छह महीने पहले फेल हो चुके हैं एक्जिट पोल के अनुमान, क्या 23 मई को होंगे सही साबित
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के साथ ही जारी हुए तमाम सर्वेक्षणों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को दोबारा बहुमत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन कई बार इन सर्वेक्षणों की सटीकता पर सवाल उठे हैं। महज छह महीने पहले दिसंबर में हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजे और उससे पहले जारी हुए सर्वेक्षणों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सीटों की संख्या के लिहाज से उनका अनुमान सटीक नहीं रहा। लेकिन रुझान दिखाने में सर्वे कुछ हद तक सही साबित हुए।
राजस्थानः ट्रेंड के लिहाज से सटीक रहा था अनुमान
राजस्थान में भी कांग्रेस 100 सीटें लेकर सत्ता में वापस आ गई। यहां विधानसभा की 200 में से 199 सीटों पर चुनाव हुआ था। कांग्रेस बहुमत के लिए आवश्यक 101 सीटों के आंकड़े से एक सीट कम रह गई थी लेकिन वह सरकार बनाने में कामयाब हो गई। भाजपा 89 सीटों के नुकसान के साथ 73 पर सिमट गई थी जबकि कांग्रेस को 79 सीटों का फायदा हुआ था। अगर एक्जिट पोल की बात करें तो यहां कांग्रेस को न्यूनतम 81 सीटें और अधिकतम 145 सीटें जीतने की उम्मीद जताई गई थी। भाजपा को 52 से 103 सीटों पर जीत मिलने की संभावना जताई गई थी। ट्रेंड के लिहाज से देखें तो सर्वेक्षणों का अनुमान काफी हद तक सटीक रहा था। सर्वेक्षणों के औसत की बात करें तो भाजप को करीब 83 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी जबकि कांग्रेस को 117 सीटें मिलने की संभावना थी। सीटों के लिहाज से सर्वेक्षण सटीक नहीं रहे लेकिन ट्रेंड और सरकार गठन के मामले में उनका संकेत सही था।
छत्तीसगढ़ः सीटों का अनुमान गलत
छत्तीसगढ़ में 90 सीटों की विधानसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस 29 सीटों के फायदे के साथ 68 सीटें पाने में सफल रही और सत्ता में आ गई जबकि भाजपा 34 सीटों के नुकसान के साथ 15 सीटों पर रह गई और सत्ता से बाहर हो गई। सर्वेक्षणों में कांग्रेस को राज्य में 32 से 65 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। भाजपा को 21 से 50 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। यहां भी ट्रेंड सटीक रहा लेकिन सीटों की संख्या के लिहास से सर्वे फेल हो गए। कांग्रेस सर्वे अनुमान से ज्यादा और भाजपा कम सीटें हासिल कर पाई। भाजपा को औसतन 45 सीटें और कांग्रेस को 44 सीटें मिलने की संभावना जताई थी। सभी सर्वेक्षणों का औसत भी नतीजों के करीब नहीं पहुंच पाया।
मध्य प्रदेशः सीटों और रुझान का अनुमान गलत रहा
मध्य प्रदेश के विधासभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सत्ता में आ गई। जबकि भाजपा 109 सीटें पाकर सत्ता से बाहर हो गई। 230 सीटों वाली राज्य की विधानसभा में बहुमत के लिए 116 सीटों की आश्यईकता थी। ऐसे में कांग्रेस दूसरे दलों के समर्थन से सत्ता में आई। विधानसभा चुनावों के नतीजे आने पहले जारी हुए सर्वेक्षणों में छह सर्वेक्षण यानी एक्जिट पोल जारी हुए। इनके अनुसार कांग्रेस को 86 से 126 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी। जबकि भाजपा को 90 से 130 सीटें मिलने की उम्मीद थी। अगर औसत की बात करें तो सभी सर्वेक्षणों को मिलाकर औसतन भाजपा को 114 सीटें और कांग्रेस को 112 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई थी। सीटों की संख्या के मामले में सर्वेक्षणों का अनुमान बहुत गलत नहीं था लेकिन सीटों में मामूली अंतर आने से ही कांग्रेस आगे निकल गई और सरकार बनाने में सफल हो गई।
तेलंगानाः टीआरएस पर अधिकतम और कांग्रेस पर न्यूनतम अनुमान सटीक
तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटों पर हुए चुनाव में टीआरएस ने 88 सीटों पर जीत दर्ज करके जबर्दस्त सफलता हासिल की थी। उसे 25 सीटों को फायदा हुआ और दोबारा सत्ता में आ गई। जबकि दूसरी प्रमुख पार्टी कांग्रेस 16 सीटों के नुकसान के साथ 21 सीटों पर सिमट गई थी। राज्य में कांग्रेस की ताकत और कम हो गई। सर्वेक्षणों में टीआरएस को 48 से 91 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। जबकि कांग्रेस को 21 से 59 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां टीआरएस के मामले में सर्वे का अधिकतम सीट अनुमान कुछ हद तक सटीक रहा। एक्सिस माय इंडिया-इंडिया टुडे अनुमान ने 79-91 सीटें मिलने की संभावना जताई थी जबकि टीआरएस को 88 सीटें मिलीं। कांग्रेस के मामले सर्वे का न्यूनतम सीट अनुमान सटीक रहा। इसी सर्वेक्षण में कांग्रेस को 21 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। उसे इतनी ही सीटों पर सफलता मिली। यहां के औसतन कांग्रेस को 44 सीटें और टीआरएस को 70 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी।
मिजोरमः कांग्रेस पर अनुमान फेल हो गया
मिजोरम में विधानसभा की सभी 40 सीटों पर हुए चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को 26 सीटें मिलीं थी और वह सत्ता में आ गई। उसे 21 सीटों का फायदा हुआ था। कांग्रेस 29 सीटों के भारी-भरकम नुकसान के साथ पांच पर रह गई थी। यही नहीं, अन्य उम्मीदों को कहीं ज्यादा नौ सीटों पर सफलता मिली थी। इस राज्य के चुनाव के लिए सिर्फ दो सर्वेक्षण जारी हुए थे। उनमें एमएनएफ को 16 से 20 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी जबकि कांग्रेस को 14 से 18 सीटें मिलने की उम्मीद थी। यहां एमएनएफ के मामले में सर्वे कुछ हद तक सटीक रहे लेकिन कांग्रेस के मामले में बुरी तरह फेल हो गई। यहां औसतन कांग्रेस को 17 और एमएनएफ को 19 सीटें मिलने की संभावना थी।