Advertisement
08 November 2015

बिहार के डीएनए पर नहीं चढ़ा भगवा रंग

गूगल

बिहार में नीतीश कुमार के जीत के गहरे मायने हैं। राष्ट्रीय राजनीति पर इसकी ध्वनि सुनाई देनी शुरू हो गई है। भाजपा के महासचिव राम माधव ने इसका शुरुआती संकेत देते हुए कहा, पार्टी गलतियां सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। अब ये कदम क्या होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन ये बात सभी मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की साख पर बट्टा लगा है।

बिहार से भाजपा के सांसदों ने इस स्वर में बात करने लगे हैं। पटना से भाजपा सांसद शत्रुघन सिन्हा के अलावा अलावा आरके सिंह ने चुनाव नतीजों के बाद भी नेतृत्व के प्रति अंसतोष जाहिर किया है। कुछ बिंदु जो बिहार चुनाव परिणामों ने सामने रखे हैं-

-बिहारी और बाहरी का नीतीश कुमार का दांव भाजपा के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर भारी पड़ा। बिहार में यह चर्चा आम था कि बिहार गुजराती भाइयों (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) को चुनेगा या बिहारी (नीतीश-लालू) को।

Advertisement

-भाजपा के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और खासतौर से अंतिम दो चरणों में गाय के मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा जोर देना उल्टा पड़ा। देश भर में मोदी और भाजपा के खिलाफ बन रहे माहौल ने भी असर डाला।

-बिहार का चुनाव, किसी भी अन्य राज्य की तरह राज्य के मुद्दे और राज्य के नेतृत्व पर केंद्रीत रहा। नीतीश एक सफल प्रशासक की छवि बरकरार रखने में कामयाब रहे।

-आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पुनर्विचार का बयान, घातक रहा।

-दादरी, दाल (अरहर की दाल), डॉग (कुत्ता) का मुद्दे ने भाजपा के खिलाफ बने माहौल को और हवा दी।

--महिलाओं ने अपने आत्मसम्मान और अधिकारों के लिए वोट दिया। भाजपा द्वारा गुजरात से औरतों को साड़ी बांटने का दांव उलटा पड़ा। इसे बिहारी मतदाताओं ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा। नीतीश की साइकिल महिलाओं के बीच दौड़ी।

-चुनाव अगड़ों और पिछड़ों की लड़ाई में तब्दील हुआ। पिछड़ों ने अपनी सत्ता के लिए दांव लगाया।

-नरेंद्र मोदी और अमित शाह का जरूरत से ज्यादा प्रोजेक्शन और राज्य स्तरीय भाजपा नेताओं को नजरंदाज करना गलत रणनीति रही। नफरत भरे जुमलों को बिहार की जनता ने सिरे से नकार दिया।

-नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री पद की छवि नरेंद्र मोदी की छवि पर भारी रही। लालू यादव ने जमीनी मजबूती दी।     

-नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बरकस एक भरोसेमंद विकल्प के तौर पर खड़े हो सकते हैं।

-दिल्ली के बाद बिहार में भाजपा की करारी हार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए गहरी परेशानी का सबब होगा। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: bihar election, bjp, nitish kumar, lalu, narendra modi, communal
OUTLOOK 08 November, 2015
Advertisement