी अच्युत मेनन, के करुणाकरण, ए के एंटनी और ओमन चांडी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों के शासन के दौरान आधुनिक और महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठानों के विकास को देखा है।

लेख में केरल के पूर्व उद्योग मंत्रियों पी के कुन्हालीकुट्टी, टीवी थॉमस, के ए दामोदर मेनन आदि के प्रयासों को ‘भविष्यवादी’ करार देते हुए उनकी खूब प्रशंसा की गई है।

लेख में यह भी पूछा गया कि अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में वर्तमान उद्योग मंत्री (पी राजीव) ने क्या खास काम किया है।

संपादकीय के अनुसार ‘‘राज्य के कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को नष्ट करने वालों की प्रशंसा करना उतना ही हास्यास्पद है जितना एक जल्लाद को ‘अहिंसा पुरस्कार’ देना।

मुखपत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा को लेकर थरूर के सकारात्मक बयान की भी आलोचना की गई है।

इसमें लिखा गया कि मोदी का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गले लगाना और व्यापार-सैन्य संधियों में आश्वासन प्राप्त करना कोई ‘महान बात’ नहीं है।

संपादकीय ने इस घटनाक्रम को दोनों नेताओं के उनकी छवि को चमकाने वाला कदम बताया है।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि थरूर के लेख ने केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ के दुष्प्रचार को नकार दिया है।

केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया में वाम मोर्चा सरकार पर लघु उद्यमों के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप