केरल में भाजपा ने ईसाइयों पर लगाया बड़ा दांव
केरल में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दो तरफा चुनावी रणनीति पर काम कर रही है। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए कट्टर हिंदुत्व के पैरोकार कुम्मनम राजशेखरन को एक तरफ केरल भाजपा की कमान सौंपी हैं, वहीं ईसाइयों के एक उच्च तबके को उनके चर्चों के जरिए पकड़ने की कोशिश जारी है। यहां ध्यान देने की बात है कि ये चर्च सीरियन क्रिस्चन के हैं, जिनका ताल्लुक ऊंची जातियों से रहा है। केरल में भाजपा ने वर्चस्ववादी जाति के ईसाइयों के बीच अपना समर्थन बढ़ाने के लिए बहुत जोर लगा रखा है और उसे शुरुआती स्तर पर कुछ सफलता भी मिलती दिखाई दे रही है।
इसके साथ-साथ भाजपा की केरल इकाई को भी पूरी तरह से पुनर्गठित किया गया है। इसमें भी एक तरफ राजशेखरन की पंसद के उम्मीदवारों को तरजीह दी गई लेकिन भीतरी असंतोष को कम करने के लिए भाजपा के पूर्व राज्य अध्यक्ष वी. मुरलीधरन के करीबी उम्मीदवारों को उनके जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर जगह दी गई है। भाजपा की राज्य टीम में एक उपाध्यक्ष जार्ज कुरीयन को बनाकर ईसाइयों को रिझाने की कोशिश की गई है। उधर, कुम्मनम राजशेखरन खास तौर से इन चर्चों और उनके पादरियों-बिशप से मुलाकात कर रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिरो मालाबार चर्च के आर्कबिशप मार जार्ज आलेंचरी से लंबी मुलाकात कर चुके हैं। आने वाले दिनों में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, सुषमा स्वराज और सदानंद गौड़ा की भी उनसे मुलाकात होने की संभावना है। सिरो मालाबार चर्च के आर्कबिशप मार जार्ज आलेंचरी ने के. राजशेखरन से मुलाकात के बाद जो कहा, वह भाजपा की चुनावी रणनीति के सफल होने का संकेत देता है, उन्होंने कहा कि भाजपा का निशान भी कमल है और हमारे में भी कमल और तेल भरा दिया है।–इस तरह की समानता पहली बार देखने की कोशिश की गई है। इसके निश्चित तौर पर दूरगामी परिणाम होंगे। हालांकि अभी बाकी ईसाई संगठन और पादरी इस तरह से भाजपा के साथ जाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
इस तरह से केरल में भाजपा की चुनावी रणनीति, ईसाई वोटबैंक में सेंध लगाने की है, ताकि वाम और कांग्रेस के आधार को कम किया जा सके।