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16 May 2019

लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की 13 सीटों का घमासान

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लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वांचल की 13 सीटों पर जीत हार के लिए घमासान मचा हुआ है। इन सीटों पर 2014 में भाजपा का कब्जा था लेकिन उपचुनाव में एक सीट गोरखपुर भाजपा हार गई थी। भाजपा को अपना गढ़ बचाने की कड़ी चुनौती सपा-बसपा (गठबंधन) से मिल रही है। कई सीटों पर कांग्रेस ने भी मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है। गठबंधन और कांग्रेस भाजपा के इस गढ़ को तोड़ने में जुटी हैं तो इसे बचाने के लिए भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है। इन क्षेत्रों में सभी दलों के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता कैंप कर रहे हैं और अपने प्रत्याशी की जीत के लिए समीकरण बना रहे हैं।

पूर्वांचल में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी, चंदौली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, गोरखपुर से भोजपुरी अभिनेता रवि किशन, कुशीनगर से कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह समेत कई प्रमुख नेताओं का चुनाव आखिरी चरण में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ना सिर्फ गोरखपुर सीट, बल्कि गोरखपुर मंडल की पांच सीटों गोरखपुर, बांसगांव, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज पर प्रभाव है। हालांकि संतकबीरनगर में जूता कांड होने के बाद भाजपा के कई सीटों के समीकरण तेजी से बदले हैं। जिस कारण भाजपा को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति त्रिपाठी को देवरिया से मैदान में उतारना पड़ा और संतकबीरनगर से मौजूदा सांसद शरद चंद्र त्रिपाठी का टिकट काटकर प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया गया। जूता कांड का प्रभाव देवरिया सीट पर भी दिखाई दे रहा है और ठाकुर वोटर रमापति त्रिपाठी को वोट देने से कतरा रहा है। देवरिया के महेन निवासी आलोक मल्ल का तर्क है कि रमापति के बेटे हैं शरद और शरद ने ठीक काम नहीं किया। ज्यादातर ठाकुर मतदाता भाजपा से नाराज है और रमापति को वोट नहीं देगा। बसपा से आए नियाज अहमद को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है और वह गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। वह 2014 में भी सांसद का चुनाव बसपा के टिकट से लड़ चुके हैं। इसी प्रकार गठबंधन प्रत्याशी विनोद जायसवाल, वैश्य होने के कारण वह भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं। जिस कारण यहां लड़ाई त्रिकोणीय है।

कुशीनगर सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद राजेश पांडेय का टिकट काटकर कांग्रेस के आरपीएन सिंह के सामने विजय दुबे को मैदान में उतारा है। यहां गठबंधन प्रत्याशी के रूप में नथुनी कुशवाहा भी मैदान में हैं। यहां से कांग्रेस के विधायक अजय कुमार उर्फ लल्लू कहते हैं कि गोरखपुर मंडल में ना सिर्फ कुशीनगर बल्कि हम देवरिया और गोरखपुर भी जीत रहे हैं।

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महराजगंज सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद पंकज चौधरी, गठबंधन से पूर्व सांसद अखिलेश सिंह खम ठोंक रहे हैं, तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के प्रत्याशी के रूप में बाहुबलि अमर मणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री और कांग्रेस से सुप्रिया श्रीनेत भी भविष्य आजमा रही हैं। हालांकि आनंदनगर निवासी दुर्गेश का कहना है कि यहां गठबंधन और भाजपा के बीच लड़ाई है। निर्दलीय विधायक अमन मणि त्रिपाठी के खास माने जाने वाले नौतनवां के चेयरमैन गुड्डू खां और सुनौली के चेयरमैन सुधीर त्रिपाठी खुलकर भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अंदरखाने तनुश्री ने भाजपा का समर्थन कर दिया है।

गोरखपुर और बांसगांव सीट पर भाजपा की सीधी लड़ाई गठबंधन से है। गोरखपुर से गठबंधन प्रत्याशी के रूप में रामभुआल निषाद तो बांसगांव से सदल प्रसाद मैदान में हैं। दोनों प्रत्याशी राजनीति के धुरंधर हैं और जमीनी स्तर पर अच्छी पकड़ है। गोरखपुर में भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमान संभाली है और वह दिन में जनसभाओं के बाद ज्यादा वक्त बैठकों और पार्टी के कार्यक्रमों में बीता रहे हैं। पीपीगंज नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन कुंवर बहादुर शाही का कहना है कि गोरखपुर में सबसे ज्यादा निषाद जाति की आबादी है। भाजपा ने निषाद प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया तो उस पर भी प्रतिक्रिया है। गठबंधन का प्रत्याशी निषाद होने के कारण लड़ाई कांटे की हो गई है। कांग्रेस ने वरिष्ठ वकील मधूसुदन त्रिपाठी को टिकट दिया है तो कुछ ब्राह्मणों का झुकाव कांग्रेस की तरफ भी है। ये भाजपा का ही वोट काटेंगे, लेकिन योगी जी के नाम पर चुनाव हुआ तो सीट निकल जाएगी। बांसगांव सीट के बारे में वह कहते हैं कि भाजपा के मौजूदा सांसद और प्रत्याशी कमलेश पासवान को लेकर ठाकुरों और स्वर्णों में बहुत नाराजगी है। गठबंधन प्रत्याशी सदल प्रसाद मजबूत प्रत्याशी है। वह पांच साल बड़ी जातियों में ही घूमते हैं। इसलिए अगर उन्हें स्वर्णों का वोट मिला तो भाजपा को मुंहकी खानी पड़ेगी। हालांकि भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और गोरखपुर निवासी सतेंद्र सिंहा का कहना है कि सातवें चरण में हम 13 सीटों पर जीत रहे हैं। रही बात कुछ सीटों पर नाराजगी की तो मतदाता इस बार मोदी जी को ध्यान में रखकर वोट कर रहा है। 

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा अपना दल (एस) दो सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। मिर्जापुर से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल तो राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से पकौड़ी लाल कोल ताल ठोंक रहे हैं। दोनों सीटों पर गठबंधन से सीधी लड़ाई है। मिर्जापुर से गठबंधन ने मछलीशहर के मौजूदा सांसद रामचरित्र निषाद को मैदान में उतारा है। भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था, जिसके बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था। हालांकि बाहरी उम्मीदवार होने के कारण कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बैठाने में उन्हें थोड़ी दिक्कत है। वहीं, कांग्रेस ने ललितेश प्रताप त्रिपाठी को टिकट दिया है। उनको कमलापति त्रिपाठी की विरासत और स्थानीय होने का लाभ मिल रहा है। राबर्ट्सगंज सीट पर अपना दल (एस) ने पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल को टिकट दिया है। उनका बेटा राहुल कोल छानबे सीट से विधायक है। बाहरी होने के कारण उनका विरोध भी है। वहीं, सपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद भाई लाल कोल के पास सपा-बसपा का बेस वोट बैंक है तो बिरादरी और समाज में भी उनकी अच्छी पहचान है।

अपना दल (एस) के मुखिया आशीष पटेल कहते हैं कि दोनों सीटें पार्टी बड़े अंतर से जीत रही है। मिर्जापुर में तो कोई टक्कर ही नहीं है। विरोधी जाति समीकरण में भी कहीं फिट नहीं हैं। सरकार ने सभी वर्ग के लिए काफी काम किया है, उसी के बलबूते हम चुनाव मैदान में हैं। हम सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते हैं और हमारे साथ सभी वर्ग के लोग हैं।

बलिया जिला हमेशा से ही देश की राजनीति में चर्चा में रहा है। इस सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा ने यहां से सीटिंग सांसद भरत सिंह का काटकर किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त को टिकट दिया है और वह इसी जिले के रहने वाले हैं। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा ही खारिज हो गया है। सपा ने सनातन पांडेय को उम्मीदवार बनाया है और वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। सपा छात्र सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष और बलिया के रसड़ा निवासी त्रिशुलधारी सिंह उर्फ टीडी का कहना है कि टिकट को लेकर कुछ लोगों में नाराजगी थी, लेकिन पार्टी हित से ऊपर कोई नहीं है। इसलिए सभी एकजुट होकर गठबंधन प्रत्याशी के जीत के लिए कार्य कर रहे हैं। बलिया में गठबंधन के बेस वोट के अलावा स्वर्ण समाज भी हमें वोट कर रहा है। बलिया में सबसे ज्यादा काम सपा सरकार में किया गया है। इसका भी हमें लाभ मिल रहा है।

गाजीपुर सीट से केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा इस बार फिर मैदान में हैं। गठबंधन से माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। यहां भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर है। अगर जातीय समीकरण रंग लाए तो भाजपा की राह में रोड़े पड़ सकते हैं। हालांकि भाजपा प्रत्याशी मनोज सिंहा केंद्र सरकार के कराए गए कार्यों के भरोसे हैं। गाजीपुर जिले के जमनिया निवासी महेंद्र यादव ने बताया कि गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ रहा है। पहले अफजाल और मुख्तार अंसारी दोनों चुनाव लड़ते थे तो ताकत बंट जाती थी। इस बार सिर्फ अफजाल अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं तो पूरी मजबूती से लड़ रहे हैं।

बलिया और घोषी लोकसभा सीट पर राजभर मतदाताओं की संख्या अच्छी है और सुभासपा के भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने से इन सीटों पर भी भाजपा को असर पड़ रहा है। घोसी सीट से लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मौजूदा सांसद हरिनारायण राजभर को मैदान में उतारा है। जबकि गठबंधन ने अतुल राय को टिकट दिया है। इस सीट पर राय और चौहान मतदाताओं की संख्या काफी है। हालांकि गठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ रेप के एक मामले में गैर जमानती वारंट जारी है और वह फरार हैं। यहां से कांग्रेस ने बालकिशन चौहान को टिकट दिया है। जिस कारण चौहान समाज कांग्रेस की ओर मुड़ रहा है। मऊ के निजामउद्दीनपुरा निवासी सौरभ कहते हैं कि गठबंधन प्रत्याशी की छवि तो खराब हुई है, लेकिन लोगों पर इसका बहुत असर नहीं पड़ रहा है। भाजपा सांसद के बारे में भी कहा जा रहा है कि वह वह कह रहे हैं, मुझे वोट मत दीजिए, मोदी जी को वोट दीजिए।

चंदौली लोकसभा सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय दोबारा मैदान में हैं। यहां से गठबंधन ने डॉ. संजय चौहान और कांग्रेस समर्थित जन अधिकार पार्टी ने शिवकन्या कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। शिवकन्या कुशवाहा सूबे के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी हैं और उनकी कुशवाहा समाज पर मजबूत पकड़ है। डॉ. संजय चौहान जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। हालांकि उन्हें सपा के आंतरिक मतभेदों का सामना करना पड़ रहा है। महेंद्र नाथ पांडेय पांच साल में कराए गए विकास कार्यों और मोदी सरकार की उपलब्धियों को लेकर मैदान में हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय कहते हैं कि भाजपा सिर्फ चंदौली नहीं, पूरे देश में परचम लहरा रही है। मोदी जी दुबारा प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मोदी जी को लेकर लोगों में अंडर करंट है।

वाराणसी के रहने वाले और सपा के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश कहते हैं कि प्रदेश में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। रही सही कसर सातवें चरण में पूरी होने जा रही है। 30 सीट भी जीत जाए तो बड़ी बात है। भाजपा के केंद्रीय मंत्री गाजीपुर से और प्रदेश अध्यक्ष चंदौली से चुनाव हार रहे हैं। मिर्जापुर में भी लड़ाई तगड़ी है।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, 'जब भी देश की जनता विपक्ष में प्रधानमंत्री के दावेदारों को देखती है, तो उसको कोई भी विकल्प मोदी जी के अलावा नजर ही नहीं आता है। देश की जनता राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे दर्जनों नेताओं को जो कि पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं, उनको नहीं देना चाहती है। इसलिए अब यह लोग तुष्टीकरण पर उतर आए हैं, लेकिन इस पर हमारा मोदी समीकरण हावी हो गया है। पांच चरणों के चुनाव ने जनादेश स्पष्ट कर दिया है। अब गठबंधन 23 मई के बाद अलग होकर 2022 की तैयारी अलग-अलग शुरू कर देगा। इन दलों ने वैसे भी तय कर लिया कि हमें 2022 का चुनाव ही मजबूती से लड़ना है।'

सातवां चरण

सातवें चरण में 19 मई को होने वाले मतदान के लिए कुल मतदाताओं की संख्या दो करोड़ 32 लाख 71 हजार 314 है, जिसमें एक करोड़ 26 लाख 46 हजार 278 पुरुष, एक करोड़ छह लाख 23 हजार 647 महिला और 1416 थर्ड जेन्डर मतदाता हैं। आयोग ने इसके लिए कुल 13,979 मतदान केन्द्र और 25,874 मतदेय स्थल बनाए हैं

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TAGS: Lok Sabha Elections 2019, uttar pradesh, poorvanchal
OUTLOOK 16 May, 2019
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