Advertisement
06 April 2019

ये उम्मीदवार हारने के लिए लड़ रहे हैं चुनाव, जानिए क्यों करते हैं ऐसा

File Photo

इन दिनों देश में चुनावी माहौल है और ऐसे में तमाम पार्टियों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर दांव आजमा रहे हैं। सभी नेताओं में जीत की होड़ मची हुई है। सच भी है, चुनावी मैदान में उतरने वाला हर प्रत्याशी जीतने के लिए ही मैदान में उतरता है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई प्रत्याशी केवल हारने के लिए चुनाव लड़ता है? अगर नहीं सुना है तो ये खबर आपको हैरत में डाल देगी।

आइए एक नजर डालते हैं उन प्रत्याशियों के बारे में जो केवल हारने के लिए ही चुनावी मैदान में उतरते हैं।

श्याम बाबू सुबुधी

Advertisement

चुनाव लड़ना और जीतना ही हर किसी का मकसद हो ऐसा जरूरी नहीं है। 84 साल के श्याम बाबू सुबुधी इसके जीते-जागते उदाहरण हैं। अबतक करीब 30 अलग-अलग चुनावों में खड़े हो चुके श्याम बाबू सुबुधी भले ही सभी चुनाव हार गए, लेकिन चुनाव लड़ने के प्रति उनका जज्बा जरा भी कम नहीं हुआ है। श्याम बाबू सुबुधी इस बार फिर चुनावी मैदान में हैं।

श्याम बाबू सुबुधी ओडिशा के रहने वाले हैं और 1962 से चुनाव लड़ रहे हैं। वह बताते हैं, 'मैंने अपना पहला चुनाव 1962 में लड़ा था। उसके बाद लोकसभा के साथ-साथ मैंने ओडिशा विधानसभा चुनाव भी लड़े। मुझे कई राजनीतिक पार्टियों की तरफ से उनके साथ शामिल होने का न्योता मिला, लेकिन मैं निर्दलीय लड़ना ही पसंद करता हूं।' सुबुधी को इस बात का भी गर्व है कि उन्होंने पीवी नरमिम्हा राव और बीजू पटनायक, वर्तमान सीएम नवीन पटनायक के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है।

हसनुराम अम्बेडकरी

यूपी के हसनुराम अम्बेडकरी भी ऐसे ही उम्मीदवार हैं। जो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अब तक 85 बार तरह-तरह के चुनाव में किस्त आजमा चुके हैं। लेकिन किसी भी चुनाव में इन्हें कामयाबी नहीं मिली। हसनुराम प्रधानी से लेकर लोकसभा, वार्ड मेंबर से लेकर विधायक, हर तरह के चुनाव के लिए नामांकन भर चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी इन्होंने एक बार पर्चा भरा था, जो दस्तावेज पूरे नहीं होने की वजह से खारिज हो गया था।

हसनुराम के बारे में बताया जाता है कि इन्होंने 1985 में आगरा में बीएसपी के तत्कालीन संयोजक अर्जुन सिंह से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा था लेकिन इन्हें जवाब मिला था- 'तुम्हें तुम्हारी पत्नी तक नहीं पहचानती तो कोई और तुम्हें क्यों वोट देगा?' बस यही बात हसनुरान को चुभ गई। वो दिन है और आज का दिन, हसनुराम ने ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ जिसके लिए उन्होंने पर्चा नहीं भरा हो। दावा ये भी किया जाता है कि 1985 में हुए चुनाव में हसनुराम को करीब 17 हजार वोट भी मिल गए थे।

के.पद्मराजन

इलेक्शन किंग के नाम से प्रसिद्ध यह शख्स अब तक 169 चुनाव लड़ चुका है। इनका नाम है के पद्मराजन। पद्मराजन पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं और अब तक 169 चुनाव लड़ चुके हैं। खास बात यह है कि पद्मराजन कोई भी चुनाव जीतने के इरादे से नहीं लड़ते हैं और ना ही आज तक किसी भी चुनाव में जीत हासिल कर पाए हैं। उन्होंने देश के करीब सभी बड़े नेताओं के खिलाफ चुनाव लड़ा है। दरअसल, पद्मराजन यह साबित करना चाहते हैं कि एक आम आदमी भी चुनाव में खड़ा हो सकता है। साथ ही पद्मराजन की इच्छा है कि गिनीज बुक में भी उनकी हार का रिकॉर्ड दर्ज हो सके।

पद्मराजन 1988 से चुनाव लड़ते और हारते आ रहे हैं। वह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, नई दिल्ली समेत कई जगहों से चुनाव लड़ चुके हैं। 2014 में पद्मराजन वडोदरा से नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े होना चाहते थे, लेकिन किसी कारणवश उनका नामांकन रद्द हो गया। पद्मराजन का मानना है कि चुनाव लड़ने का काम तो कोई भी आम व्यक्ति कर सकता है मगर जीतता वही है जिसकी जेब में पैसे होते हैं। बताया जाता है कि वह चुनाव लड़ने में करीब 20 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं।

‘फक्कड़ बाबा’

कुछ लोगों को हार का कभी मलाल नहीं होता, वो हर बार दोगुने उत्साह से जीत के प्रयास में लग जाते हैं। ऐसे ही हैं मथुरा के ‘फक्कड़ बाबा’। साल 1976 से लगातार लोकसभा और विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं। हर बार हार ही मिली है लेकिन फक्कड़ बाबा रामायणी का जीत के प्रति विश्वास कभी कम नहीं हुआ है।

बाबा एक बार फिर मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। वह 8 बार विधानसभा और ठीक 8 बार ही लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। फक्कड़ बाबा रामायणी, मथुरा के जाने- माने नामों में शामिल हैं। इन्होंने 16 बार चुनान के मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है। इन्हें किसी में भी जीत नहीं मिली, लेकिन उससे बाबा का उत्साह कम नहीं हुआ है। फक्कड़ बाबा इसबार फिर लोकसभा चुनाव 2019 लड़ेंगे।

गोवर्धन सोनकर 

 

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गोवर्धन सोनकर एक ऐसे प्रत्याशी हैं जो अब तक 12 बार चुनाव लड़ चुके हैं, जनता के बीच वे एक दर्जन बार वोट मांगने के लिए गए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। बार-बार हारने की वजह से गोवर्धन सोनकर ने कभी हार नहीं मानी है, वे लगातार लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका, जिला पंचायत, ग्राम प्रधान और सभासद जैसे तमाम चुनाव में हाथ आजमाया है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Lok Sabha Elections, candidates, fights, lose the election, shyam babu subudhi, Hassanuram Ambedkar, K. Padmarajan
OUTLOOK 06 April, 2019
Advertisement