जनादेश ’24 / हरियाणा: किसान, जवान, युवा कसौटी
हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट के भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला 12 मई की ढलती शाम नारनौंद क्षेत्र के सिसाय गांव में पहुंचे। जैसे ही उन्होंने अपने संबोधन की भूमिका बांधनी शुरू की, काली पट्टी बांधे नौजवानों के विरोध के नारों में उनकी आवाज दब गई। स्वभाव से विनम्र चौटाला ने संबोधन रोक दिया। भीड़ में से एक आवाज आई, “मैं कृष्ण कुमार सेना से रिटायर्ड मेजर इसी गांव का रहना वाला हूं। मैं अग्निवीर योजना का प्रत्यक्षदर्शी हूं। इस योजना के तहत भर्ती हुए फौजियों के सेंटर का मैं ट्रेनिंग इंचार्ज था। मेरी भर्ती के समय नौ महीने की ट्रेनिंग के बाद रिटायरमेंट तक हम सीखते रहते हैं, लेकिन अब छह महीने की ट्रेनिंग के बाद अग्निवीर फौजियों को बॉर्डर पर खड़ा करना कितना सही है?” जवाब में रणजीत चौटाला ने कहा, “मामला केंद्र सरकार का है और मैं हरियाणा सरकार में मंत्री था।” मेजर कुमार ने दूसरा सवाल दागा, “आपके समर्थन से हरियाणा में भाजपा सत्ता में है तो अग्निवीर का विरोध क्यों नहीं किया? युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ की यह योजना जारी है। ऐसे में भाजपा को वोट क्यों दें”? तभी किसान रामफल ने कहा, “सालाना 6,000 रुपये प्रधानमंत्री किसान निधि से न तो खाद और न ही डीजल के बढ़े हुए दाम की भरपाई हुई। एमएसपी की गारंटी दो, हम वोट की गारंटी देते हैं।” प्राइवेट स्कूल के शिक्षक सुनील सांगवान ने सवाल दागा, “आपसे पहले के सासंद बृजेंद्र सिंह ने पांच साल से शक्ल नहीं दिखाई। आप तो ऐसा नहीं करोगे?”
ऐसी ही दूसरी घटना 12 मई को भिवानी में हुई। वहां बेरोजगार युवाओं ने अनोखे ढंग से विरोध प्रदर्शन किया। सिर पर सेहरा सजाये दूल्हे के वेश में घोड़ी और रथ पर सवार बेरोजगारों के आगे नाचते-झूमते युवक, युवतियां भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार धर्मवीर सिंह के चुनाव कार्यालय में घुसे। ऐसे ही कुछ दूल्हे जाट धर्मशाला में भी जुटे। इस सामूहिक प्रदर्शन के लिए बाकायदा छपवाए गए निमंत्रण पत्रों में लिखा था, “गृहिणी देवी और किसान सिंह के बेरोजगार बेटे की सरकारी नौकरी वाली दुल्हन से शादी तय हुई है। जींद में हुआ रिश्ता, करनाल में हुई थी सगाई, बेरोजगारों की बारात में भिवानी सह-परिवार आना मेरे भाई।" प्रदर्शनकारी युवाओं ने आरोप लगाया कि कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के तहत ग्रुप सी में नौकरी नहीं मिली है।
हिसार से भाजपा के रणजीत चौटाला
अक्टूबर 2023 में आउटलुक से खास बातचीत में हरियाणा के तब के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, “दिसंबर 2023 तक हम ग्रुप सी के 60 हजार पदों पर भर्ती कर देंगे।” अभी तक ग्रुप सी भर्तियां नहीं हो पाई हैं। टोकने पर दूल्हे के वेश में भिवानी के प्रदर्शनकारी युवा रोहित जागलान ने सवालों की झड़ी लगा दी, “मोदी सरकार ने यदि देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया है तो इससे हमारे जीवन में क्या बदलाव आया? पिछले पांच साल में मेरी और मेरे परिवार की दशा खराब हुई है लेकिन देश को आगे बढ़ा बताया जा रहा है। हमें न प्राइवेट नौकरी मिली, न ही सरकारी। यहीं रोजगार मिलता तो सरकार ने 500 से अधिक बेरोजगारों को युद्धग्रस्त इजरायल में मरने के लिए क्यों भेजा?’’
हरियाणा में 25 मई को एक ही चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले इन चंद घटनाओं से यहां की चुनावी फिजा का अंदाजा आराम से लग जाता है। यहां न तो अयोध्या मंदिर की चर्चा है, न ‘400 पार’ की लहर और न ही कोई और मैजिक। यहां किसान, जवान और नौजवान के तीन बड़े मुद्दे हैं- फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी, फौज में पक्की भर्ती और राज्य में सरकारी भर्तियां। सत्ताधारी दल के उम्मीदवारों की बोलती बंद करने वाले मुद्दे उठ रहे हैं।
“अच्छे दिन आएंगे”, “मोदी है तो मुमकिन है” जैसे जुमलों से इतर खेत-खलिहान, घर-बाजार, सड़क-चौबारे पर सत्ताधारी दल के प्रति नाराजगी प्रकट करते लोग, सरकारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक और पोर्टल सरकार की अनगिनत खामियां बताते हुए लोग, धान-बीज की किल्लत से परेशान हैं। चुनावी समीकरण साधने के लिए भले ही हर दल ने जातिगत, क्षेत्रगत संतुलन साधने की कोशिश की है पर इस बार जनता का ध्यान मुद्दों पर ज्यादा टिका है। लंबे वक्त से दबे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं।
तीन निर्दलीयों की समर्थन वापसी के बाद सरकार अल्पमत में होने की अटकलों पर फिलहाल विराम तो लगा है, लेकिन यहां की सभी दस लोकसभा सीटों पर सत्ताधारी दल के उम्मीदवारों को स्थानीय मुद्दों से दो-चार होना पड़ रहा है। इसलिए भाजपा ग्रामीण इलाकों के बजाय शहरों में जोर लगा रही है क्योंकि किसान, जवान और नौजवान उसके विरोध में सड़कों पर हैं।
करनाल में कांग्रेस के बुद्धिराजा के साथ सचिन पायलट
शहरी सीट करनाल पर दूसरी बड़ी शहरी आबादी वाला औद्योगिक शहर पानीपत है। पानीपत में महज तीन महीने पहले मुख्यमंत्री पद से हटाए गए मनोहरलाल खट्टर बतौर भाजपा उम्मीदवार पहुंचे तो उनके काफिले को नारा लगाती महिलाओं ने रोक लिया और उन्हें लौटना पड़ा। उनकी टक्कर में कांग्रेस के उम्मीदवार हरियाणा युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा हैं। बुद्धिराजा को उतारने के पीछे का समीकरण पंजाबी चेहरे के मुकाबले दूसरा पंजाबी खड़ा करना है। बुद्धिराजा करनाल के लिए बाहरी उम्मीदवार हैं। जातिगत समीकरणो को देखें तो करनाल में पंजाबी, जाट, ब्राह्मण, रोड़, जट्ट सिख और राजपूत बिरादरी के वोट ज्यादा हैं। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री और करनाल उप-चुनाव से उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने ओबीसी कार्ड के जरिये गैर-जाट वोटों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में करने की कोशिश की है।
हरियाणा में जाट वोट बैंक के दबदबे को तोड़ने के लिए भाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार के गैर-जाट विधायक मनोहर लाल खट्टर पर दांव खेला था। पांच साल बाद 2019 में भी यही फार्मूला काम कर गया, भले ही कुल 90 में से 41 सीटों पर सिमटी भाजपा बहुमत से 6 सीटें दूर रही। जजपा से गठबंधन में साढ़े चार साल चली सरकार भले ही गठबंधन टूटने पर निर्दलीयों के भरोसे है पर गैर-जाटों का ध्रुवीकरण भाजपा की चुनावी रणनीति के केंद्र में है। जाति, धर्म और क्षेत्र से परे किसान, जवान और नौजवान के मुद्दों के आगे इस बार के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भाजपा का गैर-जाट वाला तुरुप का पता टिकता है या नहीं, यह तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे।
हरियाणा की सियासत पर पिछले चार दशक से नजर रखने वाली नवीन छोक्कर कहती हैं, “इस बार हरियाणा में भाजपा की राह आसान नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने वाली भाजपा के इस बार आधी सीटों पर सिमटने के आसार हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल को मुख्यमंत्री पद से हटाकर भाजपा आलाकमान ने खुद अपनी सरकार को नाकारा स्वीकार किया है।”