Advertisement
18 November 2023

तेलंगाना: गारंटियों का कांटा

बीआरएस और कांग्रेस ने सियासी होड़ में खोला वादों का पिटारा लेकिन भाजपा के पास घोषणापत्र के नाम पर वोटर से बोलने को कुछ भी नहीं

अविभाजित आंध्र प्रदेश से अलग हुए तेलंगाना का यह तीसरा ही विधानसभा चुनाव है। पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और अब भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के दिग्गज के. चंद्रशेखर राव एक मायने में राज्य के संस्‍थापक मुख्यमंत्री हैं। हालांकि यूपीए सरकार के दौर में तब की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल से बने इस राज्य में पार्टी मुगालते में दोनों ही राज्यों में अपना आधार खो बैठी, जबकि उसके पहले तक वही सरकार में थी और राज्य में उसकी गहरी पैठ थी। कांग्रेस नेताओं का तो यह भी कहना है कि पुराने कांग्रेसी चंद्रशेखर राव ने फिर कांग्रेस में आ जाने का वादा किया था लेकिन उनकी महत्वाकांक्षाएं आड़े आ गईं। चंद्रशेखर राव ने करीने से अपनी बिसात बिछाई और लोगों को अपनी कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से दो चुनावों तक बांधे रखा, लेकिन इस बार ऐसे संकेत हैं कि कांग्रेस अपने इस गढ़ को वापस पाने की लड़ाई शिद्दत से लड़ रही है।

तकरीबन छह महीने पहले तक राज्य में कांग्रेस को कोई चुनौती नहीं माना जा रहा था। उससे ज्यादा असर भाजपा का बताया जाने लगा था और कहा जा रहा था कि बीआरएस को टक्कर भाजपा से मिलेगी। वहां तीसरा पक्ष हैदराबाद के आसपास वाले इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम है, जो बीआरएस की साझेदार है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा में उमड़े जनसैलाब से उत्साहित होकर युवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी. रेवंत रेड्डी ने प्रदेश में पैदल यात्राएं कीं और इस साल कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत ने वाकई कांग्रेस का नैरेटिव बदल दिया।

Advertisement

 रेवंत रेड़्डी कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के खास बताए जाते हैं और अब वे दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं और एक में सीधे के. चंद्रशेखर राव के मुकाबले खड़े हैं। शिवकुमार को प्रबंधन में माहिर माना जाता है। कहते हैं, शिवकुमार की कोशिशों से ही पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की बेटी वाइ.एस. शर्मिला भी कांग्रेस की ओर झुकी हैं। दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की बात भी उठी थी मगर तेलंगाना चुनावों में कोई प्रतिकूल असर न पड़े, इसलिए यह टल गया। अब शर्मिला ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी का समर्थन कांग्रेस को है। उधर, तेलुगुदेशम के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडु ने भी ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे संकेत हैं कि टीडीपी ने भी अंदरखाने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है। इससे रायलसीमा इलाके में खासकर प्रभावशाली कम्मा समुदाय में कांग्रेस को कुछ फायदा मिल सकता है।

सड़क का स्वादः कांग्रेस नेता राहुल गांधी जगतियाल में

सड़क का स्वादः कांग्रेस नेता राहुल गांधी जगतियाल में

कांग्रेस की इस सक्रियता को तेज करने के लिए तेलंगाना निर्माण दिवस पर सोनिया गांधी के साथ राहुल और प्रियंका ने भी रैली को संबोधित किया। बाद में राहुल और प्रियंका की कई रैलियां और रोड शो हुए। इससे ऐसे संकेत हैं कि भाजपा का आधार कमजोर पड़ गया है और मुसलमानों में कुछ दुविधा है। कांग्रेस वहां ओबीसी कार्ड भी खेल रही है और महिलाओं, किसानों, दलित तथा आदिवासियों को लुभाने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम लेकर आई है। वह बीआरएस के परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर भी हमलावर है।

लेकिन चंद्रशेखर राव भी बड़े खिलाड़ी हैं। उनके राज में शायद ही कोई तबका हो जिसे कोई न कोई फायदा हासिल नहीं है। किसानों को तो कई तरह की सहायता और सीधे पैसा पहुंचाने के कार्यक्रम पिछले कई साल से जारी हैं। उनके और खासकर कुछ विधायकों के खिलाफ जरूर सत्ता-विरोधी रुझान है। यह भी आरोप है कि उनके राज में कोई उद्योग नहीं लगे। बेरोजगारी दर भी काफी ज्यादा है। इसके अलावा लगातार दो बार की सत्ता से लोगों में उनके प्रति ऊब भी हो सकती है।

भाजपा के राजा सिंह

भाजपा के राजा सिंह

बहरहाल, 30 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों से ही पता चलेगा कि कल्याणकारी घोषणाओं का फल किसकी झोली में जाता है।

मुख्य घोषणाएं

कांग्रेस की झोली में क्या

अखिल भारतीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तेलंगाना में महिलाओं की झोली भरने का निर्णय लिया है। सरकार आते ही सामाजिक पेंशन के तौर पर सभी महिलाओं के खाते में हर महीने 2500 रुपये जमा किए जाएंगे

1000 रुपये वाला गैस सिलेंडर आधे दाम यानी 500 रुपये में मिलेगा

सभी सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा

संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस इन योजनाओं के अलावा अपने घोषणा पत्र में आर्थिक रूप से कमजोर तबके की बेटियों की शादी में दस ग्राम सोना देने के अलावा एक लाख रुपये नकद और छात्रों को मुफ्त इंटरनेट देने जैसी घोषणाएं भी कर सकती है

बीआरएस की बाजी

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने अपने मतदाताओं के लिए खजाना खोल दिया है। पार्टी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए हैं। पार्टी का दावा है कि किए गए सभी वादे सरकार बनने के छह से सात महीने के भीतर ही लागू किए जाएंगे

गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी 93 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रीमियम सरकार देगी

2016 रुपये की सामाजिक सुरक्षा पेंशन आने वाले पांच साल में धीरे-धीरे बढ़ाकर 5000 रुपये प्रतिमाह करने की योजना। फिर से सरकार बनते ही पहले साल में ही इस राशि को बढ़ाकर 3016 किया जाएगा

दिव्यांगों को मिलने वाली 4016 रुपये की पेंशन आने वाले पांच साल में बढ़ाकर 6016 कर दी जाएगी

‘रायतु बंधु’ योजना के तहत किसानों को हर प्रति एकड़ अभी 10 हजार रुपये दिए जाते हैं, इसे भी पांच साल में बढ़ाकर 16 हजार रुपये प्रति वर्ष कर दिया जाएगा।

योग्य लाभार्थियों को गैस सिलेंडर 400 रुपये में

आरोग्य श्री स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा कवर बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का वादा

बेघरों के लिए गृह लक्ष्मी योजना के तहत हैदराबाद में दो कमरों के 1 लाख घर बनाए जाएंगे

राज्य में आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए 119 आवासीय विद्यालय बनाने का वादा

जूनियर कॉलेजों को आवासीय कॉलेजों में बदला जाएगा

भाजपा के हाथ खाली

चुनाव में किसी भी पार्टी की जीत में घोषणा-पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन भाजपा के नेता चुनाव से पहले इस नाम पर बगलें झांक रहे हैं। घोषणा की बात तो दूर, अभी पार्टी यह भी तय नहीं कर पा रही है कि इसे ड्राफ्ट कौन करेगा। दरअसल यह संकट पूर्व सांसद जी. विवेक वेंकटस्वामी के भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लेने से गहराया है। विवेक विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की तेलंगाना इकाई की घोषणा-पत्र समिति के अध्यक्ष थे। हालांकि तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार बनती है, तो पार्टी किसी ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाएगी।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: BRS, Congress, box of Promises, Political Competition
OUTLOOK 18 November, 2023
Advertisement