बंगाल चुनाव में भ्रष्टाचार बना सबसे अहम चुनावी मुद्दा
पश्चिम बंगाल में छह चरण में होने वाला चुनाव कल से शुरू हो रहा है। स्वतंत्रता के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार का मुद्दा चुनाव अभियान के केंद्र में है। माकपा के राज्य सचिव सूर्य कांत मिश्रा ने कहा, इससे पहले इस तरह की भ्रष्ट सरकार सत्ता में नहीं आई थी। आपातकाल के दौरान हमने लोकतंत्र की बहाली और लोकतांत्रिक अधिकारों के मुद्दे पर सिद्धार्थ शंकर रे की सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। लेकिन सत्तारूढ़ टीएमसी के नेताओं द्वारा जिस बड़े पैमान पर भ्रष्ट आचरण किया जा रहा है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। सारदा घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद जेल में बंद राज्य के पूर्व खेल मंत्री मदन मित्रा का हवाला देते हुए मिश्रा ने कहा, सारदा घोटाले से नारद स्टिंग ऑपरेशन तक इस चुनाव में भ्रष्टाचार एक मुख्य मुद्दा है। लोकतंत्र की बहाली, बेरोजगारी भी वहां है लेकिन भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि बंगाल के लोग भ्रष्ट सरकार से तंग आ गए हैं। क्या आपने कभी भ्रष्टाचार में संलिप्तता को लेकर बंगाल के किसी मंत्री को गिरफ्तार होते देखा था।
स्वतंत्रता के बाद से पश्चिम बंगाल में हमेशा विचारधारा, सरकार की नीतियों, विपक्षी पार्टियों के अधिकारों की बहाली, विकास, औद्योगीकरण, बेरोजगारी और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर चुनाव लड़े जाते रहे हैं। लेकिन सत्तासीन सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप कभी देखने को नहीं मिले थे। भ्रष्टाचार के आरोपों का जबाव देते हुए टीएमसी ने कहा कि सारदा घोटाला तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार का पाप है और नारद स्टिंग चुनाव से पहले टीएमसी को बदनाम करने के लिए एक डॉक्टर्ड स्टिंग है। टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, सारदा जैसे चिट फंड तत्कालीन वाम सरकार का पाप है, यह हमारी सरकार है जिसने उन पोंजी कंपनियों को बंद किया और उनके बॉसों को गिरफ्तार किया। ममता ने दावा किया कि टीएमसी देश में सबसे ईमानदार राजनीतिक पार्टी है। हाल ही में ध्वस्त हुए फ्लाईओवर को लेकर भी राज्य के पीडब्ल्यूडी विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। इस हादसे में 26 लोगों की जान गई है।