विधानसभा चुनाव : जुबानी जंग ने तोड़ा तहजीब का दायरा
अखबारों में सुर्खियां बटोरने की कोशिश में नेताओं ने एक-दूसरे को तरह-तरह की उपमाएं दीं और कई बार तो यह काम नाम लेकर भी किया गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मुखिया लालू प्रसाद यादव ने रायबरेली में अपनी जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी की भाव-भंगिमाओं और हाथों की जुंबिश को लेकर निहायत आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। भाजपा ने उनके भाषण की सीडी चुनाव आयोग के पास भेजकर कार्रवाई की मांग की है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बसपा को बहनजी संपत्ति पार्टी बताए जाने और बसपा प्रमुख मायावती द्वारा इसका बेहद गुस्से में जवाब दिए जाने को भी मर्यादा की सीमा लांघने जैसा माना गया। मायावती ने मोदी को नेगेटिव दलित मैन करार देते वक्त ऐसे अल्फाज का इस्तेमाल किया, जो किसी प्रधानमंत्री के लिए प्रयोग नहीं किए जाते।
अपने प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार हमले कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें शोले फिल्म का गब्बर सिंह की संज्ञा दे डाली। चुनावी खींचतान के बीच सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आतंकवादी करार देते हुए उन पर मतदाताओं को आतंकित करने का आरोप लगाया। भाजपा ने इसे मानसिक दिवालियेपन का परिणाम बताया। चुनाव में मुख्य रूप से अपने विकास कार्यों के बल पर ही प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुजरात के गधों वाली टिप्पणी करके एक नई बहस छेड़ दी। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन बात बहुत दूर तलक जाती देखी गई।
अखिलेश ने एक चुनावी सभा में कहा कि वह महानायक अमिताभ बच्चन से गुजारिश करेंगे कि वह गुजरात के गधों का विज्ञापन मत करें। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने अखिलेश की इस टिप्पणी को गुजरात का अपमान करार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्मशान और कब्रिस्तान वाली टिप्पणी पर भी खूब चर्चा और आलोचना हुई। (एजेंसी)