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31 May 2018

पंजाब के शाहकोट से अकाली को झटका, कांग्रेस ने एक बार फिर लहराया परचम

File Photo

पंजाब में जालंधर जिले की शाहकोट विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अकाली दल के उम्मीदवार नायब सिंह कोहाड़ को 38,802 मतों से पराजित कर अकाली दल से यह सीट छीन ली है। कांग्रेस को 82,745 मत मिले। अकाली दल के नायब सिंह कोहाड़ को कुल 43,944 और आम आदमी पार्टी (आप) को कुल 1900 मत प्राप्त हुए हैं।

नायब सिंह कोहाड़ ने ईवीएम मशीनों में भारी संख्या में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। 1992 के बाद कांग्रेस ने 26 साल बाद इस सीट को अपने कब्जे में लिया। नतीजे आने के बाद कांग्रेसियों में खुशी की लहर पाई जा रही है।  चुनाव दौरान मुख्य मुकाबला कांग्रेस के हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया, अकाली दल के नायब सिंह कोहाड़ और आम आदमी पार्टी के रतन सिंह काकड़कलां के बीच था। अकाली विधायक अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर 28 मई को मतदान हुआ था।

पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं शाहकोट से विधायक अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के कारण ये सीट खाली हुई है। कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने राहुल गांधी को तीन नाम सुझाए थे। इनमें केवल सिंह ढिल्लों, लाल सिंह और हरदेव सिंह लाडी शामिल थे।  

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कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में लाडी को बनाया था उम्मीदवार

कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में लाडी को उम्मीदवार बनाया था। श्री लाडी शाहकोट विधानसभा चुनाव में अकाली दल के अजीत सिंह कोहाड़ के मुकाबले चुनाव मैदान में थे और कम वोटों  के अंतर से चुनाव हार गए थे। 

ग्रामीण बहुल होने के कारण शाहकोट में अकाली दल का दबदबा

शाहकोट हलका ग्रामीण बहुल होने के कारण इस पर अकाली दल का दबदबा रहा । श्री कोहाड़ की असामयिक मृत्यु के कारण यह सीट रिक्त हो गई थी जिसके बाद अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने श्री कोहाड़ के बेटे नायब सिंह कोहाड़ को शाहकोट से अपना उम्मीदवार घोषित किया था। 

शाहकोट में तकरीबन 1.72 लाख मतदाता हैं। इसमें से सबसे बड़ी संख्या कंबोज बिरादरी की है। करीब 52 हजार वोट कंबोज बिरादरी के हैं, जबकि जट्ट सिख मतदाता की संख्या लगभग 45 हजार है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी हरदेव सिंह लाडी 4905 वोटों से हार गए थे। महत्वपूर्ण यह भी है कि इस सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रहे डॉ. अमरजीत सिंह को 41,010 वोट पड़े थे, जो कि बाद में अकाली दल में शामिल हो गए थे।

अब तक यह रहे विजेता

वर्ष          विजेता             दल

1977    बलवंत सिंह      शिअद

1980    बलवंत सिंह       शिअद

1985    बलवंत सिंह       शिअद

1992    बृज भूपेंदर सिंह    कांग्रेस

1997    अजीत सिंह कोहाड़    शिअद

2002    अजीत सिंह कोहाड़    शिअद

2007    अजीत सिंह कोहाड़    शिअद

2012    अजीत सिंह कोहाड़    शिअद

2017    अजीत सिंह कोहाड़    शिअद

गौरतलब कि माइनिंग से जुड़ा वीडियो वायरल होने के बाद शाहकोट के बड़े कांग्रेस नेताओं ने हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया को टिकट न देने की मांग की थी,उसके बावजूद शेरोवालिया को टिकट देना कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब न बन जाए।

डॉ. नवजोत दहिया, पूर्व मंत्री बृज भुपिंदर सिंह लाली, कैप्टन हरमिंदर सिंह, राजनबीर सिंह और किसान सेल के प्रधान पूरन सिंह थिंद ने पार्टी हाईकमान से अपील की थी कि विवादों में घिरे लाडी शेरोवालिया को टिकट देने से नुकसान होगा। इन पांचों नेताओं ने कहा था कि लाडी की बजाय उनमें से किसी को भी टिकट दी जाती है तो वे एकजुट होकर लड़ेंगे। इन नेताओं ने प्रैस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस सरकार एक साल से माइनिंग के खिलाफ लड़ रही है और इसी मुद्दे पर सरकार भी बनाई थी।

पंजाब के जिला जालंधर के तहत आने वाले विधानसभा चुनाव क्षेत्र शाहकोट में अकालियों की हार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि लोग उन्हें नकार चुके हैं। जिस मुद्दे को लेकर हर बार चुनाव लड़े जाते उसी पर अकाली दल फेल होता नजर आया और कैप्टन अमरेंद्र ने उसी मुद्दे के बल पर इन चुनाव को जीता। ये मुद्दा था सरकारी कॉलेज का। सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए अहम इस सीट पर अकाली दल ने पूरा दमखम दिखाया लेकिन अपनी नीतियों में सुधार न होने चलते फिर मुंह की खानी पड़ी। 

ये रहे हार के कारण

1. जनता ने दिखा दिया कि इतने साल अकालियों के राज ने शाहकोट में कोई बड़ा विकास नहीं करवाया।
2. शाहकोट साधन संपन्न इलाका है। यहां के लोग बड़ी तादाद में विदेश में जाकर अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं। यही वजह है कि पंजाब ही नहीं विदेशों में बसे एनआरआई पंजाबियों की अकालियों की कारगुजारी पर नजर थी।
3. शाहकोट के मेहतपुर थाना प्रभारी इंस्पैक्टर परमिंदर पाल सिंह बाजवा की अकालियों से बातचीत होना जिसके बाद लाड़ी पर मामला दर्ज किया गया भी इसका कारण बना।
4. वहीं अकालियों में शामिल हुए बाहरी नेताओं ने इनकी नैया को डुबो दिया जैसे अमरजीत थिंद,सीडी कंबोज आदि पार्टी में शामिल हुए जिसके बाद अकाली आपस में ही भिड़ने लगे।
5.नायब सिंह कोहाड़ एक अच्छे वक्ता साबित नहीं हुए । हालांकि सीट उन्हें उनके पिता के आधार पर दी गई थी।
6.यहां के लोग हर बार चुनाव से पहले सरकारी कालेज बनाने का मुद्दा उठाते लेकिन 26 वर्ष तक उनकी ये मांग पूरी नहीं हुई। लेकिन सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने हाल ही में किए नकोदर दौरे दैरान शाहकोट सरकारी कालेज के लिए ग्रांट का ऐलान कर दिया जो उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

 

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TAGS: Congress, wins, Shahkot assembly, bypoll, seat, in Punjab
OUTLOOK 31 May, 2018
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