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14 November 2020

नीतीश को कम सीटें मिलने के बावजूद भी भाजपा कर रही है आगे, क्या इस बात का है डर

File Photo

बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आए चार दिन हो गए हैं। लेकिन, राजनीतिक रस्साकशी राजधानी पटना में लगातार जारी है। एक तरफ महागठबंधन को कांग्रेस के कुछ विधायकों के छिटकने का डर सता रही है। वहीं, एनडीए में भाजपा भी डर के साये में अटकी पड़ी है। दरअसल, चुनाव में एनडीए को कुल 243 विधानसभा सीटों में 125 सीटें मिली है जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली है। इस बार नीतीश की अगुवाई वाली जेडीयू, मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़े हैं। एलजेपी के चिराग पासवान ने इस बार एनडीए से अलग हो राज्य में चुनाव लड़ा है और सीर्फ एक सीट के साथ पार्ट को संतोष करना पड़ा है। एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बीजेपी 74 सीट पाने में कामयाब रही है जबकि जेडीयू को महज 43 सीटें मिली है। हालांकि, जेडीयू ने सबसे अधिक 115 सीट पर चुनाव लड़े थे जबकि बीजेपी ने 110 सीटों पर ताल ठोकी थी। वीआईपी ने 11 और मांझी ने 7 सीट पर किस्मत आजमाएं थे।

जेडीयू को कम सीटें मिलने के बाद बीजेपी में इस बात के सुर तेजी से उठने लगे हैं कि सीएम कोई बीजेपी पार्टी से हीं बनाया जाना चाहिए। लेकिन, बीजेपी के आलाकमान इस बात को लेकर सहमत नहीं दिख रहे हैं और बड़े भाई की भूमिका में आने के बावजूद भी बीजेपी नीतीश कुमार को लेकर आश्वस्त है। और इस बात को दावे के साथ दोहरा रही है कि नीतीश कुमार हीं अगले मुख्यमंत्री होंगे। इस बाबत ये सवाल उठने लाजमी हैं कि क्या भाजपा को किसी बात का डर है? क्या इस बात को भाजपा समझ रही है कि यदि वो नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनाती है तो एनडीए टूट सकता है और राज्य में महागठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिल जाएगा? यानी बीजेपी को इस बात का खौफ हो सकता है कि जिस तरह से महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनाने में चूक गई थी, उसी तरह से बिहार में ऐसा हो सकता है और भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल सकती है।

दरअसल, महाराष्ट्र में साल 2019 के आखिर में चुनाव हुआ था जिसमें भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़े थे। लेकिन, चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें आई और पार्टी ने अपनी तरफ से सीएम का चेहरा पेश किया जो बात शिवसेना को रास नहीं आई। यहां तक की सुबह-सुबह बीजेपी ने  पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की शपथ भी दिलवा दी थी। लेकिन शिवसेना से बगावत करना बीजेपी को महंगा पड़ गया। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने गठबंधन तोड़ कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ मिल कर सरकार बना ली और बीजेपी हाथ मलती रह गई। विधानसभा चुनाव के परिणाम में बीजेपी को 105 सीटें, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं थी। कुल 288 सीटों वाले विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत थी।

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को भी संभवत: इसी बात का डर है कि कहीं नीतीश को सीएम का चेहरा न पेश करने पर महाराष्ट्र वाला हश्र न हो जाए। और यही कारण है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी बीजेपी नीतीश का नाम सीएम पद के लिए लेने से नहीं कतरा रही है। हालांकि, गुरुवार को नीतीश ने कहा था कि उन्होंने सीएम पद की दावेदारी नहीं की है। इसे एनडीए को तय करना है। रविवार को एनडीए के सभी घटकों दलों की बैठक होने वाली है। जिसमें कुछ हद तक तस्वीरें साफ होेने की उम्मीदें हैं।

 

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TAGS: Bihar Election, BJP, Nitish Kumar, CM of state, Bihar Election results, Bihar Chunav, बिहार चुनाव
OUTLOOK 14 November, 2020
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