बार-बार स्लोगन बदल रही है भाजपा, क्या 2014 जैसा नहीं है माहौल
अपने चुनावी कैंपेन के लिए प्रसिद्ध भारतीय जनता पार्टी इस बार स्लोगन के मामले में कुछ कन्फ्यूज नजर आ रही है। पार्टी 2014 की चुनाव की तरह ‘अब की बार मोदी सरकार’ और ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसे मजबूत स्लोगन अब तक नहीं ढूंढ पाई है। शायद इसीलिए पार्टी पिछले चार महीने में 5-6 स्लोगन मतदाताओं को लुभाने के लिए लांच कर चुकी है। अब देखना यह है कि पार्टी चुनावी कैंपेन शुरू होने के पहले 2014 की तरह कोई ऐसा स्लोगन ला पाएगी या नहीं जो ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसा प्रभाव डाल पाए।
चार महीने में 5-6 स्लोगन
2019 चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले दिसंबर 2018 में अबकी बार मोदी सरकार से मिलता-जुलता स्लोगन फिर ‘एक बार मोदी सरकार’ लांच किया था। लेकिन इसके करीब एक महीने बाद ही जनवरी 2019 में ‘अब की बार 400 के पार’ का स्लोगन दिया। जिसमें पार्टी यह संदेश देना चाहती थी कि इस बार चुनावों में 2014 से भी बड़ी जीत मिलेगी। लेकिन जिस तरह विपक्षी दल महागठबंधन के जरिए मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे थे, उसे देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर लोगों के बीच एक नए संदेश को देने की कोशिश की। फरवरी 2019 में पार्टी ने ‘नामुमकिन अब मुमिकन है’ का स्लोगन लांच किया। जिसमें उसकी कोशिश थी मतादाताओं को विकास के कामों से रिझाया जाय। इसीलिए कैंपेन में प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना, उज्जवला योजना, मुद्रा योजना जैसी सरकार द्वारा चलाई योजनाओं का हवाला देकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई। लेकिन एयर स्ट्राइक होने के बाद पार्टी ने स्लोगन में बदलाव कर इसे ‘मोदी है तो मुमकिन है’ कर दिया। इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया का कहना है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है' केवल एक नारा नहीं है, बल्कि नरेंद्र मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है। जैसे पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक करना, जीएसटी जैसा बड़ा रिफॉर्म करना, आयुष्मान योजना लाना, आर्थिक रुप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण लाना, किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू करना। यह सब ऐसे कदम है जो साफ संदेश देते हैं कि मोदी है तो असंभव भी संभव होगा’। पार्टी ने इसी तरह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जनवरी 2019 में हुई बैठक में ‘अजेय भारत, अटल भाजपा’ का स्लोगन लांच किया। कोशिश थी अटल बिहारी वाजपेयी जी की छवि को पार्टी स्लोगन के साथ जोड़ा जाए। इसके पहले मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के चार साल पूरे होने पर 'साफ नीयत सही विकास' का स्लोगन दिया था, जिसमें उनकी कोशिश थी पूरा चुनाव विकास के मॉडल पर लड़ा जाए लेकिन अब विकास की जगह पार्टी का सारा फोकस राष्ट्रवाद पर चला गया है।
2014 जैसा नहीं है समय
इमेज गुरु दिलीप चेरियन का कहना है कि ‘यह चुनाव 2014 जैसा नहीं है। पहली बात यह है कि इस बार भाजपा सत्ता में है। ऐसे में उसे विपक्ष के हमलों के अनुसार भी जवाब देना होगा। साथ ही मतदाता का व्यवहार भी बदल रहा है। खास तौर से सोशल मीडिया पर ज्यादातर युवा वर्ग है। जो बहुत ही डायनमिक है। ऐसे में वह एक स्लोगन से बोर हो जाएगा। इसलिए भी पार्टी स्लोगन में बदलाव कर रही है। वैसे भी भाजपा इस मामले में काफी स्मार्ट है’। पार्टी के सूत्रों के अनुसार अभी प्रयोग का दौर है। इसीलिए अलग-अलग स्लोगन लाकर मतदाताओं में उसका असर भी देखा जा रहा है। जैसे कि ‘मैं भी चौकीदार’ स्लोगन काफी हिट हो रहा है। पार्टी जल्द ही तय करेगी, कि आगे की रणनीति क्या होगी।