इस बार शुरू में नरम रहा चुनाव आयोग लेकिन धीरे-धीरे आया फॉर्म में
सुपीम कोर्ट ने आज कहा कि लगता है चुनाव आयोग जाग गया है और उसे अपनी शक्तियां मिल गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी चुनाव आयोग के उस फैसले के ठीक एक दिन बाद आई, जब आयोग ने चार बड़े नेताओं पर सख्ती दिखाते हुए उनके चुनाव प्रचार पर लिमिटेड बैन लगा दिया। आयोग ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे, बसपा प्रमुख मायावती पर 48 घंटे, सपा नेता आजम खान पर 72 घंटे और भाजपा नेता मेनका गांधी पर 48 घंटे का बैन लगाया। मायावती ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और उपरोक्त टिप्पणी की।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट को ये टिप्पणी क्यों करनी पड़ी? असल में, चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू हो गई थी। कई नेता लगातार इसका उल्लंघन कर रहे थे और चुनाव आयोग पर आरोप लग रहा था कि वह ढीला रवैया अपना रहा है और उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है। उसकी आलोचना भी हुई लेकिन धीरे-धीरे आयोग ट्रैक पर लौटने लगा और अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना शुरू किया।
आइए, कुछ मामलों पर नजर डालते हैं, जिनसे पता चलता है कि चुनाव आयोग के रुख में कैसे परिवर्तन आया।
पीएम मोदी का ‘मिशन शक्ति’ संबोधन, आयोग ने दी क्लीन चिट
मिशन शक्ति की कामयाबी के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने 27 मार्च को राष्ट्र के नाम संदेश के जरिए जानकारी दी। पीएम मोदी ने कहा था कि 27 मार्च का दिन हमारे लिए खास है। ये वो दिन है जब भारत दुनिया के उन चार देशों में शामिल हो चुका है जिनके पास अंतरिक्ष में किसी शत्रु सैटेलाइट को मार गिराने में कामयाबी हासिल हुई है। इसके जरिए अब भारत स्पेस के फ्रंट पर भी मजबूत हो चुका है।
लेकिन विपक्षी दलों ने इसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की थी। विपक्षी दलों ने कहा था कि वह इस इवेंट का राजनीतिकरण कर रहे हैं और यह आचार संहिता का उल्लंघन है। विपक्ष की शिकायत पर आयोग ने जांच के आदेश दिए लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग ने कहा कि आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ और पीएम मोदी को क्लीन चिट दे दी।
कल्याण सिंह-योगी आदित्यनाथ के बोल, आयोग रहा नरम
पिछले महीने राजस्थान के गवर्नर ने पीएम मोदी के समर्थन वाला बयान दिया था और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बता दिया था।
संवैधानिक पद पर रहते हुए कल्याण सिंह ने कहा अलीगढ़ में कहा था, ‘हम सभी बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, हम चाहते हैं कि बीजेपी बड़ी जीत हासिल करे। देश के लिए जरूरी है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें।‘ इसे लेकर चुनाव आयोग ने देरी से संज्ञान लिया और राष्ट्रपति को रिपोर्ट भी भेजी लेकिन इस मामले पर कुछ खास प्रगति नहीं हुई।
वहीं, योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में एक चुनावी सभा भारतीय सेना को 'मोदीजी की सेना' करार दिया था। विपक्षी नेताओं ने योगी पर हमला बोलते हुए उन पर सेना का अपमान करने का आरोप लगाया।
इस पर चुनाव आयोग ने योगी को नोटिस भेजा था और हिदायत दी थी कि उन्हें एक वरिष्ठ राजनेता के नाते भविष्य में ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर सावधानी बरतनी चाहिए।
आयोग हुआ सख्त, मोदी की बायोपिक पर बैन, नमो टीवी पर निर्देश
11 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव से पहले चुनाव आयोग हरकत में आ गया। इस दिन रिलीज होने वाली विवेक ओबेरॉय अभिनीत पीएम मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ पर आयोग ने एक दिन पहले 10 अप्रैल को बैन लगा दिया। कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग ने शिकायत की थी। सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला पहुंचा था और कोर्ट ने कहा था कि इस पर फैसला आयोग को करना है।
वहीं, चुनाव आयोग ने नमो टीवी को लेकर निर्देश दिए कि बिना सर्टिफिकेशन के राजनीतिक कंटेंट का प्रसारण नहीं होना चाहिए। साथ ही आयोग ने बिना अनुमति के दिखाई जा रहे कंटेंट तत्काल प्रभाव से हटाने के लिए कहा है। चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को कहा कि वह नमो टीवी पर प्रसारित होने वाले राजनीतिक कंटेंट पर रोक लगाना तय करें और कमिटी की मंजूरी के बिना नमो टीवी पर कोई कंटेंट प्रसारित न किया जाए। चुनाव आयोग ने नमो टीवी को लेकर सख्ती दिखाते हुए और भारतीय जनता पार्टी से जवाब मांगा था। इतना ही नहीं नमो टीवी को चुनाव आयोग ने एक राजनीतिक विज्ञापन की श्रेणी में रखा था।
दूरदर्शन पर भी आयोग ने दिखाई सख्ती
नमो टीवी के अलावा चुनाव आयोग ने दूरदर्शन पर भी सख्ती दिखाई थी। आरोप था कि दूरदर्शन द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों को दिए गए एयरटाइम कवरेज में समानता नहीं है। चुनाव आयोग ने इस बाबत दूरदर्शन को पत्र लिखकर कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को देने जाने एयरटाइम कवरेज में समानता लाए।
इन चार नेताओं पर आयोग की कार्रवाई
आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग ने सोमवार को कड़ी सख्ती दिखाई। चुनाव आयोग ने योगी आदियत्यनाथ पर 72 घंटे और मायावती पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार, भाषण और बयानबाज़ी करने पर रोक लगा दी। दोनों नेताओं पर चुनाव आयोग का प्रतिबंध 16 अप्रैल सुबह 6 बजे से लागू हो गया है। दोनों पर धार्मिक आधार पर वोट मांगने के आरोप में कार्रवाई हुई। योगी ने जहां अली और बजरंगबली को लेकर बयान दिया था वहीं देवबंद रैली में मायावती ने मुसलमानों से गठबंधन को वोट देने की अपील की थी।
वहीं, आयोग ने आजम खान और मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर भी रोक लगा दी। आजम खान के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे और मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर 48 घंटे के लिए बैन लगा दिया है। आजम खान ने रामपुर से भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा पर आपत्तिजनक बयान दिया था वहीं मेनका गांधी ने मुसलमानों को लेकर विवादित बयान दिया। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त अधिकारों को इस्तेमाल करते हुये दोनों नेताओं के रवैये की आलोचना करते हुये देश में कहीं भी प्रचार अभियान में हिस्सा लेने से रोका है।