Advertisement
10 November 2020

“अबकी बार किसका बिहार?”, 12 हॉट सीटें जिन पर दिग्गजों की किस्मत दांव पर, शुरूआती रूझान में कई पिछड़े

Outlook

“अबकी बार किसका बिहार?” ये सवाल बीते कई महीनों से बिहार की सियासी फिजाओं और लोगों की जुबान पर तैर रहा है। सुबह 8 बजे से चढ़ते दिन के साथ वोटो की गिनती जारी है। महागठबंधन और एनडीए में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। हालांकि, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस बार राज्य की जनता ने सत्ता की चाभी “युवराज” को सौंपी है या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा बरकरार रखा है। कोरोना महामारी के बीच राज्य में तीन चरणों में चुनाव संपन्न 7 नवंबर को संपन्न हुए हैं।

इस बार चुनावी मैदान में सीएम की रेस में प्रमुख दावेदार के तौर पर महागठबंधन का चेहरा और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, एनडीए की तरफ से मौजूदा सीएम नीतीश कुमार और नई नवेली प्लुरल पार्टी की मुखिया और लंदन से पढ़ाई कर लौटने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) और मायावती की पार्टी बसपा के साथ 6 दलों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा है और ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को सीएम पद का दावेदार बनाया है। जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर मैदान में उतारा है। राज्य में एनडीए से अलग होकर 143 सीटों पर दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी चिराग पासवान की अगुवाई में चुनाव लड़ रही है। हालांकि, चिराग ने खुद को सीएम पद के लिए घोषित नहीं कर रखा है।

राज्य की एक दर्जन से अधिक हॉट सीटें, जिस पर दिग्गजों की किस्मत दांव पर, शुरूआती रूझान में कई पिछड़े

Advertisement

राघोपुर विधानसभा

वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा से राजद नेता और महागठबंधन की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इस वक्त वो 17 हजार से अधिक वोट के साथ बने हुए हैं। यह राजद का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन साल 2010 में पूर्व सीएम राबड़ी देवी यहां से चुनाव हार गई थी। लेकिन, 2015 में जब राजद ने एनडीए का साथ छोड़ने वाली पार्टी जेडीयू की अगुवाई में चुनाव लड़ा था और राघोपुर से तेजस्वी यादव को मैदान में उतारा था, वो जीत दर्ज करने में सफल रहे। लालू यादव ने भी यहीं से साल 1995 में चुनाव लड़ा था। क्षेत्र में करीब 3.17 लाख मतदाता हैं। यहां से तेजस्वी को टक्कर देने के लिए भाजपा की तरफ से सतीश कुमार को मैदान में उतारा है। सतीश 2015 में यहां से हार गए थे। इस बार भी शुरूआती रूझान के मुताबिक जनता ने उन पर भरोसा नहीं जताया है। वो इस वक्त 12 वोट के साथ चल रहे हैं। यानी दोनों में करीब पांच हजार वोट का अंतर बना हुआ है। इस साल भाजपा और लोजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। अब देखना होगा कि यहां से तेजस्वी के तेवर कितने असर दिखाते हैं।

इमामगंज विधानसभा

हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जितनराम मांझी एनडीए के सहयोगी दल हैं, जिन्हें सात सीटें जेडीयू के खाते से मिली है। गया जिले के इमामगंज विधानसभा से वो अपनी किस्मत आजमां रहे हैं। यहां से कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। वो इस वक्त 18 हजार वोट के साथ बने हुए हैं। मांझी को टक्कर देने के लिए महागठबंधन की तरफ से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी मैदान में हैं, जो 16 हजार से अधिक वोट के साथ बने हुए हैं। फासला कम होने की वजह से मुकाबला दिलचस्प है। ये आरक्षित सीट है। चौधरी यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं।

पटना साहिब

मौजूदा पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव को एनडीए ने पटना साहिब से मैदान में उतारा है। यह सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है। यादव इस वक्त आगे चल रहे हैं। पहले वो पिछड़ गए थे। टक्कर देने के लिए मैदान में कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतरने प्रवीण सिंह 20 हजार वोट के साथ चल रहे है। यहां से विभिन्न दलों के 12 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। नंद किशोर यादव दो बार यहां से बाजी मार चुके हैं।

बोचहां विधानसभा

पूर्व भूमि सुधार मंत्री और परिवहन मंत्री रमई राम मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा से आठ बार विधायक रह चुके हैं। जेडीयू से नाता तोड़ इस बार वो राजद की पिच से बैटिंग कर रहे हैं। पाला बदलने की वजह से जनता उन पर कम भरोसा करती नजर आ रही है। शुरूआती रूझान में मुशाफिर पासवान आगे चल रहे हैं। एनडीए की सहयोगी पार्टी वीआईपी ने मुशाफिर पासवान को मैदान में उतारा है। वीआईपी एनडीए का घटक दल है और 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

सिमरी बख्तियारपुर

सन् ऑफ मल्लाह के नाम से खुद को राजनीतिक पटल पर रखने वाले वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी पहली बार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत सिमरी बख्तियारपुर सीट से आजमां रहे हैं। शुरूआती रूझान में जनता साथ देती नजर आ रही है। वो 18 हजार से अधिक वोटों के साथ बने हुए हैं। वहीं, राजद ने साहनी के सामने यूसुफ सलाउद्दीन को उतारा है, जो पिछड़ते नजर आ रहे हैं। महागठबंधन से नाराज होने के बाद साहनी ने एनडीए का दामन थामा है।

चेरिया-बरियारपुर

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के बाद विवादों में घिरने वाली पूर्व सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा जेडीयू की तरफ से बेगुसराय के चेरिया-बरियारपुर से चुनाव लड़ी हैं। लेकिन, दागदार छवि होने की वजह से वर्मा पर लोगों ने शुरूआती गिनती के मुताबिक बहुत हीं कम विश्वास जताया है। उन्हें अब तक महज 6 हजार वोट मिले हैं। चुनौती देने के लिए राजद से राजवंशी महतो मैदान में है, जो काफी आगे चल रहे हैं।

मोकामा विधानसभा

मोकामा से बहुचर्चित बाहुबली अनंत सिंह राजद की तरफ से चुनाव मैदान में हैं। अनंत सिंह को टक्कर देने के लिए नीतीश कुमार ने राजीव लोचन को मैदान में उतारा है, लेकिन लोचन पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। यहां से अनंत सिंह का दबदबा दशकों से रहा है। 2015 वो निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी। इस बार भी शुरूआती रूझान में पाला बदलता दिखाई दे रहा है। क्योंकि, अनंत सिंह भी काफी आगे चल रहे हैं।

जमुई विधानसभा

यहां से भाजपा ने श्रेयसी सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि राजद ने वर्तमान विधायक विजय प्रकाश को महागठबंधन की तरफ से भरोसा जताया है, लेकिन शुरूआती रूझान के मुताबिक जनता ने इन पर भरोसा नहीं जताया है। श्रेयसी सिंह 14 हजार से अधिक वोटों के साथ बने हुए हैं। जबकि, वर्तमान विधायक विजय प्रकाश का पत्ता कटता दिख रहा है। यह सीट इस लिए अहम माना जा रहा ह क्योंकि श्रेयसी सिंह नेशनल सूटर रही हैं और केंद्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं। जबकि विजय प्रकाश पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण के छोटे भाई हैं।

हसनपुर विधानसभा

समस्तीपुर के हसनपुर से राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ताल ठोक रहे हैं। यहां भी पहले रूझान के मुताबिक कांटे की टक्कर है। तेजप्रताप जेडीयू ने राजकुमार राय से सिर्फ हजार वोट से आगे हैं। पिछली बार राजकुमार राय यहां से जीते थे।

बांकीपुर विधानसभा

पटना का बांकीपुर विधानसभा सीट खूब सुर्खियों में रहा हैं। इस सीट से अभिनेता और पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा हैं। लेकिन, अब वो काफी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। एनडीए की तरफ से मौजूदा विधायक नितिन नवीन कड़ा टक्कर दे रहे हैं। लव को अभी तक करीब दो हजार हीं वोट मिले हैं जबकि नवीन के खाते में 6 हजार से अधिक वोट जा चुके हैं। यह सीट और भी दिलचस्प इस लिए है क्योंकि मार्च में अखबार के छपे विज्ञापन के जरिए बिहार के अगले सीएम की दावेदारी करने वाली प्लुरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी हैं। लेकिन, प्रिया काफी पीछे चल रही हैं। शुरूआती रूझान में वो हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं छू पाई हैं। अभी तक महज 3 सौ वोट हीं मिले हैं।

परसा विधानसभा

सारण जिले का परसा विधानसभा क्षेत्र खास है। लालू के समधी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रिका राय को जेडीयू ने यहां से उतारा है। लेकिन वो आरजेडी के छोटे लाल राय से काफी पीछे चल रहे हैं। दोनों में करीब पांच हजार वोटों का अंतर है।

मधेपुरा विधानसभा

यहां से जाप के अध्यक्ष और मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव मैदान में हैं। उनको टक्कर देने के लिए जेडीयू ने निखिल मंडल पर भरोसा जताया है। और यहां जनता भी शुरूआती रूझान में भरोसा दिखाती नजर आ रही है। वो पहले नंबर पर बने हुए हैं। जबकि राजद की तरफ से प्रो. चंद्रशेखर मैदान में हैं, जो दूसरे नंबर पर हैं। पप्पू यादव तीसरे नंबर पर हैं। वो इस वक्त सिर्फ 6 हजार से अधिक वोट के साथ बने हुए हैं, जबकि निखिल मंडल 15 हजार वोट के साथ चल रहे हैं।

भले ही पार्टी ने इन नेताओं पर भरोसा जताया है लेकिन मतगणना खत्म होने के साथ ये स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर जनता ने किस पर भरोसा जताया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Bihar Assembly Election 2020, Bihar Assembly Election 2020, Next CM Of Bihar, Hot assembly seat, Nitish Kumar, Tejaswi Yadav, RJD, LJP, Pappu Yadav, JAP, नीतीश कुमार, बिहार चुनाव, मतगणना आज, अबकी बार किसका बिहा, तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, आजेडी, बिहार का अगला सीएम कौन
OUTLOOK 10 November, 2020
Advertisement