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07 April 2024

लोकसभा चुनाव 2024: शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई

लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के रफ्तार पकड़ने के बीच महाराष्ट्र की दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों के नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह चुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख अजित पवार के लिए भी परीक्षा के समान है, जिन्होंने अपने दलों में तोड़फोड़ की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन में शामिल हो गए.

लेकिन ठाकरे और शरद पवार के लिए चुनौती अधिक बड़ी है क्योंकि वे सत्ता से बाहर हैं और उन्होंने अपने दलों - क्रमशः शिवसेना और राकांपा का मूल नाम और चुनाव चिह्न भी गंवा दिया है. निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली राकांपा और असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश अकोलकर ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि दोनों नेताओं को चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन करने की जरूरत है, अन्यथा उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो जाएगा.

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वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि ठाकरे को उतनी ही लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना था, जितनी उनकी पार्टी ने 2019 में भाजपा के सहयोगी होने पर लड़ी थी, और वह ऐसा ही कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 21 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने इनमें से कुछ सीटों पर दावा किया है. एननसीपी (शरदचंद्र पवार) अपने एमवीए सहयोगियों शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले के अनुसार 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

लेकिन अकोलकर ने कहा कि पवार के लिए मुख्य सीट उनका गृह क्षेत्र बारामती है, जहां उनकी बेटी और तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले को अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से चुनौती मिल रही है. अकोलकर ने कहा, "अगर शरद पवार बारामती हार जाते हैं, तो उनके लिए सब कुछ खत्म हो जाएगा. यह उनके और उनके भतीजे अजीत के बीच की लड़ाई है, जिन्होंने इन सभी वर्षों में परिवार के लिए बारामती निर्वाचन क्षेत्र का प्रबंधन और नियंत्रण किया है."

83 वर्षीय पवार ने अपने पांच दशक से अधिक के राजनीतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारा है, वहीं उद्धव ठाकरे ने कभी भी सीधे चुनाव नहीं लड़ा है. जब वे मुख्यमंत्री बने, तो ठाकरे विधान परिषद के लिए चुने गए. शिंदे गुट अक्सर उन्हें राज्य में शीर्ष पद पर रहते हुए घर से बाहर न निकलने के लिए ताना मारता है. लेकिन चुनावों से पहले ठाकरे राज्य के विभिन्न हिस्सों की यात्रा कर रहे हैं और उनकी रैलियों को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.

पवार भी अपनी बेटी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पुणे जिले (जहां बारामती निर्वाचन क्षेत्र स्थित है) में अपने पुराने प्रतिद्वंद्वियों जैसे कांग्रेस के थोपेट से संपर्क कर रहे हैं. दलित नेता प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के साथ एमवीए की सीट-बंटवारे की बातचीत विफल होने के बाद, एमवीए और महायुति गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और अकोलकर की राय में, इससे सत्तारूढ़ गठबंधन को फायदा होगा.

 

 

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TAGS: Lok Sabha Elections 2024, Election 2024, Political survival of smaller parties, Uddhav Thackeray, Sharad pawar, BJP
OUTLOOK 07 April, 2024
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