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02 May 2019

हरियाणा में इस शख्स ने रोक दी सुषमा स्वराज की एंट्री, तीन बार कर चुके हैं फेल

File Photo

इन दिनों देश में चुनावी माहौल है और इस बीच राजनीतिक पार्टियां अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए हर तरह का जोर लगा रही हैं। चुनावी मौसम में पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाने से भी पीछे नहीं हट रही हैं। इस कड़ी में आज हम बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हरियाणा में एंट्री को रोक दिया या ये कहें कि इस आदमी ने अपने बेबाक भाषणों से लोगों के मुंह बंद कर देने वाली सुषमा स्वराज को लगातार तीन बार चुनावी मैदान में परास्त कर दिया। ये शख्स हैं कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा जिन्होंने सुषमा को 1980, 1984 और 1989 में करनाल की लोकसभा सीट से हराया, जिसके बाद सुषमा कभी भी यहां से चुनावी मैदान में नहीं उतरीं। 

दरअसल, हरियाणा में करनाल लोकसभा क्षेत्र काफी अहम सीट है। ये लोकसभा सीट हरियाणा की सियासत में खास रोल अदा करती है। अतीत की बात करें तो करनाल लोकसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। 17 बार इस सीट पर चुनाव हुआ और कांग्रेस ने 11 बार जीत दर्ज की। ये भी कहा जाता है कि इस सीट पर ब्राह्मणों का कब्जा रहा है।

केंद्र की राजनीति में नाम कमा चुकी हमारे देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लिए हरियाणा की राजनीति का अनुभव अच्छा नहीं रहा। सुषमा ने हरियाणा में तीन लोकसभा चुनाव लड़ीं, लेकिन तीनों में ही वह जीत का परचम नहीं लहरा पाईं। दो बार तो उनका मुकाबला बेहद करीबी रहा और एक बार बड़े अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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अम्बाला कैंट से विधायक बनीं सुषमा स्वराज

1977 में अम्बाला कैंट से विधायक बनीं सुषमा स्वराज हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री बनीं थी। 1987 में सुषमा एक बार फिर कैंट विधायक बनीं। 1989 में करनाल लोकसभा सीट से फिर हार गईं। 1996 में सुषमा प्रदेश की राजनीति छोड़कर राज्यसभा चलीं गईं। जहां वाजपेयी सरकार के दोनों कार्यकाल में स्वराज सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं। 1998 में दो माह के लिए दिल्ली की सीएम रहीं। राज्यसभा में विपक्ष की उपनेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनीं। मोदी सरकार में विदेश मंत्री हैं।

करनाल सीट से लगातार तीन बार चुनाव हारीं सुषमा

सुषमा ने पहला चुनाव करनाल से 1980 में लड़ा। इस दौरान उनका मुकाबला कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा से था। इस चुनाव में सुषमा के पाले में मात्र 1,29, 458 वोट ही पड़ें, उन्होंने जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर ताल ठोकी थी। वहीं, चिरंजी लाल को 1,51, 786 वोट मिले थे।

1980 के बाद दूसरा चुनाव 1984 में हुआ और इस चुनाव में भी भाजपा से सुषमा स्वराज को ही करनाल सीट से उतारा गया, चिरंजी लाल फिर उनके सामने थे। इस चुनाव में सुषमा तीसरे नंबर पर पिछड़ गईं। उन्हें मात्र 77,870 वोट मिले। चिरंजी लाल को जीत मिली, उन्होंने 2,47,063 वोट हासिल किए थे। दूसरे स्थान पर आईसीजे के देवी सिंह रहे, जिन्होंने 148,111 वोट हासिल किए थे।

1989 में सुषमा ने एक बार फिर करनाल से ही किस्मत आजमाई, मगर इस बार भी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। उन्हें करीबी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। चिरंजी लाल लगातार तीसरी बार जीते और सुषमा को लगातार तीसरी बार हार मिली। इस चुनाव में सुषमा को 2,65,792 वोट हासिल हुए थे, जबकि चिरंजी लाल शर्मा को 2,74,465 वोट मिले थे। इन तीन चुनावों के बाद सुषमा ने कभी हरियाणा से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा या ये कहें कि कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा ने हरियाणा में सुषमा की एंट्री रोक दी।

करनाल में आती है 9 विधानसभा सीटें

करनाल हरियाणा के 22 जिलों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल के राजा कर्ण ने करनाल की स्थापना की थी। करनाल लोकसभा क्षेत्र में दो जिलों की नौ विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें नीलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरौंडा, असंध, पानीपत शहर, पानीपत ग्रामीण, समालखा और इसराना शामिल है।

करनाल लोकसभा क्षेत्र में कुल 18,50,577 वोटर्स हैं जिसमें 10,19,157 पुरूष वोटर्स और 8,17,128 महिला वोटर्स शामिल हैं। यहां से बीजेपी के अश्वनी चोपड़ा सांसद हैं।

पिछले चुनाव में ऐसे रहे थे नतीजे

पेशे से पत्रकार अश्वनी चोपड़ा ने 2014 से ही राजनीतिक पारी का आगाज किया था। इस चुनाव में अश्वनी चोपड़ा को 5,94,817 वोट और कांग्रेस के अरविंद शर्मा को 2,34,670 वोट मिले थे जबकि इनेलो के जसविंदर सिंह संधू को 1,87,902 और बीएसपी के विरेंद्र मराठा को 1,02,628 वोट मिले थे।

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OUTLOOK 02 May, 2019
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