विधानसभा चुनाव’24 हरियाणा: जोड़-जुगाड़ का धुंधलका
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को हो रहे मतदान के लिए सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन में तमाम जातिगत और श्रेत्रीय समीकरण साधने और जोड़-जुगाड़ की रणनीति अपनाई, फिर भी सियासी फिजा पर खास फर्क नहीं दिखता है, थोड़ा धुंधलका जरूर छा गया है। जाट और गैर-जाट, ओबीसी, दलित जैसे जाति समीकरणों में सभी दल इस कदर उलझे हैं कि 90 में से 38 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने डटे हैं। परिवार के सदस्यों को भी पार्टियों ने भिड़ा दिया है। सत्तारूढ़ भाजपा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चेहरे को केंद्र में रखकर जाट-गैर जाट ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी है और उसने सबसे अधिक 22 ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने भी 20 सीटों पर ओबीसी उतारे हैं। जाट समुदाय के सबसे अधिक 28 उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस की तुलना में भाजपा 16 जाट चेहरों पर सिमटी है।
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी, आंदोलनकारी किसानों के विरोध प्रदर्शनों और कांग्रेस की कड़ी टक्कर की तोड़ में भाजपा ने ओबीसी कार्ड के अलावा बगैर किसी औपचारिक गठबंधन के सिरसा विधायक गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अंदरखाने हाथ मिलाया है। त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में यह भाजपा की इन क्षेत्रीय दलों को साधने की कवायद जान पड़ती है। दलित वोटों को साधने के लिए इनेलो और बसपा का पहले से ही गठजोड़ हो चुका है। राजनैतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि कई सीटों पर एक नहीं, अलग-अलग समूहों के कई निर्दलीयों को भी शह दी जा रही है। भाजपा यूं तो तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन वह शायद त्रिशंकु नतीजों की हालत में गठबंधन और जोड़-जुगाड़ की खिड़कियां भी खोलने की रणनीति पर चल रही है। आउटलुक से मुख्यमंत्री सैनी कहते हैं, ‘‘त्रिशंकु नतीजे आए तो अनुकूल पार्टियों से हाथ मिलाया जाएगा’’ (देखें इंटरव्यू)।
चर्चाएं तो ये भी हैं कि दलित वोटों में बंटवारे के लिए जननायक जनता पार्टी (जजपा) का आजाद समाज पार्टी के साथ गठजोड़ खास रणनीति का हिस्सा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीट पर सिमटी भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उसने गठबंधन तोड़ लिया था।
भाजपा की रणनीति अब तमाम क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों के दम पर तीसरी पारी पाने की है। यह रणनीति इनेलो और हलोपा के प्रभाव वाली सिरसा, हिसार और फतेहाबाद जिले की 15 सीटों पर कांग्रेस के समक्ष नई चुनौती खड़ी कर सकती है। गुप्त गठबंधन से पहले गोपाल कांडा ने अपनी पार्टी हलोपा के भाजपा में विलय का प्रस्ताव ठुकराकर गठबंधन के लिए शर्त में भाजपा से यही 15 सीटें मांगी थीं। इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला ने आउटलुक से कहा, “अगली सरकार में सिरसा, हिसार और फतेहाबाद की भूमिका अहम रहेगी।” इन सीटों पर देवीलाल और भजनलाल परिवार के आठ सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार दोनों से ही किसानों, युवाओं और महिलाओं की नाराजगी से कांग्रेस को बढ़त बेशक है, लेकिन उसके भीतर की खेमेबाजियों और कुछ कमजोर उम्मीदवारों की वजह से उसकी संभावनाएं गड़बड़ा सकती हैं। उसके लिए बड़ी चुनौती भाजपा की कथित गुप्त रणनीतियों से निपटना हो सकता है। भाजपा की कोशिश कांग्रेस में खासकर दलित नेता सैलजा की नारजगी को भी हवा देने की है।
पांच हॉट सीटें
हरियाणा की टॉप 5 हॉट सीटों में पहली सीट जींद जिले की जुलाना है, जो कुश्ती ओलंपियन विनेश फोगाट की वजह से सुर्खियों में है। दूसरी हॉट सीट भी इसी जिले की उचाना है, जहां पूर्व उप-मुख्यमंत्री, जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला की कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह से सीधी टक्कर है। तीसरी सीट कुरुक्षेत्र जिले की लाडवा है, जहां से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के भाग्य का फैसला होगा। चौथी सीट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की किलोई है। बदले समीकरणों में पांचवीं हलोपा के गोपाल कांडा की सिरसा सीट चर्चा में हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान विनेश फोगाट
जुलाना: ओलंपिक कुश्ती के अखाड़े से कांग्रेस के चुनावी अखाड़े में जींद जिले की जुलाना सीट पर डटी विनेश फोगाट पर पूरे देश की निगाहें हैं। पदक से अयोग्य घोषित हुई विनेश के पक्ष में संवेदनाओं के साथ चुनौतियां भी कम नहीं हैं। यहां 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो और 2019 में जजपा जीती थी। कुल 1.87 लाख वोटरों वाली जाट बहुल (70%) इस सीट पर पांच प्रमुख उम्मीदवारों में चार जाट हैं। उनमें विनेश के मुकाबले डब्ल्यूडब्ल्यूई स्पर्धा में जाने वाली पहली भारतीय महिला कुश्तीबाज कविता दलाल आम आदमी पार्टी से, इनेलो-बसपा के सुरेंद्र लाठर और जजपा के मौजूदा विधायक अमरजीत ढांडा हैं। भाजपा ने गैर-जाट बैरागी समुदाय के कैप्टन योगेश पर दांव खेला है। 1966 में हरियाणा के गठन से लेकर अब तक यह सीट कांग्रेस केवल तीन बार ही जीत पाई है। भाजपा की 10 साल की सरकार की एंटी-इन्कंबेंसी और गठबंधन में पांच साल सरकार की सहयोगी रही जजपा के प्रति खासकर किसानों की भारी नाराजगी के चलते करीब 20 साल बाद जुलाना सीट विनेश के जरिये कांग्रेस के खाते में जा सकती है। 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने यहां जीत दर्ज की थी, हालांकि विनेश के लिए चुनौती कांग्रेस के भितरघात और जाति समीकरणों को साधना है। आउटलुक से बातचीत में विनेश की ससुराल जुलाना के गांव बख्ताखेड़ा के सरपंच सुधीर ने कहा, “पहलवान विनेश जुलाना की बहु है तो दूसरी पहलवान कविता दलाल जुलाना की बेटी है। दोनों से ही यहां के लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं पर सत्ता विरोधी लहर में विनेश के साथ सहानुभूति है।”
उचाना:
दुष्यंत चौटाला
सुर्खियों में दूसरी हॉट सीट जींद जिले की उचाना है, जहां भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला आंदोलनकारी किसानों के भारी विरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह के सामने डटे हैं। इन दो जाट उम्मीदवारों की टक्कर में भाजपा ने गैर-जाट समीकरण बैठाते हुए ब्राह्राण समाज के देवेंद्र अत्री पर दांव खेला है। 2019 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से बृजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता को 47,000 से अधिक वोटों के बड़े मार्जिन से हराने वाले दुष्यंत चौटाला के लिए इस बार उचाना से राह आसान नहीं हैं। जजपा से नाराज किसान संगठन इस कदर विरोध में उतरे हैं कि चुनाव प्रचार के लिए 17 सितंबर को कैथल के गांव बलबेहड़ा गए दुष्यंत को अपनी चुनावी जनसभा रद्द करनी पड़ी।
लाडवा:
नायब सिंह सैनी
कुरुक्षेत्र जिले की लाडवा विधानसभा सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की वजह से हॉट सीट बनी हुई है। 10 साल के चुनावी सफर में सैनी की बदली हुई यह चौथी सीट है। 2014 में गृह क्षेत्र नारायगढ़ (अंबाला) से विधायक चुने गए सैनी 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बने और बीते 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद पर मनोहरलाल खट्टर की जगह आने पर करनाल में उपचुनाव जीते। इस बार भी वे करनाल से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनकी इच्छा के उलट लाडवा सीट उनके लिए चुनौती है क्योंकि लाडवा के साथ लगता पीपली किसान आंदोलन का गढ़ रहा है। दूसरे, भाजपा के बागियों से भितरघात का खतरा भी है। उनके मुकाबले में 2019 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले कांग्रेस विधायक मेवा सिंह (जाट समुदाय) हैं। यहां के 1.96 लाख वोटरों में बहुतायत सैनी समाज के अलावा 40 प्रतिशत वोट ओबीसी वर्ग के होने के बावजूद नायब सैनी को अंदरखाते समर्थन के लिए इनेलो-बसपा गठबंधन ने यहां 2009 में विधायक रहे शेर सिंह बड़शामी की पुत्रवधु सपना बड़शामी (जाट) को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ने की कोशिश की है, ताकि जाटों के 15 प्रतिशत वोट कांग्रेस और इनेलो-बसपा गठबंधन में बंट सकें।
गढ़ी-सांपला-किलोई:
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह क्षेत्र किलोई हॉट सीट पर भाजपा का दांव रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा पर है। 2019 में भूपेंद्र हुड्डा ने यहां से भाजपा के सतीश नांदल को 58 हजार से अधिक मतों से हराया थ्ाा। इस बार जाति और समगोत्र समीकरण कितना काम करता है, यह चुनाव नतीजे तय करेंगे। हुड्डा के मीडिया सलाहकार सुनील परती के मुताबिक, “कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के लिए पूरे हरियाणा का दौरा कर रहे हुड्डा नामांकन के बाद प्रचार के लिए सांपला नहीं जा पाते, स्थानीय कार्यकर्ता ही उनका चुनाव लड़ते हैं।”
सिरसा:
गोपाल कांडा
ताजा समीकरणों के बीच हॉट सीट सिरसा भाजपा, इनेलो और हलोपा के भविष्य की राजनीति तय करेगी। 16 सितंबर को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन कांग्रेस के 36 और भाजपा के 33 बागी निर्दलीय उम्मीदवारों समेत 190 निर्दलीय उम्मीदवारों की नामांकन वापसी के बीच भाजपा ने सिरसा से अपने प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा का नामांकन वापस करवाकर गुप्त गठबंधन का संकेत दिया है। सिरसा से मौजूदा विधायक हलोपा प्रत्याशी गोपाल कांडा के समर्थन में भाजपा द्वारा सिरसा सीट छोड़े जाने के सवाल पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ोली ने आउटलुक से कहा, “मेरे संज्ञान में नहीं है कि सिरसा से हमारे प्रत्याशी ने नामांकन वापस लिया है और न ही गोपाल कांडा से हमारी पार्टी का कोई गठबंधन है।”
भाजपा के इस अंदरूनी खेल पर कांडा आए दिन अपने बयानों से पलट रहे हैं। नामांकन वापसी के आखिरी दिन 16 सितंबर को कांडा ने उनके परिवार के आरएसएस से जुड़े होने का तर्क देते हुए कहा, “जीतने के बाद भाजपा की सरकार बनाएंगे। हम भाजपा की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं।” 17 सितंबर को पहले के बयान से पलटे हुए कांडा ने भाजपा के समर्थन के सवाल पर कहा, “मैंने भाजपा से समर्थन मांगा ही नहीं। हलोपा का इनेलो-बसपा के साथ गठबंधन है।”
भाजपा के इनेलो-बसपा और हलोपा के साथ ‘फ्रैंडली मैच’ से खफा भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर से कहा, “कत्ल ही करना था तो बता दिया होता, हम अपना शीश खुद ही दे देते।"
बिसात पर निर्दलीय
रण्नीतिः कुरुक्षेत्र में सावित्री जिंदल
इस बार भी निर्दलीयों की भूमिका अहम हो सकती है या अहम बनाने की बिसात बिछाई जा चुकी है। मैदान में कुल 465 निर्दलीय उम्मीदवारों में करीब 70 ऐसे हैं जिन्हें कांग्रेस और भाजपा से टिकट नहीं मिला। जीटी रोड बेल्ट अंबाला कैंट, पानीपत, सोनीपत से लेकर हिसार, सिरसा और मिलेनियम सिटी गुरुग्राम तक निर्दलीय प्रमुख दलों के उम्मीदवारों के गले की फांस बने हैं। अंबाला कैंट से कांग्रेस के बड़े बागी चेहरे के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विश्वासपात्र अंबाला शहर से कांग्रेस उम्मीदवार निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा टिकट न मिलने से छह बार के विधायक तथा पूर्व गृह मंत्री, भाजपा के अनिल विज और कांग्रेस के परविंदर सिंह परी के खिलाफ डटी हैं।
कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद उद्योपति नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल हिसार से भाजपा का टिकट न मिलने पर आजाद उम्मीदवार हैं। इससे भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कमल गुप्ता को यहां ‘कमल’ खिलाने में भारी मश्क्कत करनी पड़ सकती है। सावित्री जिंदल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर हिसार से 2005 और 2009 में विधायक थीं। बेटे नवीन जिंदल के भाजपा में शामिल होने के बाद बीते मार्च सावित्री जिंदल भी टिकट मिलने की उम्मीद में भाजपाई हो गईं। भाजपा के टिकट के एक और दावेदार हिसार के पूर्व मेयर रोहित सरदाना भी बागी के तौर पर मैदान में हैं। बागियों से जूझती भाजपा के साथ कांग्रेस के रामनिवास राड़ा का मुकाबला रोचक हो सकता है।
सिरसा की रानियां सीट से भाजपा का टिकट न मिलने से निर्दलीय मैदान में ताल ठोक रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला के मुकाबले उनके पोते अर्जुन चौटाला मैदान में हैं। 2009 में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर रणजीत यहां से निर्दलीय चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बने थे। हरियाणा भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक नवीन गोयल गुरुग्राम से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। भाजपा के अन्य बागियों में गन्नौर से देवेंद्र कादियान, असंध से जिले राम शर्मा, पृथला से दीपक डागर, हथीन से कहर सिंह रावत, सफीदों से जसबीर देसवाल, सोहना से कल्याण चौहान हैं।