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11 March 2019

ईवीएम पर ना उठे सवाल इसलिए चुनाव आयोग ने की है खास तैयारी, पहली बार लागू होंगे ये नए नियम

चुनाव आयोग ने रविवार को बहुप्रतीक्षित 17वीं लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। इस दौरान 2019 के लोकसभा चुनाव में कई नियम और प्रावधान पहली बार देखने को मिलेंगे। राजनीतिक दलों की ओर से लगातार ईवीएम मशीन पर उठ रहे सवालों के मद्देनजर यह पहला मौका है जब देशभर में सभी बूथों पर वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। साथ ही वोटिंग मशीन पर पार्टी के नाम और चिन्ह के साथ ही उम्मीदवारों की फोटो भी होगी। वहीं इस बार उम्मीदवारों को विज्ञापन देकर अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना होगा। उन्हें सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी भी देनी होगी।

2019 लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए 10 लाख बूथ बनाए जाएंगे। इस बार लोकसभा चुनाव में 90 करोड़ मतदाता होंगे। इनमें 8.43 करोड़ नए वोटर हैं। कुल वोटरों में 1.5 करोड़ 18-19 साल की उम्र के मतदाता हैं। सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले मतदान के बाद 23 मई को मतगणना होगी। इस बार चुनाव में कई प्रावधान पहली बार अपनाए जा रहे हैं।

ईवीएम पर उम्मीदवारों की तस्वीर

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चुनाव आयोग ने कहा है कि ईवीएम और पोस्टल बैलट पेपरों पर सभी उम्मीदवारों की तस्वीरें होंगी ताकि वोटर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे नेताओं की पहचान कर सकें। आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की बैलट इकाइयों और पोस्टल बैलट पेपरों पर तस्वीरें छपी होंगी। इसके लिए उम्मीदवारों को आयोग की ओर से निर्धारित शर्तों पर अमल करते हुए निर्वाचन अधिकारी के पास अपनी हालिया स्टैंन साइज तस्वीर देनी होगी।

जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से होगी ईवीएम ले जाने वाले वाहनों की निगरानी

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि ईवीएम पर कड़ी नजर रखी जाएगी। इसके लिए मशीनों को ट्रैक करने के लिए इन्हें लाने-ले जाने वाले सभी वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया जाएगा। बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में इसको लेकर शिकायतें मिली थीं। लोकसभा चुनाव के लिए हेल्पलाइन नंबर-1950 होगा। मोबाइल पर ऐप के जरिए भी आयोग को आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी दी जा सकती है और 100 मिनट के भीतर आयोग के अधिकारी को इस पर कार्रवाई करेंगे। साथ ही शिकायतकर्ता की निजता का ख्याल रखा जाएगा।

देशभर में सभी बूथों पर होगा वीवीपैट का इस्तेमाल

इस आम चुनाव में पहली बार पूरे देश भर में वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। बता दें कि ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है। वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची बनती है, इस पर जिस प्रत्याशी को वोट दिया है उसका नाम और चुनाव चिन्ह होता है। यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है, इसके बाद मशीन में लगे बॉक्स में चली जाती है। इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड डिजायन किया है।

सी-विजल' का इस्तेमाल

चुनाव आयोग के मुताबिक, शुचिता बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल ऐप ‘सी-विजल' का इस्तेमाल किया जायेगा। इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा। इस पर संबद्ध प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करना अनिवार्य है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था।

उम्मीदवारों को देना होगा आपराधिक रिकॉर्ड का विज्ञापन

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अपने आपराधिक रिकॉर्ड को कम से कम तीन बार अखबार तथा टीवी पर विज्ञापित करना अनिवार्य किया है। इस संबंध में निर्देश 10 अक्टूबर 2018 को जारी किए गए थे, लेकिन 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले इस लोकसभा चुनाव में पहली बार इस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा। निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का विज्ञापन देना होगा। इसका मतलब है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को प्रचार अवधि के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों तथा लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा। जिन उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात का उल्लेख करना होगा।

पैनकार्ड नहीं देने पर उम्मीदवारों का नामांकन होगा रद्द

चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार लोकसभा चुनाव में सभी उम्मीदवीरों को न सिर्फ पिछले पांच साल की आय का ब्यौरा देना होगा, बल्कि पैन कार्ड भी देना अनिवार्य होगा। यदि कोई उम्मीदवार पैनकार्ड नहीं देता तो उसका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही उम्मीदवारों को विदेश में मौजूद संपत्ति की भी जानकारी देनी होगी। इस बार फॉर्म 26 में सभी जानकारियां भरनी होंगी, नहीं तो उम्मीदवारी रद्द हो जाएगी।

मॉनिटरिंग कमेटी में सोशल मीडिया एक्सपर्ट भी शामिल होंगे

चुनाव आयोग ने चुनाव अभियान में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर चुनाव के दौरान इसके दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार एवं छद्म प्रचार को रोकने के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में सख्त प्रावधान किए हैं। लिहाजा चुनाव आयोग लोकसभा चुनावों से पहले फर्जी खबरों (फेक न्यूज) पर नजर रखने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया साइटें ‘तथ्यों की जांच-परख करने वालों' को तैनात करेगी।

पहली बार सोशल मीडिया पर प्रचार का खर्च भी प्रत्याशी के चुनावी खर्चे में जुड़ेगा

 मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सोशल मीडिया के हर प्लैटफॉर्म ने ऐसा तंत्र बनाया है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान सिर्फ उन्हीं राजनीतिक विज्ञापनों को स्वीकार किया जाएगा, जो पहले से प्रमाणित हों। वे इस मद में हुए खर्च का ब्योरा भी चुनाव अधिकारियों से साझा करेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी। चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह पहल की है। इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गयी थी।

 

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OUTLOOK 11 March, 2019
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