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25 April 2024

जनादेश ’24 हरियाणाः कांग्रेसियों के भरोसे भाजपा

दस साल से हरियाणा में काबिज ‘डबल इंजन’ सरकार लोकसभा की अगली चढ़ाई के लिए हांफ रही है। भाजपा के ‘400 पार’ लक्ष्‍य में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटें भले यूपी, महाराष्ट्र और बिहार जैसे बड़े राज्यों की तुलना में अधिक महत्व न रखती हों पर यहां जिस तरह एक-एक सीट के लिए तमाम समीकरण साधे जा रहे हैं, वह प्रचलित नैरेटिव का दूसरा पहलू दिखाता है। इस बार भाजपा ने छह सीटों पर कांग्रेस से आए बागियों को प्रत्याशी बनाया है। सिरसा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल के बदले भाजपा ने हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को मैदान में उतारा है। पार्टी ने कुरुक्षेत्र से 2004 और 2009 में कांग्रेस के सांसद रहे उद्योगपति नवीन जिंदल को अपने टिकट पर उतारा है। वे 2014 में कांग्रेस की टिकट पर यहां से चुनाव हार गए थे। 2019 से इस सीट से सांसद रहे नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा को ऐसा कोई नेता नहीं मिला, जो कुरुक्षेत्र में सैनी का स्थान ले सके। हिसार संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला कांग्रेस की दो दशक की पृष्ठभूमि से हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट कटने पर निर्दलीय विधायक के तौर पर भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। हिसार सीट पर दावेदारी जता चुके कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए हैं।

रोहतक से 2019 में सांसद अरविंद शर्मा पर भाजपा ने दोबारा दांव खेला है। शर्मा पहले करनाल से कांग्रेस के सांसद रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल परिवार की तीन पीढि़यों को हराने के लिए मशहूर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से दूसरी बार मैदान में भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मवीर इसी संसदीय क्षेत्र के तोशाम विधानसभा से साल 2000 में कांग्रेस के विधायक रहे हैं। महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम से लगातार तीन बार कांग्रेस के और दो बार भाजपा के सांसद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की सियासत भी तीन दशक तक कांग्रेस की रही है।

सत्‍तारूढ़ पार्टी लोकसभा चुनाव में जीत तय करने के लिए सरकार, सगंठन में भारी फेरबदल और दुष्‍यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ने के बावजूद जीत को लेकर आशंकित दिखती है। राजनैतिक विश्लेषक हरिओम जलोटा का कहना है, “दरअसल वैचारिक तौर पर भाजपा हार रही है। दस साल की सरकार के बाद भी उसके पास जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा है। जीत आश्‍वस्‍त करने के लिए भाजपा की कांग्रेस में सेंधमारी जारी है।”

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लोगों में भारी विरोध के डर से साढ़े नौ साल के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को विदा करके छह निर्दलीय विधायकों की बैसाखी पर टिकी नए मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी की सरकार के लिए 2019 की तरह हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दोहराना करना कड़ी चुनौती है। फसलों पर एमएसपी को कानूनी गारंटी और अन्य कई मांगों को लेकर आंदोलनकारी किसानों का भाजपा प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार का विरोध जारी है। हिसार और सोनीपत के कई गांवों में भाजपा नेताओं को प्रचार करने से रोका गया। इस बीच मुख्यमंत्री सैनी ने किसानों को उपद्रवी कह दिया तो किसानों का गुस्सा और भड़का हुआ है।

दरअसल 2014 की मोदी लहर में कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन में भाजपा को 10 में से 7 सीटों पर जीत मिली थी जबकि इंडियन नेशनल लोकदल को हिसार और सिरसा लोकसभा सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस सिर्फ एक सीट रोहतक तक सिमट गई थी। 2019 में तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रोहतक किला भी ढह गया।

लगातार 10 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए 25 मई को हरियाणा में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनाव भी कड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव लड़ने से पीछे हटने वाले भुपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी सरीखे वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक इसलिए हैं कि ये चारों मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं।

लोकसभा चुनाव से वरिष्ठ नेताओं के पीछे हटने से कांग्रेस के पास हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर तो कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हुई। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए हरियाणा कांग्रेस में नई जान फूंकने की कवायद सिरे नहीं चढ़ पाई है। 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले से कांग्रेस का जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन खड़ा नहीं हो पाया है। भाजपा के पन्ना प्रमुख जैसे संगठन के मुकाबले बगैर संगठन के कांग्रेस का मैदान में उतरना कड़ी परीक्षा है। चौटाला परिवार की जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के लिए ये चुनाव वजूद की लड़ाई जैसे हैं।

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TAGS: Mandate 2024, loksabhaelections, bjp, congress
OUTLOOK 25 April, 2024
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